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इस बार दिल्ली में धूम धाम से मनेगी हरित दीपावली

दिल्ली फायर व‌र्क्स ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव जैन ने कहा कि इस बार लाइसेंस देने में दिल्ली पुलिस ने कड़े प्रावधान किए हैं। फिर भी उम्मीद है कि पिछले वर्ष की तुलना में यह संख्या कई गुना होगी।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 01 Oct 2020 01:42 PM (IST)Updated: Thu, 01 Oct 2020 01:42 PM (IST)
इस बार दिल्ली में धूम धाम से मनेगी हरित दीपावली
राजधानी दिल्ली में दीपावली मनाने की सांकेतिक तस्वीर।

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। इस बार की दीपावली धूम-धड़ाके से भरपूर रहेगी। पिछले वर्ष की तरह राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हरित पटाखों की उपलब्धता में कमी नहीं रहेगी। कम से कम 50 तरह के पटाखे उपलब्ध रहेंगे। पटाखों की बिक्री को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं। दिल्ली के बाजारों में हरित पटाखे पहुंचने लगे हैं तो दिल्ली पुलिस के लाइसेंसिंग विभाग ने भी इसकी बिक्री के लिए आवेदन मंगा लिए हैं। पिछले वर्ष महज 11 व्यापारियों को ही बिक्री का अस्थायी लाइसेंस दिया गया था। हरित पटाखों की अनिवार्यता से पहले हर दीपावली पर दिल्ली में तकरीबन 1000 दुकानों को बिक्री का अस्थायी लाइसेंस जारी होता था। तब सिर्फ दीपावली पर दिल्ली-एनसीआर में पटाखों का व्यापार तकरीबन 500 करोड़ रुपये का था। वैसे, इस बार उतनी संख्या में लाइसेंस मिलने की उम्मीद नहीं है।

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दिल्ली फायर व‌र्क्स ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव जैन ने कहा कि इस बार लाइसेंस देने में दिल्ली पुलिस ने कड़े प्रावधान किए हैं। फिर भी उम्मीद है कि पिछले वर्ष की तुलना में यह संख्या कई गुना होगी। वर्ष 2018 में पटाखों से प्रदूषण का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में पटाखा बिक्री और उसे जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। वर्ष 2019 में दीपावली के ऐन वक्त पर पहले हरित पटाखों की ही बिक्री और उसे जलाने की सशर्त अनुमति दी थी। साथ ही पटाखा जलाने के लिए केवल दो घंटे और 2500 स्थानों की अनुमति दी थी। कारोबारी उम्मीद जता रहे हैं कि इस बार ग्रीन पटाखे की उपलब्धता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट से शायद इस मामले भी थोड़ी राहत मिले।

राजीव जैन ने कहा कि इस बार तैयारियों के लिए एक वर्ष का समय मिल गया है। इसलिए 100 से ज्यादा कंपनियों ने कई प्रकार के पटाखे तैयार किए हैं। उम्मीद है कि इस दीपावली पर 50 से अधिक प्रकार के पटाखे बाजारों में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होंगे। ऐसे में लोगों को निराश नहीं होना पड़ेगा।

ये पटाखे सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक व राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी), वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) व तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पेसो) के मानक के अनुरूप हैं। ये पटाखे तमिलनाडु के प्रसिद्ध शिवकाशी से लेकर हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र व राजस्थान में बन रहे हैं। फैक्टि्रयों से ये पटाखे गुरुग्राम के गोदामों में पहुंचने लगे हैं।

250 वर्ष पुराने पटाखा बाजार में लौटेगी रौनक

जामा मस्जिद के पास स्थित 250 साल पुराने पटाखा बाजार पाईवालान के दुकानदारों को दीपावली पर रौनक लौटने की उम्मीद है। फिलवक्त, कोरोना के कारण बाजार में मायूसी का आलम है, क्योंकि लॉकडाउन और महामारी के कारण शादियां काफी कम संख्या में हुई तो पटाखों की मांग न के बराबर रही। प्रदूषण व सामान्य पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध के चलते इस बाजार के दो साल उथल-पुथल भरे थे। यहां वर्ष 1870 से पटाखों की बिक्री हो रही है। यहां थोक पटाखा बिक्री की कुल नौ दुकानें है। इनमें से कई 100 वर्ष से अधिक पुरानी है।

143 वर्ष पुरानी दुकान मजेस्टिक फायर व‌र्क्स की छठी पीढ़ी के मालिक महेश्वर दयाल श्रीवास्तव ने कहा कि इस बार अच्छे कारोबार की उम्मीद है, क्योंकि हरित पटाखे उपलब्ध हैं। दीपावली आने तक कई अन्य किस्मों के और पटाखे आ जाएंगे। फिलहाल, फुलझड़ी, अनार व आसमान में रोशनी करने वाले पटाखे उपलब्ध हैं।

अमित जैन (पटाखा व्यापारी) के मुताबिक, हरित पटाखों की नई किस्में बनने लगी हैं। वे बाजार में आने भी लगी हैं। अगले सप्ताह तक और आ जाएंगी। इनकी खासियत यह है कि ये सामान्य पटाखों के मुकाबले 30 फीसद तक प्रदूषण कम करते हैं। 

पार्थ श्रीवास्तव (पटाखा व्यापारी) का कहना है कि सामान्य पटाखों की तुलना में हरित पटाखे थोड़े महंगे हैं। यह महंगाई 10 फीसद तक है। इसका असर पटाखा बिक्री पर नहीं आने की उम्मीद है। हमें उम्मीद है कि दीपावली तक बाजार में रौनक लौटेगी और बिक्री होगी। 

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