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    दिल्ली के बाद अब इन तीन मेट्रो शहरों पर भी मंडराया Ozone Pollution का खतरा; एक्शन की जरूरत

    Updated: Wed, 16 Jul 2025 07:45 PM (IST)

    सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) की रिपोर्ट के अनुसार भारत के महानगरों में ग्राउंड-लेवल ओजोन प्रदूषण बढ़ रहा है जो अब साल भर की समस्या है। दिल्ली कोलकाता बेंगलुरु मुंबई हैदराबाद और चेन्नई जैसे शहरों में ओजोन का स्तर मानकों से अधिक पाया गया है। इससे स्वास्थ्य व कृषि पर बुरा असर पड़ता है। इसे नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।

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    सेंटर फाॅर साइंस एंड एन्वायरमेंट (CSE) की रिपोर्ट ने ओजोन प्रदूषण को लेकर दी चेतावनी।

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत के प्रमुख महानगर अब एक नए खतरे की चपेट में हैं, ये खतरा है ग्राउंड लेवल ओजोन प्रदूषण। ओजोन प्रदूषण केवल गर्मियों तक सीमित नहीं है, बल्कि साल भर की समस्या बन रहा है।

    सेंटर फाॅर साइंस एंड एन्वायरमेंट (CSE) की रिपोर्ट चेतावनी देती है कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो यह स्वास्थ्य और खेती पर गहरा असर डालेगा।

    दिल्ली के बाद भारत के बड़े शहरों जैसे कोलकाता, बेंगलुरु, मुंबई, हैदराबाद और चेन्नई में भी इस गर्मी (2025) में ओजोन प्रदूषण ने सिर उठा चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक इन शहरों में ओजोन का स्तर कई दिनों तक आठ घंटे के मानक से ज्यादा रहा।

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    क्या है ओजोन प्रदूषण?

    ओजोन एक गैस है, जो तीन ऑक्सीजन अणुओं से बनती है। आसमान में यह हमें सूरज की हानिकारक किरणों से बचाती है, लेकिन जमीन पर यह प्रदूषण बन जाती है।

    यह सीधे किसी स्रोत से नहीं निकलता, बल्कि वाहनों, उद्योगों और बिजली घरों से निकलने वाली नाइट्रोजन ऑक्साइड (एनओएक्स), वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (वीओसी) और कार्बन मोनोआक्साइड (सीओ) के सूरज की रोशनी में रासायनिक प्रतिक्रिया से बनता है।

    शहरों में ओजोन का हाल

    • बेंगलुरु: इस गर्मी में 92 दिनों में से 45 दिन ओजोन का स्तर मानक से ज्यादा रहा, जो पिछले साल की तुलना में 29% की बड़ी बढ़ोतरी है। होमबेगोड़ा नगर सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र रहा।
    • मुंबई: 92 दिनों में 32 दिन ओजोन स्तर बढ़ा, जो पिछले साल की तुलना में 42 प्रतिशत कम है। चकाला सबसे प्रभावित इलाका रहा।
    • कोलकाता : 22 दिन ओजोन स्तर बढ़ा, जो पिछले साल की तुलना में 45 प्रतिशत कम है। रवींद्र सरोवर और जादवपुर हाॅटस्पाॅट बने।
    • हैदराबाद: 20 दिन ओजोन स्तर बढ़ा, जो पिछले साल की तुलना में 55 प्रतिशत कम है। बोल्लारम सबसे ज्यादा प्रभावित रहा।
    • चेन्नई: 15 दिन ओजोन स्तर बढ़ा, जो पिछले साल शून्य था। आलंदुर सबसे सबसे प्रभावित क्षेत्र रहा।
    • दिल्ली: मार्च से मई 2025 के बीच हर दिन ओजोन का स्तर 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक रहा। 28 अप्रैल को सबसे खराब दिन रहा, जब क्षेत्र के 58 में से 32 निगरानी स्टेशनों में ओजोन का स्तर सुरक्षित सीमा से ऊपर दर्ज किया गया। उत्तर-पश्चिम और दक्षिण दिल्ली बढ़ते ओजोन से सबसे ज्यादा प्रभावित रहे।

    ओजोन के हाॅटस्पाॅट और असर

    हर शहर में कुछ खास इलाके हैं जहां ओजोन का स्तर सबसे ज्यादा बढ़ता है। इन हाॅटस्पाॅट्स में प्रदूषण का असर और गंभीर होता है। ओजोन सांस की नली को नुकसान पहुंचाता है।

    अस्थमा और दमा जैसी बीमारियों को बढ़ाता है। बच्चों, बुजुर्गों व सांस की बीमारी वालों के लिए खतरनाक है। यह फसलों को भी नुकसान पहुंचाता है, जिससे खाद्य सुरक्षा पर असर पड़ता है।

    क्यों बढ़ रहा ओजोन प्रदूषण?

    ओजोन का बढ़ना मौसम और प्रदूषण स्रोतों पर निर्भर करता है। गर्मी और सूरज की रोशनी इसकी रासायनिक प्रतिक्रिया को तेज करती है. वाहन, उद्योग, कचरा जलाना और ठोस ईंधन का इस्तेमाल इसके मुख्य कारण हैं।

    दिलचस्प बात यह है कि जहां नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ2) ज्यादा होता है, वहां ओजोन कम बनता है, लेकिन साफ इलाकों में यह जमा हो जाता है।

    समाधान क्या हो?

    सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रायचौधरी कहती हैं कि अगर इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह गंभीर स्वास्थ्य संकट बन सकता है। इसके लिए जरूरी कदम हैं।

    • सख्त कदम: वाहनों, उद्योगों और कचरा जलाने से निकलने वाली गैसों को कम करना होगा। शून्य उत्सर्जन वाहन और साफ ईंधन को बढ़ावा देना जरूरी है।
    • निगरानी बढ़ाएं: ओजोन के स्तर को मापने के लिए और स्टेशन लगाने चाहिए, ताकि हाॅटस्पाॅट्स की पहचान हो सके।
    • क्षेत्रीय योजना: ओजोन एक क्षेत्रीय प्रदूषण है, इसलिए स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर मिलकर काम करना होगा।
    • जागरूकता: लोगों को इस प्रदूषण के बारे में बताना और साफ हवा के लिए कदम उठाने के लिए प्रेरित करना जरूरी है।

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