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    बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया पहुंचे दिल्ली HC, अपमानजनक डिजिटल पोस्ट हटाने की मांग

    Updated: Tue, 23 Sep 2025 03:45 PM (IST)

    वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है जिसमें उन्होंने अपमानजनक और डिजिटली क्रिएटेड इंटरनेट मीडिया पोस्ट को हटाने की मांग की है। न्यायमूर्ति अमित बंसल ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अश्लील टिप्पणियां अस्वीकार्य हैं लेकिन व्यंग्य और अपमान के बीच अंतर करना जरूरी है। अदालत इस मामले पर आगे विचार करेगी।

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    बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया पहुंचे दिल्ली HC, अपमानजनक डिजिटल पोस्ट हटाने की मांग

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। वरिष्ठ अधिवक्ता और भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। इसमें उन्होंने एक इंटरनेट मीडिया पोस्ट को हटाने की मांग की है, जो उनके दावे के अनुसार अपमानजनक और डिजिटली क्रिएटेड है। यह एक टेलीविजन डिबेट वीडियो से बनाया गया है। याचिका पर न्यायमूर्ति अमित बंसल ने मंगलवार को सुनवाई की अध्यक्षता की। आशा है कि गुरुवार को इस पर अंतरिम आदेश पारित हो सकता है।

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    एआई-जनरेटेड थे या हेरफेर किए गए

    भाटिया ने अदालत को बताया कि 12 सितंबर को, जब वह "अपने घर में आराम से थे," तब अनधिकृत छवियां और वीडियो ऑनलाइन साझा किए गए। उन्होंने दावा किया कि यह सामग्री अपमानजनक थी, उनकी गोपनीयता का उल्लंघन करती थी और कुछ मामलों में इसमें पुरुष जननांगों के अनुचित उल्लेख शामिल थे।

    उन्होंने जोर देकर कहा कि अश्लील भाषा या ऐसे उल्लेखों वाली किसी भी सामग्री को हटाया जाना चाहिए, यह उल्लेख करते हुए कहा, 'एक व्यक्ति की प्रतिष्ठा समय के साथ बनती है।' उन्होंने आगे आरोप लगाया कि कुछ दृश्य या तो एआई-जनरेटेड थे या हेरफेर किए गए थे।

    भाटिया ने कोर्ट में अपनी बात रखते हुए कहा, "मैं कुर्ता और शॉर्ट्स में था। अगर कोई कैमरामैन गलती करता है तो यह 'मैं पीएमओ की बैठक से आ रहा हूं' जैसे अपमानजनक टिप्पणियों को उचित नहीं ठहराता।"

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    '...मोटी चमड़ी की जरूरत'

    न्यायमूर्ति बंसल ने स्वीकार किया कि अश्लील टिप्पणियां अस्वीकार्य हैं लेकिन व्यंग्य और अपमान के बीच अंतर करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालना आवश्यक है। उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि राजनीति में होने के लिए मोटी चमड़ी की जरूरत होती है। अदालत को यह सावधानीपूर्वक आकलन करना होगा कि क्या व्यंग्य से अपराध की सीमा को पार करता है।

    '...तभी यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म जवाबदेह'

    यूट्यूब के कानूनी प्रतिनिधि ने बताया कि आठ चिह्नित यूआरएल में से दो इस मुद्दे से असंबंधित थे। अदालत ने उल्लेख किया कि कोई भी निर्देश पहले सामग्री के मूल प्रकाशकों को लक्षित करना चाहिए और यदि वे जवाब देने में विफल रहते हैं, तभी यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म को जवाबदेह ठहराया जाएगा।

    पत्रकार अभिसार शर्मा उन लोगों में शामिल हैं, जिनका नाम इस मामले में लिया गया है। कार्यवाही के दौरान न्यायाधीश ने यह भी सवाल उठाया कि क्या 'नंगा' जैसे शब्द स्वाभाविक रूप से अपमानजनक हैं और कुछ चैनलों पर सामग्री मॉडरेशन की अनुपस्थिति पर चिंता जताई।

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    (ANI के इनपुट के साथ)