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    गैंग्सटरों से 'बेरहमी' से निपटा जाए... सुप्रीम कोर्ट ने कहा- फास्ट-ट्रैक कोर्ट बनाएं केंद्र और दिल्ली सरकार

    Updated: Thu, 24 Jul 2025 09:49 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में गैंगस्टर से जुड़े मामलों की शीघ्र सुनवाई के लिए फास्ट-ट्रैक अदालतों की स्थापना का सुझाव दिया है। अदालत ने लंबित 288 मुकदमों पर चिंता जताते हुए गवाहों की सुरक्षा पर जोर दिया। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि गैंगस्टरों से कानून के अनुसार सख्ती से निपटा जाए ताकि समाज को उनके आतंक से मुक्त किया जा सके।

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    राजधानी की अदालतों में गैंग्सटरों से संबंधित लंबित हैं 288 मुकदमे।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: गैंग्सटरों से संबंधित मामलों में शीघ्र सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से फास्ट-ट्रैक अदालतों की स्थापना पर विचार करने को कहा, ताकि ऐसे मामलों का दैनिक आधार पर निपटारा किया जा सके।

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    न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जायमाल्या बागची की पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसडी संजय को यह सुझाव तब दिया, जब उन्होंने यह बताया गया कि राजधानी की अदालतों में गैंग्सटरों से संबंधित 288 मुकदमे लंबित हैं।

    न्यायालय ने कहा कि यदि सरकारें प्रस्तावित निर्णय लेती हैं, तो सभी लंबित मुकदमों को समाप्त किया जा सकता है। इसके लिए पर्याप्त संख्या में न्यायालयों की आवश्यकता होगी।

    यदि उपयुक्त प्राधिकारियों की ओर से ऐसा निर्णय लिया जाता है, तो हमें लगता है कि सभी लंबित मुकदमों को समाप्त किया जा सकता है।

    जिसके लिए बचाव पक्ष के वकीलों की अनिवार्य उपस्थिति, स्थगन की छूट और जांच पूरी करने और आरोप तय करने के लिए समयसीमा जैसे कुछ और निर्देश भी उचित समय पर जारी किए जा सकते हैं।

    न्यायालय ने कहा कि दुर्दांत अपराधियों व गैंग्सटरों की त्वरित सुनवाई के लिए न्यायालय परिसरों की स्थापना से ऐसी स्थिति से बचा जा सकता है, जहां उन्हें जमानत पर रिहा करना पड़े।

    इसके परिणामस्वरूप, अतिरिक्त बुनियादी ढांचा, गवाहों सहित सुरक्षा और संरक्षा को बढ़ा सकता है, जो समय की मांग है। न्यायालय ने केंद्र, व दिल्ली सरकार समेत दिल्ली उच्च न्यायालय से राजधानी में लंबित मामलों के संबंध में समग्र दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया।

    यह तभी संभव है जब केंद्र और दिल्ली सरकार इन मामलों की सुनवाई के लिए फास्ट-ट्रैक अदालतों जैसी व्यवस्था लागू करने का संकल्प लें।

    इसके लिए न्यायिक अधिकारियों के अतिरिक्त पद सृजित करने होंगे या ऐसी अदालतों के लिए एक अलग तदर्थ कैडर विकसित किया जा सकता है।

    आवश्यक बुनियादी ढांचागत सुविधाएं और अन्य आवश्यक कर्मचारी भी उपलब्ध कराए जाने चाहिए। न्यायालय ने ऐसे मामलों में गवाहों की सुरक्षा के महत्व पर भी जोर दिया और अतिरिक्त साॅलिसिटर जनरल से इस संबंध में उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी प्राप्त की।

    न्यायालय ने राजधानी में आपराधिक घटनाओं के कारण कानून के शासन पर बढ़ते खतरे पर भी चिंता व्यक्त की। कोर्ट ने कहा कि गवाह आपकी आंख और कान हैं।

    आप उनकी सुरक्षा के लिए क्या कर रहे हैं? दिन-दहाड़े सड़कों पर हत्या कर दी जाती हैं और सुबूतों के अभाव में गैंग्सटरों छूट जाते हैं...इससे आम आदमी की नजर में कानून का राज पूरी तरह से कमजोर होता दिख रहा है।

    समाज को गैंग्सटरों के आतंक से छुटकारा पाना होगा। एनसीआर में क्या हो रहा है?" जस्टिस बागची ने कहा कि ऐसे मामलों में "गेम प्लान" गवाहों को अपने पक्ष में करने के लिए मुकदमे को लंबा खींचने का होता है। जस्टिस कांत ने कहा कि गैंग्सटरों से "बेरहमी" से निपटा जाना चाहिए, लेकिन कानून के अनुसार।

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