'सिंहासन खाली करो' से लेकर चौथी पास राजा की कहानी तक... दिल्ली का रामलीला मैदान कई बार बना राजनीति का अखाड़ा
केजरीवाल इससे पहले भी कई बार रामलीला मैदान को अपनी राजनीति का अखाड़ा बना चुके हैं। इस रामलीला मैदान से केजरीवाल ने अन्ना हजारे के साथ मिलकर भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन छेड़ा था जिसमें तत्कालीन मनमोहन सरकार ने घुटने टेक दिए थे।

नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ हुंकार भरने के लिए रामलीला मैदान का चयन किया। ऐसा पहली बार नहीं है जब अरविंद केजरीवाल कोई बड़ा राजनीतिक कदम उठाने के लिए रामलीला मैदान के मंच का इस्तेमाल कर रहे हैं।
केजरीवाल इससे पहले भी कई बार रामलीला मैदान को अपनी राजनीति का अखाड़ा बना चुके हैं। इस रामलीला मैदान से केजरीवाल ने अन्ना हजारे के साथ मिलकर भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन छेड़ा था, जिसमें तत्कालीन मनमोहन सरकार ने घुटने टेक दिए थे। रामलीला मैदान को कई बड़े-बड़े नेताओं ने राजनीति का अखाड़ा बनाया है।
1977 में जनता पार्टी की विजय रैली
इंदिरा गांधी की इमरजेंसी के बाद जेपी आंदोलन ने तूल पकड़ा। इस आंदोलन के बाद हुए 1977 के चुनाव में इंदिरा गांधी की कांग्रेस सरकार की लोकसभा चुनाव में शर्मनाक हार हुई। जेपी के समर्थन वाली जनता पार्टी ने धमाकेदार जीत दर्ज की थी।
जीत का जश्न मनाने के लिए जनता पार्टी के नेताओं ने रामलीला मैदान का ही चयन किया था। रामधारी सिंह दिनकर की पंक्ति से मशहूर हुआ नारा ''सिंहासन खाली करो कि जनता आती है'' भी इससी मैदान पर गूंजा था।
2011 का अन्ना आंदोलन
लोकपाल बिल की मांग करते हुए समाजसेवी अन्ना हजारे ने केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ा था। अन्ना के अनशन से अरविंद केजरीवाल, किरण बेदी और कुमार विश्वास जैसी कई नामचीन हस्तियां जुड़ी। अन्ना ने आंदोलन के लिए भी रामलीला मैदान ही चुना था। इस मैदान से ही अन्ना ने गांधी के विचारों को अभिव्यक्त करते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल बिल की मांग की थी।
बाबा रामदेव ने छेड़ी थी कालेधन के खिलाफ जंग
अन्ना आंदोलन के बाद 2011 में ही बाबा रामदेव ने भी रामलीला मैदान में अनशन करने की ठानी थी।उन्होंने स्वदेशी के लिए और कालेधन के खिलाफ अनशन की शुरूआत की थी, लेकिन पुलिस ने बाबा के इस प्रदर्शन को खदेड़ दिया था।
केजरीवाल का शपथ ग्रहण
2020 के दिल्ली के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत दर्ज करने के बाद अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ भी इसी रामलीला मैदान में ली थी। इस शपथग्रहण में लोग भारी संख्या में पहुंचे थे। केजरीवाल ने रामलीला मैदान से शपथ लेने के बाद तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री की गद्दी संभाली है।
अब केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ भरी हुंकार
ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर दिल्ली सरकार और एलजी के बीच की रार बढ़ते ही जा रही है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि ट्रांसफर पोस्टिंग पर दिल्ली की चुनी हुई सरकार का ही हक है। इस फैसले के कुछ दिनों के बाद ही केंद्र ने अध्यादेश लाकर दिल्ली के एलजी की पावर बढ़ा दी।
केंद्र के इस अध्यादेश से केजरीवाल की सेना आक्रोशित हो गई। इस मुद्दे को लेकर केजरीवाल ने आज यानी 11 जून को केंद्र के खिलाफ हुंकार भरी है।
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