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    Delhi News: फर्जी CBI और ED अधिकारी बन लोगों को लगा रहे थे चूना, पुलिस ने ऐसे धर दबोचा

    Updated: Tue, 08 Apr 2025 09:57 PM (IST)

    दिल्ली पुलिस ने साइबर ठगों के एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो फर्जी सीबीआई और ईडी अधिकारी बनकर लोगों को ठग रहे थे। आरोपितों ने हाल ही में एक तलाकशुदा महिला को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में फंसाने के नाम पर 48 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट किया और उनके खाते से 8.10 लाख रुपये धोखे से ट्रांसफर करा लिए।

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    पुलिस की गिरफ्त में आरोपित व बरामद मोबाइल फोन। सौजन्य दिल्ली पुलिस।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। उत्तरी जिले की साइबर थाना पुलिस की टीम ने फर्जी सीबीआइ व ईडी अधिकारी बनकर लोगों को ठगने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए चार आरोपितों को गिरफ्तार किया है। हाल ही में आरोपितों ने एक तलाकशुदा महिला मनी लान्ड्रिंग के मामले में फंसाने के नाम पर 48 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट किया और उनके खाते से 8.10 लाख रुपये धोखे से ट्रांसफर करा लिए।

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    पुलिस टीम ने ग्रेटर कैलाश, कालकाजी और आरके पुरम के इलाकों में छापेमारी के बाद चार दिनों के भीतर आरोपितों को गिरफ्तार किया। आरोपितों की पहचान ईस्ट आफ कैलाश के राजा मंडल, अंबेडकर नगर के तुषार थापा, जमरूदपुर के सौरभ तिवारी और मोती बाग के अनूप कुमार तिवारी के रूप में हुई है। इनके कब्जे से अपराध में इस्तेमाल किए गए पांच मोबाइल फोन और कार बरामद की है।

    खुद को ईडी और सीबीआई विभाग का बताया अधिकारी

    उपायुक्त राजा बांठिया के मुताबिक, महिला शिकायतकर्ता ने शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि उसे एक अज्ञात नंबर से काल आई जिसने खुद को दूरसंचार विभाग से बताया। संदिग्ध टेली-कॉलर ने उसे उसके नाम पर नकली सिम कार्ड का इस्तेमाल करने की धमकी दी। इसके बाद उन्हें कुछ अज्ञात व्हाट्सएप नंबरों से वीडियो-कॉल आईं, जिन्होंने खुद को ईडी और सीबीआई विभाग से बताया।

    धोखेबाजों ने महिला शिकायतकर्ता को कुछ मनी लान्ड्रिंग मामले में उनकी संलिप्तता के बारे में धमकाया और गिरफ्तार करने की धमकी दी। उन्होंने भारत के सर्वोच्च न्यायालय, ईडी, सीबीआइ विभाग के लोगो आदि के नाम और मुहर का उपयोग करके उनके नाम पर जाली याचिकाओं की प्रतियां भी भेजीं। जालसाजों ने केस से उनका नाम हटाने के एवज में 8.10 लाख रुपये ऐंठ लिए। जब उन्हें ठगी का पता चला तो शिकायत दर्ज कराई।

    पुलिस ने तीन लोगों को किया गिरफ्तार

    एसीपी अशोक कुमार के मार्गदर्शन और इंस्पेक्टर रमन प्रताप सिंह की निगरानी में टीम गठित की गई। जांच के दौरान, कथित फोन नंबरों के काल डिटेल रिकॉर्ड मांगे गए, मनी ट्रेलिंग की गई और विभिन्न स्रोतों से अन्य तकनीकी विवरण प्राप्त किए गए।

    इसके बाद, जमरूदपुर, ईस्ट ऑफ कैलाश और ग्रेटर कैलाश आदि में आरोपितों के ठिकानों का पता लगाया गया। टीम ने संदिग्ध स्थानों पर छापेमारी करते हुए 31 मार्च को तीन आरोपितों राजा मंडल, तुषार थापा और सौरभ तिवारी को गिरफ्तार कर लिया।

    पूछताछ के दौरान पता चला कि सौरभ और तुषार अपने नाम पर फर्जी खाता खोलने के लिए उसी इलाके में स्थानीय व्यक्तियों को ढूंढते थे और उन्हें प्राप्त धन के प्रत्येक लेनदेन पर अच्छा कमीशन देने का लालच देते थे। उन्होंने एसएमएस अपडेट और ओटीपी प्राप्त करने के लिए बैंक खातों में नंबर का उपयोग करने के लिए नकली सिम कार्ड भी प्रदान किए।

    पुलिस फरार अन्य आरोपियों की कर रही तलाश

    इसके अलावा, आरोपित बैंक जाते थे और सेल्फ-चेक के माध्यम से ठगी गई राशि निकालते थे और इसे गंतव्य तक पहुंचाने के लिए किसी अन्य व्यक्ति को सौंप देते थे। संदिग्ध खाताधारक राजा मंडल ने बताया कि खाता उसके दोस्तों सौरभ और तुषार के निर्देश पर खोला गया था। उसने आगे बताया कि सौरभ ने अपने दोस्त तुषार के साथ मिलकर ठगी गई राशि को स्थानांतरित करने के लिए राजा मंडल का खाता प्रदान किया।

    इसके अलावा, जांच के दौरान चाणक्यपुरी और आरके पुरम में छापे मारे गए और इस मामले में तीन अप्रैल को आरके पुरम से एक अन्य आरोपित अनूप कुमार को भी गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में उसने बताया कि उसके खाते में लगभग 18 लाख रुपये भी आए थे। इसके अलावा गिरोह के अन्य आरोपित अपनी कार वहीं छोड़कर फरार हो गए, जिसे पुलिस ने जब्त कर लिया।

    अनूप ने बताया कि उसने अन्य आरोपितों निर्देश पर बैंक खाता खोला था। इसके अलावा उसने खाते में धोखाधड़ी की राशि प्राप्त की और सारा पैसा चेक और एटीएम के माध्यम से निकाला गया। उसे उस काम के लिए कमीशन मिली थी। पुलिस फरार अन्य आरोपितों को पकड़ने के साथ-साथ ठगी गई राशि की वसूली के लिए आगे की जांच कर रही है।

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