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    नौकरी जाने के बाद फुटपाथ पर पकौड़े तल रहीं DU की पूर्व प्रोफेसर डॉ. रितु, स्टॉल को दिया खास नाम

    Updated: Thu, 07 Mar 2024 07:58 PM (IST)

    डीयू के दौलतराम कॉलेज से हटाई गईं डॉ. रितु ने बताया जातिगत कारणों से उन्हें निकाला गया और अब वे न्याय की लड़ाई लड़ रही हैं। 2023 अगस्त से उन्होंने कला संकाय के बाहर प्रदर्शन किया था। इस दौरान उन पर एफआईआर हुई और सामान हटा दिया गया। अब जब उन पर कोई विकल्प नहीं बचा है तो वे पकौड़े बेचने को मजबूर हैं।

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    DU से हटाए जाने के बाद फुटपाथ पर पकौड़े तल रहीं पूर्व प्रोफेसर डॉ. रितु।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलतराम कॉलेज से हटाई गईं तदर्थ शिक्षिका डॉ. रितु सिंह कला संकाय के बाहर पकौड़े बेचने को मजबूर हैं। पीएचडी पकौड़े वाली के नाम से उन्होंने कला संकाय के बाहर स्टॉल लगाना शुरू किया था। हालांकि बाद में पुलिस ने गैर कानूनी बताते हुए हटा दिया और उन पर एफआईआर भी दर्ज कर ली। वे एक बार फिर स्टॉल लगाने वाली हैं।

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    डॉ. रितु ने बताया कि 2020 में उन्हें दौलतराम कॉलेज से हटा दिया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि जातिगत कारणों से उन्हें निकाला गया और अब वे न्याय की लड़ाई लड़ रही हैं। 2023 अगस्त से उन्होंने कला संकाय के बाहर प्रदर्शन किया था। इस दौरान उन पर एफआईआर हुई और सामान हटा दिया गया। अब जब उन पर कोई विकल्प नहीं बचा है तो वे पकौड़े बेचने को मजबूर हैं।

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    खाली पदों को भरने की थी मांग

    उन्होंने कहा कि जनवरी महीने में कुलपति प्रो. योगेश सिंह से उन्होंने मुलाकात की थी। उन्होंने डीयू और कॉलेज के आला अधिकारियों पर कार्रवाई किए जाने की मांग की थी और एससी-एसटी के सहायक प्राध्यापकों के खाली पदों को भरने के लिए स्पेशल ड्राइव शुरू करने की मांग की थी।

    पकौड़ों का रखा गया है विशेष नाम

    उन्होंने कहा, कुलपति की ओर से इस पर कोई जवाब नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि थक हारकर वे बेरोजगारों के लिए पकौड़े बेच रही हैं। उन्होंने मेन्यू में जुमला पकौड़ा, विशेष भर्ती अभियान पकौड़ा, एससी-एसटी-ओबीसी बैकलॉग पकौड़ा, विस्थापन पकौड़ा और बेरोजगारी स्पेशल चाय को शामिल किया है। उन्होंने अपने स्टाल पर दीक्षांत समारोह में अपनी डिग्री लेते हुए फोटो भी लगाई है।

    सामाजिक न्याय की लड़ रही लड़ाई

    मनोविज्ञान की प्राध्यापक रहीं डॉ. रितु ने कहा कि उन्हें नौकरी मिल सकती है, लेकिन वे सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ रही हैं। वंचित तबके के साथ अन्याय को वो रोकना चाहती हैं। न्याय मिलने तक वे लड़ाई जारी रखेंगी। एफआईआर उनके इरादे को रोक नहीं सकती है। गुरुवार को भी वे स्टॉल लगाने की तैयारी में जुटी थीं।

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