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Crackers Pollution: सांसों पर भारी पड़ेगा पटाखों का धुआं, इन बीमारियों का खतरा; बरतें ये सावधानी

Crackers Pollution दिल्ली में दिवाली के त्योहार पर पटाखे फोड़ने पर बैन है और लोगों को नियमों का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना भी देना पड़ेगा। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के कारण इन दिनों पहले से ही हवा की गुणवत्ता खराब बनी हुई है।

By Jagran NewsEdited By: Pradeep Kumar ChauhanPublished: Sat, 22 Oct 2022 08:22 PM (IST)Updated: Sat, 22 Oct 2022 08:31 PM (IST)
Crackers Pollution: कैंसर व अंग प्रत्यारोपण के मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है।

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। Crackers Pollution: दिल्ली में दिवाली के त्योहार पर पटाखे फोड़ने पर बैन है और लोगों को नियमों का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना भी देना पड़ेगा। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के कारण इन दिनों पहले से ही हवा की गुणवत्ता खराब बनी हुई है। ऐसे में दीवाली में पटाखे जलाने से प्रदूषण ज्यादा बढ़ जाएगा, जो सेहत पर भारी पड़ सकता है। खासतौर पर बच्चों, बुजुर्गों व पहले से ब्रोंकाइटिस, सीओपीडी (क्रोनिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज), अस्थमा, ब्लड प्रेशर, हृदय की बीमारियों सहित विभिन्न रोगों से पीड़ित मरीजों के लिए यह घातक भी साबित हो सकता है।

पटाखे जलाने से निकलती हैं जहरीली गैसें

आकाश सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के पल्मोनरी मेडिसिन के विशेषज्ञ डा. अक्षय बुधराजा ने कहा कि पटाखे जलाने से सल्फर आक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड जैसी जहरीली गैसें वातावरण में फैलती हैं। इसके अलावा वातावरण में पीएम-10 और पीएम-2.5 का स्तर बढ़ जाता है, जो स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

कैंसर व अंग प्रत्यारोपण के मरीजों की बढ़ सकती है परेशानी

कैंसर व अंग प्रत्यारोपण के मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। प्रदूषण भी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर करता है। इसे वजह से कैंसर व अंग प्रत्यारोपण कराने वाले मरीजों की परेशानी बढ़ सकती है। डा. अक्षय ने कहा कि लंबे समय तक प्रदूषण से फेफड़े का कैंसर भी होता है।

आंखों में जलन और एलर्जी की समस्या

वातावरण में जहरीली गैसें व प्रदूषक तत्व बढ़ने से एलर्जी होती है। इससे आंखों में जलन व त्वचा पर एलर्जी की समस्या हो सकती है।सांस की नली में संक्रमण वातावरण में मौजूद प्रदूषक तत्व व जहरीली गैसें सांस के जरिये शरीर में प्रवेश करने पर सांस की नली में संक्रमण हो सकता है। इस वजह से खांसी व सांस की नली में सिकुड़न होने पर सांस लेने में परेशानी हो सकती है।

ब्रोंकाइटिव व अस्थमा का अटैक बढ़ने का खतरा

पीएम-10 व पीएम-2.5 जैसे सूक्ष्म कण सांस के जरिये फेफड़े में पहुंचते हैं। इससे ब्रोंकाइटिस, सीओपीडी, अस्थमा के मरीजों की बीमारी बढ़ सकती है। इस वजह से अस्थमा का अटैक भी हो सकता है। जिन बच्चों को पहले से ब्रोंकाइटिस व अस्थमा की समस्या रहती है, उनकी बीमारी बढ़ सकती है। ऐसी स्थिति में नेबुलाइज व आक्सीजन देने की जरूरत पढ़ सकती है।

बढ़ सकता है ब्लड प्रेशर

पीएम-2.5 बहुत सूक्ष्म कण होने के कारण फेफड़े से होते हुए ब्लड में पहुंच जाता है। इस वजह से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। ऐसे में ब्लड प्रेशर व हृदय की बीमारी से पीड़ित पुराने मरीजों की समस्या बढ़ सकती है।हार्ट अटैकप्रदूषण के कारण ब्लड प्रेशर बढ़ने से धमनियों में ब्लाकेज होने का खतरा रहता है। इससे हार्ट अटैक व लकवा का खतरा हो सकता है।

गठिया मरीजों की बढ़ सकती है परेशानी

एम्स के रुमेटोलाजी विभाग की अध्यक्ष डा. उमा कुमार ने कहा कि अध्ययन में यह देखा गया है कि प्रदूषण बढ़ने पर शरीर में सूजन के लिए जिम्मेदार मार्कर बढ़ जाते हैं। इस वजह से गठिया के मरीजों का दर्द और परेशानी बढ़ जाती है। गठिया के बहुत मरीजों को फेफड़े व हृदय की बीमारी भी होती है। आतिशबाजी के कारण प्रदूषण बढ़ने पर उनकी सांस की परेशानी बढ़ सकती है। दिल्ली में पहले से ही प्रदूषण की समस्या बनी हुई है। इस वजह से लोगों को स्वच्छ हवा नहीं मिल पाती। इसलिए लोगों को पटाखे नहीं जलाने चाहिए।

सुबह सैर पर न जाएं

सुबह प्रदूषण अधिक रहने लगा है। इसलिए सांस व हृदय की बीमारियों से पीड़ित लोग सुबह में सैर न करें। प्रदूषण में सुबह की सैर खतरनाक साबित हो सकती है।

इन बातों का रखें ध्यान

  • आतिशबाजी के दौरान कमरे व घर की खिड़कियों को ठीक से बंद करके रखें। घर में ही रहें।
  • घर से बाहर जाना जरूरी हो तो एन-95 मास्क का इस्तेमाल करें और अपनी दवाएं नियमित रूप से लेते रहें। 
  • दीवाली में आतिशबाजी के कारण हर साल हवा की गुणवत्ता खतरनाक श्रेणी में पहुंच जाती है। इसके बाद कई दिनों तक यह समस्या बनी रहती है। यदि संभव हो तो पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोग दिल्ली से बाहर ऐसी जगह पर चले जाएं, जहां आबादी कम है। --डा. अरविंद कुमार, संस्थापक, लंग केयर फाउंडेशन

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पटाखे में मौजूद ये कैमिकल पहुचाते हैं नुकसान

  • कॉपर: ये आपके श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है
  • कैडमियम: ये आपके खून में ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता को कम करके एनीमिया की ओर ले जाता है।
  • जिंक: इसके हवा में अधिक होने से धुआं अधिक होता है। आपका दम घुटने लगता है और उलटी आती है।
  • सीसा: तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचाता है।
  • मैग्नीशियम: हवा में मैग्नीशियम होने से आपको बुखार आ सकता है।
  • सोडियम: यह अत्यधिक क्रियाशील तत्व है। ये जलन पैदा कर सकता है।

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