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    Kisan Andolan: 23 जनवरी को राजभवन तक निकालेंगे मार्च, 26 जनवरी को दिल्ली में निकलेगी ट्रैक्टर किसान परेड

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Sat, 02 Jan 2021 01:33 PM (IST)

    Kisan Andolan किसानों ने बैठक के बाद फाइनल किया है कि 4 जनवरी तक सरकार के पास समय है। वह किसानों के ड्राफ्ट के अनुसार बची हुई दो प्रमुख मांगों पर चर्चा शुरू करके इनका हल दे।

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    किसानों ने आंदोलन को आगे बढ़ाने की रूपरेखा भी तैयार कर ली है।

    नई दिल्ली/सोनीपत/गाजियाबाद, जागरण न्यूज नेटवर्क। तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को रद कराने की मांग को लेकर सिंघु बॉर्डर पर बैठे किसानों का धरना-प्रदर्शन शनिवार को 38वें दिन में प्रवेश कर गया। सिंघु के साथ टीकरी और दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर पर भी बढ़ी संख्या में किसान तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं।इस बीच शनिवार दोपहर में दिल्ली स्थित प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता के दौरान किसान संगठनों ने एलान किया है कि आगामी 6 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा, इसी के साथ 15 जनवरी तक भाजपा नेताओं का घेराव किया जाएगा। फिर 23 जनवरी को सुभाषचंद्र बोस के जन्मदिन तक राज्यपाल भवन तक मार्च निकाला जाएगा। आखिर में 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर किसान परेड मार्च होगा। संयुक्त किसान मोर्चा की इस पत्रकार वार्ता में बीएस राजेवाल, दर्शन पाल, गुरुनाम सिंह, जगजीत सिंह, शिव कुमार शर्मा कक्का व योगेन्द्र यादव शामिल हुए। उन्होंने कहा है कि अगर 4 जनवरी को हमारी बात नहीं मानी गई तो आंदोलन तेज किया जाएगा।

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    वहीं, कृषि कानूनों को लेकर यूपी गेट पर चल रहे किसान आंदोलन में प्रदेश के रामपुर जनपद के बिलासपुर निवासी कश्मीर सिंह ने गले में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। उनके पास से एक सुसाइड नोट भी मिला है। जानकारी के मुताबिक, इसमें उन्होंने अपनी जीवन लीला समाप्त करने के पीछे खुद को जिम्मेदार ठहराया है। किसान की मौत की खबर पर आंदोलन स्थल के किसानों में शोक है। पुलिस भी मौके पर पहुंच गई है। वही किसान संगठनों ने आंदोलन स्थल के मंच से मृतक किसान को भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

    तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की जिद पर अड़े सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों का धरना शुक्रवार को भी जारी रहा। हालांकि नव वर्ष के आगमन का न तो किसानों में कोई उत्साह दिखा और न ही धरना स्थल पर भीड़ ही नजर आई। यहां घूमने-फिरने के मकसद से आने वाले लोगों की आवाजाही तो रही, लेकिन उनकी भी तादाद कम ही दिखी। लोगों की कमी के कारण दिनभर चलने वाले लंगर दोपहर में ही बंद कर दिए गए । किसान नेताओं ने पंजाब व हरियाणा के लोगों से आह्वान किया था कि वह नए साल में सिंघु बार्डर पर आकर आंदोलन का समर्थन करें। ऐसे में यह उम्मीद की जा रही थी कि एक जनवरी को यहां बड़ी संख्या में लोग पहुंचेंगे। लेकिन, उम्मीद के विपरीत शुक्रवार को कम बेहद कम संख्या में लोग पहुंचे। बता दें कि किसान संगठन सिघु बार्डर पर पिछले एक माह से ज्यादा समय से डटे हुए हैं। बताया जा रहा है कि रविवार को किसानों प्रदर्शनकारियों की संख्या में इजाफा हो सकता है, क्योंकि वीकेंड के चलते यहां पर संख्या बढ़ सकती है।

    किसान नेताओं का केंद्र सरकार के साथ कई दौर की वार्ता हो चुकी हैं। लेकिन, उन वार्ताओं का अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका है। हालिया वार्ता 30 दिसंबर को हुई, जिसमें किसान नेताओं व केंद्र सरकार के बीच कुछ सहमति बनी है। अब अगली वार्ता चार जनवरी को होगी।

    वहीं, कुंडली बॉर्डर (सिंघु बॉर्डर) पर बैठे किसान आंदोलन का रुख 4 जनवरी की वार्ता तय करेगी। इस बीच किसानों ने आंदोलन को आगे बढ़ाने की रूपरेखा भी तैयार कर ली है।

    किसानों ने कहा है कि अगर बातचीत सिरे नहीं चढ़ी, तो 6 जनवरी को कुंडली और टीकरी बार्डर से ट्रैक्टर यात्रा शुरू की जाएगी। दरअसल, छठे दौर की बातचीत में सरकार ने जिस तरह से सकारात्मक रुख दिखाया है, इसके बाद किसान भी शांत हैं और 4 जवरी तक सारे नये आंदोलन टाल रखे हैं। फिलहाल, कुंडली समेत अन्य बार्डर पर किसान नेता रूटीन में किसानों के बीच बात रख रहे हैं और अब तक आंदोलन को लेकर जो कुछ हुआ है, वही जानकारी दे रहे हैं। इधर, नये साल के मौके पर संयुक्त मोर्चा की दिनभर बैठक चली है। इसमें पंजाब के प्रमुख 32 संगठन और हरियाणा के 18 संगठन के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

    इनमें मुख्य रूप से ऋषिपाल अंबावता, डा. दर्शनपाल, जगजीत दल्लेवाल, मंजीत राय, बूटा सिंह बुर्जगिल, बलबीर सिंह राजेवाल, राकेश टिकैट, युद्धबीर सिंह, शमशेर दहिया, गुरनाम चढूनी आदि शामिल हैं। किसानों ने बैठक के बाद फाइनल किया है कि 4 जनवरी तक सरकार के पास समय है। वह किसानों के ड्राफ्ट के अनुसार बची हुई दो प्रमुख मांगों पर चर्चा शुरू करके इनका हल दे।

     

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