क्या आप जानते हैं दिल्ली में एनालाॅग पनीर के कारोबार की सच्चाई? रोज 57 टन पनीर की सप्लाई में से 35 टन है नकली
दिल्ली में नकली पनीर का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। हर दिन 57 टन पनीर की खपत में से 35 टन नकली होता है। यह कालाधंधा एफएसएसएआई के टोफू नियम की आड़ में चल रहा है। नकली पनीर वनस्पति तेल और हानिकारक पदार्थों से बनता है जिससे दिल की बीमारियां और पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
अनूप कुमार सिंह, नई दिल्ली। नकली (एनालाॅग) पनीर दिल्ली के लोगों की सेहत बिगाड़ रहा है। राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर दिल्ली के उपभोक्ताओं की लगातार मिल रही शिकायतों को देखते हुए केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रल्हाद जोशी को कड़ी कार्रवाई के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को पत्र लिखने पर मजबूर होना पड़ा।
दिल्ली सरकार और नगर निगम दिल्ली को भी इस पर एडवाइजरी जारी करनी पड़ी। दिल्ली में 57 टन पनीर प्रतिदिन का बाजार है, जिसकी पूर्ति के लिए 35 टन नकली पनीर यहां खपाया जा रहा है।
आरोप है कि राष्ट्रीय राजधानी में नकली पनीर का यह गोरखधंधा भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के टोफू (सोयाबीन के दूध से बना) ‘एनालाग पनीर’ नियम की आड़ में किया जा रहा है।
खाद्य सुरक्षा विभाग के डेजिनेटेड ऑफीसर रंजीत सिंह का कहना है कि दिल्ली में नकली पनीर की शिकायतें मिल रही हैं। एफएसएसएआई और विभाग लगातार कार्रवाई भी कर रहे हैं।
दिल्ली-एनसीआर में बड़ा धंधा
दिल्ली के करावल नगर इलाके में खाद्य सुरक्षा विभाग और दिल्ली पुलिस की पिछले महीने की गई संयुक्त कार्रवाई में 600 किलो नकली पनीर जब्त किया।
इसे अलीगढ़ से ट्रक में सीलमपुर, शाहदरा तथा पूर्वी दिल्ली के रेस्तरां और ढाबों में सप्लाई के लिए लाया गया था। सीलमपुर निवासी दूध-डेयरी संचालक अशरफ खां के अनुसार दिल्ली में पनीर की जितनी मांग है, उतना दूध मिलना मुश्किल है।
पशुपालन विभाग के अनुसार दिल्ली में प्रतिदिन 50 से 55 लाख लीटर दूध की ही उपलब्धता है, जबकि 57 टन पनीर बनाने में करीब तीन करोड़ लीटर दूध (एक किलो पनीर बनाने में औसतन छह लीटर दूध चाहिए) की आवश्यकता होती है।
करावल नगर डेयरी मालिक संतोष कुंवर बताते हैं कि मांग और आपूर्ति के इसी अंतर ने दिल्ली में नकली दूध व पनीर का बड़ा बाजार खड़ा किया है।
मेरठ, बुलंदशहर, गाजियाबाद, हापुड़ और अलीगढ़ से प्रतिदिन इसकी आपूर्ति हो रही है और हम जैसे असली पनीर-दूध वालों की साख और आमदनी दोनों बिगाड़ रही है।
ऐसे बनता है नकली पनीर
नकली पनीर में दूध की जगह वनस्पति तेल, इमल्सिफायर और फ्लेवरिंग एजेंट्स का मिश्रण गर्म कर जमाया जाता है। एसिड (साइट्रिक या सिरका) डालकर इसे ब्लाॅक का आकार दिया जाता है, इसकी लागत 180–200 रुपये प्रति खपत आती है।
जबकि एक किलो असली पनीर बनाने में गाय के करीब आठ लीटर और भैंस के करीब छह लीटर दूध की आवश्यकता होती है। गाय के दूध के पनीर की लागत 450 रुपये और भैंस के दूध के पनीर की लागत 480 तक आती है।
स्वास्थ्य पर असर
नकली पनीर में ट्रांस फैट और संतृप्त वसा की मात्रा ज्यादा होती है। इससे दिल की बीमारियां, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और पाचन तंत्र की गड़बड़ी का खतरा बढ़ता है।
इसमें प्रोटीन और कैल्शियम की कमी रहती है। बच्चों और बुजुर्गों में यह पाचन संबंधी समस्या और लिवर-हार्ट पर प्रतिकूल असर डालता है।
इस वर्ष की गई कार्रवाई
- जुलाई 2025 : एफएसएसएआई ने दिल्ली समेत कई राज्यों से 4000 किलो नकली पनीर जब्त किया। दिल्ली में यह कार्रवाई रेस्टोरेंट्स, फास्ट फूड जाइंट्स और बाजारों में हुई।
- जुलाई 2025: दिल्ली से कटरा ले जाया जा रहा 800 किलोग्राम नकली पनीर जम्मू में जब्त किया।
- नोएडा पुलिस ने 30 जून को रेड बुल सर्सटेस् क्लीन स्टार्च, रंग, ब्लू केमिकल कंपाउंड, पामओलिन आयल से बना 1,400 किग्रा से अधिक नकली पनीर पकड़ा। दिल्ली में किया जाना था सप्लाई।
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