नकली NCERT किताबों का भंडाफोड़, इतने करोड़ का माल देख दंग रह गए अफसर; 25 साल से चल रहा था खेल
पूर्वी दिल्ली के शाहदरा जिले में पुलिस ने एनसीईआरटी की नकली किताबों का भंडाफोड़ किया है। अलीपुर स्थित एक गोदाम पर छापा मारकर 2.4 करोड़ रुपये से अधिक की 1.7 लाख किताबें बरामद की गईं। कॉपीराइट के तहत मामला दर्ज करके तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पूछताछ में पता चला कि आरोपी जल्दी मुनाफे के लालच में आकर पायरेटेड किताबों का धंधा कर रहे थे।

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। शाहदरा जिला पुलिस ने NCERT की नकली किताबें पकड़ीं। अलीपुर स्थित एक गोदाम पर छापा मारकर 1.7 लाख किताबें बरामद की गईं। किताबों की कुल कीमत 2.4 करोड़ रुपये से अधिक है। कॉपीराइट के तहत मामला दर्ज किया गया। तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस के अनुसार, शाहदरा जिले को एक विश्वसनीय गुप्त मुखबिर द्वारा सूचना दी गई थी। मंडोली रोड शाहदरा, पीएस एमएस पार्क और अन्य क्षेत्रों में नकली एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों की अवैध बिक्री के बारे में सूचना मिली थी। मुखबिर ने विशेष रूप से अधिकारियों को एक दुकान के बारे में बताया जो अवैध रूप से पायरेटेड शैक्षिक सामग्री बेच रही थी।
टीम ने आसपास के इलाकों से खुफिया जानकारी जुटाई और मंडोली रोड के आसपास के कई लोगों से पूछताछ की। हालांकि, ये लोग सहयोग नहीं कर रहे थे और बिना कोई उपयोगी जानकारी दिए ही घटनास्थल से चले गए।
इतने लोग शामिल
दुकान चलाते हुए पाए गए दो व्यक्ति, प्रशांत गुप्ता (48 वर्ष) और निशांत गुप्ता (26 वर्ष) की पहचान अनुपम सेल्स के मालिकों के रूप में की गई और छापे के समय वे दुकान पर मौजूद पाए गए। उनके साथ, लगभग 5-6 मजदूर पाए गए, जो कथित तौर पर अवैध गतिविधियों में सहायता कर रहे थे।
छापेमारी और उसके बाद नकली सामग्री की बरामदगी के परिणामस्वरूप, पुलिस स्टेशन एम.एस. पार्क में धारा 318 बीएनएस (2023) और कॉपीराइट अधिनियम (1957) की धारा 63/65 के तहत मामला एफआईआर संख्या 242/25 दर्ज किया गया। दोनों आरोपियों को आगे की पूछताछ और बाद की कानूनी कार्रवाई के लिए पुलिस हिरासत में ले लिया गया।
दोनों आरोपियों से पूछताछ में पता चला कि प्रशांत गुप्ता पिछले 25 सालों से दुकान चला रहा था और उसका बेटा निशांत गुप्ता 5 साल पहले इस धंधे में शामिल हुआ था। जल्दी मुनाफे के लालच में आकर उन्होंने पायरेटेड किताबों का धंधा शुरू कर दिया था। उन्होंने कबूल किया कि वे दिल्ली के अलीपुर के पास हिरनकी की दुकान से ये नकली किताबें खरीदते थे और फिर उन्हें अपनी दुकान पर बेचने के लिए लाते थे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।