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    दिल्ली में संगठित उद्योग बनता जा रहा है नकली दवाओं का कारोबार, 20 करोड़ की मेडिसीन जब्त; कई गिरफ्तारियां

    Updated: Sun, 29 Jun 2025 09:34 PM (IST)

    दिल्ली में नकली दवाओं का संगठित कारोबार बढ़ रहा है। पिछले तीन सालों में 20 करोड़ से ज़्यादा की नकली दवाएं ज़ब्त की गई हैं और कई गिरफ्तारियां हुई हैं। कमजोर निगरानी भ्रष्टाचार और मुनाफे के लालच के कारण यह कारोबार फल-फूल रहा है। पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है लेकिन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और पड़ोसी राज्यों से भी नकली दवाओं की सप्लाई जारी है।

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    राष्ट्रीय राजधानी में संगठित उद्योग बनता जा रहा है नकली दवाओं का कारोबार।

    अनूप कुमार सिंह, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में नकली दवाओं का कारोबार अब संगठित उद्योग बनता जा रहा है। पिछले तीन वर्षों में दिल्ली में पकड़ी गईं 20 करोड़ से अधिक की नकली दवाओं और इन मामलों में 39 से की हुई गिरफ्तारी इसकी पुष्टि करने को काफी है।

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    एम्स व अन्य बड़े अस्पताल होने के कारण दिल्ली में कैंसर, किडनी, लिवर, डायबिटीज हाइपरटेंशन और हृदय संबंधी गंभीर रोगों से संबंधित दवाओं की मांग अधिक होने से इनकी नकली दवा यहां आसानी से खपाई जा रही हैं।

    इसका प्रमुख कारण कमजोर निगरानी तंत्र, भ्रष्टाचार और मोटे मुनाफे का लालच है। भारत विश्व का सबसे बड़ा जेनेरिक दवा उत्पादक है, जो वैश्विक स्तर पर 50 प्रतिशत टीकों, अमेरिका में 40 प्रतिशत जेनेरिक दवाओं और यूके में 25 प्रतिशत दवाओं की आपूर्ति करता है।

    दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के उपायुक्त विक्रम सिंह ने बताया कि हाल ही में कैंसर की नकली दवाओं की खेप पकड़ी गई थी। पुलिस लगातार इन पर कार्रवाई कर रही है। क्राइम ब्रांच ने पिछले वर्ष भी नकली दवा बनाने-बेचने के रैकेट पकड़ा था। इस कार्रवाई में करीब एक करोड़ की नकली दवा, मशीनरी और पैकेजिंग सामग्री जब्त की गई थी।

    इस मामले में 10 आरोपितों को भी पकड़ा गया था, जिसमें से पांच के पास फार्मेसी की डिग्री थी। जो बड़ी कंपनियों के ब्रांड नेम से नकली दवाओं को पैकेजिंग कर उन्हें बेचने का काम कर रहे थे। इनका नेटवर्क दिल्ली-एनसीआर के साथ ही उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल, बिहार और उत्तराखंड तक फैला हुआ था।

    मिलीभगत

    • बड़े अस्पतालों और फार्मेसी से कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों की दवाओं, इंजेक्शन की खाली शीशियों को एकत्र कर उनमें नकली दवा भर दोबारा पैक कर बेचा जाता है।
    • दिल्ली के अलावा गोरखपुर और कानपुर आदि में थोक दवा व्यापारी नकली दवाओं को बाजार में खपाने में शामिल हैं।
    • ऑनलाइन बाजार: कुछ नकली दवा आनलाइन प्लेटफार्म के जरिये सस्ते दामों पर बेची जाती हैं, जहां उनकी प्रामाणिकता की जांच मुश्किल है।
    • नकली दवाओं को असली दवाओं की खेप में मिलाकर सप्लाई किया जाता है, जिससे जांच में पकड़ मुश्किल हो।

    सप्लाई-बिक्री

    दिल्ली में नकली दवा स्थानीय अवैध फैक्ट्रियों, आसपास के क्षेत्रों उप्र के गाजियाबाद, आगरा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड से आती हैं। कच्चा माल मुख्य रूप से मुंबई से मंगवाया जाता है। नकली दवा को उत्तर भारत (उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड), पश्चिमी भारत (गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान) और बिहार में सप्लाई की जाती हैं। कुछ मामलों में विदेशों में भी। यह कारोबार संगठित नेटवर्क और परिवहन के माध्यम से चलता है, जिसमें नकली दवा माफिया और बिना लाइसेंस की फैक्ट्रियां शामिल हैं।

    निर्यात के रास्ते: नकली दवाएं अक्सर दुबई, नेपाल और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के माध्यम से ट्रांजिट होती हैं। आनलाइन फार्मेसी और डार्क वेब भी इन दवाओं के वैश्विक वितरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

    पिछले तीन वर्षों में हुई प्रमुख कार्रवाई

    • जून 2025-नकली रोसुवास एफ-20 टैबलेट का वितरण नेटवर्क पकड़ा
    • जून, 2025: काठमांडू (नेपाल) के माध्यम से भारत में लाई गई नकली कैंसर दवाओं के रैकेट का दिल्ली पुलिस ने भंडाफोड़ किया। यह रैकेट दिल्ली के लक्ष्मी नगर, बुद्ध विहार और चांदनी चौक से धंधे को संचालित कर रहा था।
    • दिसंबर, 2024 : औषधि नियंत्रण विभाग और दिल्ली पुलिस ने राजेंद्र नगर (गाजियाबाद) में एक करोड़ 10 लाख की नकली दवा पकड़ी
    • मार्च, 2024 में दिल्ली पुलिस ने चार करोड़ रुपये की नकली कैंसर दवा और इंजेक्शन जब्त किए।
    • 2022-23: गाम्बिया और उज़्बेकिस्तान में नकली कफ सिरप की आपूर्ति का आरोप
    • अप्रैल, 2023 में दिल्ली एक नामी कंपनी की नकली दवा बनाने वाले दो आरोपितों को गिरफ्तार दिल्ली पुलिस ने भारी मात्रा में नकली जीवनरक्षक दवा बरामद की।
    • दिसंबर, 2022- दिल्ली पुलिस ने कैंसर और डायबिटीज की 50 लाख रुपये से अधिक की नकली दवाएं बरामद कीं।
    • नवंबर, 2022- दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने आठ करोड़ रुपये की नकली कैंसर दवाएं जब्त कीं।