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    दिल्ली में गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन बढ़ने के बावजूद क्यों घटी इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीदारी, वजह आई सामने

    Updated: Sat, 02 Aug 2025 12:44 PM (IST)

    दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी बंद होने से पंजीकरण में गिरावट आई है। जुलाई में कुल वाहन पंजीकरण बढ़ने के बावजूद इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या में वृद्धि नहीं हुई। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार की उदासीनता और सब्सिडी की कमी के कारण लोग इलेक्ट्रिक वाहनों से दूर हो रहे हैं। हाइब्रिड कारों पर सब्सिडी न होने से पड़ोसी राज्यों में पंजीकरण बढ़ रहा है।

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    जुलाई में बढ़ा कुल वाहनों का पंजीकरण, मगर इलेक्ट्रिक का नहीं। फाइल फोटो

    वी के शुक्ला, नई दिल्ली। दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी बंद रहने का असर सीधे तौर पर उनके पंजीकरण के मामले में दिख रहा है। दिल्ली में एक तरफ जहां कुल वाहनों का पंजीकरण जुलाई में बढ़कर 67000 हो गया।

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    वहीं इलेक्ट्रिक वाहनों का पंजीकरण उस हिसाब से नहीं बढ़ा है और कुल मिलाकर इस श्रेणी के 3400 वाहन ही पंजीकृत हुए हैं। परिवहन विशेषज्ञों की मानें तो जब तक सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों के मामले में गंभीर नहीं होगी और सब्सिडी सहित अन्य सुविधाओं जारी नहीं करेगी, इलेक्ट्रिक वाहनों के मामले में पंजीकरण बढ़ाना काफी कठिन है।

    स्थिति पर गौर करें तो जनवरी 2024 से दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहनों के पंजीकरण पर सब्सिडी बंद है। 2024 में दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार थी, उस समय लगभग एक साल तक दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहनों के पंजीकरण पर सब्सिडी नहीं मिल सकी।

    यानी जनवरी 2024 से जनवरी 2025 तक सब्सिडी नहीं दी गई। फरवरी 2025 में जब दिल्ली में भाजपा सरकार आई तो लोगों को उम्मीद जगी थी कि अब तो सब्सिडी मिलनी शुरू होगी।

    भाजपा सरकार ने आप सरकार की इलेक्ट्रिक वाहन नीति को तो अगे बढ़ाया है, यह नीति 31 मार्च 2026 तक के लिए बढ़ा दी गई है। मगर इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी के मामले में अभी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई गई है।

    ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहनों का पंजीकरण लगातार गिर रहा है। 2022-23 में इलेक्ट्रिक वाहनों का पंजीकरण जो ऊपर की ओर बढ़ रहा था वह 2024 से लगातार नीचे गिर रहा है।

    यहां गौर करने वाली बात है कि जुलाई में कुल वाहनों का पंजीकरण तो बढ़ रहा है मगर इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर लोगों का रुझान नहीं है। इसका एक कारण इलेक्ट्रिक वाहनों का अत्यधिक महंगा होना भी माना जा रहा है।

    वहीं सरकार ने हाइब्रिड कारों पर सब्सिडी का भी फैसला नहीं लिया है, ऐसे में उत्तर प्रदेश में ये कारें दो से लेकर ढाई लाख तक सस्ती हैं और दिल्ली के लोग उत्तर प्रदेश में ये कारें पंजीकृत करा रहे हैं। इसका भी नुकसान दिली को हो रहा है।