AgustaWestland मामले में बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल जेम्स ने की रिहाई की अपील, ED ने किया विरोध
अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने क्रिश्चियन मिशेल की रिहाई का विरोध किया है। ईडी ने अदालत में कहा कि मिशेल की दलीलें भ्रामक हैं और प्रत्यर्पण संधि के अनुसार उसकी रिहाई संभव नहीं है। मिशेल ने सीआरपीसी की धारा 436-ए के तहत रिहाई की मांग की थी जिसे ईडी ने खारिज करने की मांग की है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकाप्टर घोटाले से जुड़े मनी लान्ड्रिंग मामले में बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल जेम्स के रिहाई के दावे का मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने विरोध किया है।
राउज एवेन्यू की विशेष अदालत में दाखिल जवाब में ईडी ने कहा कि इस मामले में मिशेल की दलीलें भ्रामक और बिना किसी आधार के हैं।
विशेष न्यायाधीश संजय जिंदल के समक्ष दाखिल जवाब में ईडी ने कहा कि संयुक्त अरब अमीरात के साथ 'प्रत्यर्पण संधि' का अनुच्छेद-17 न केवल उन अपराधों के लिए मुकदमे की अनुमति देता है, बल्कि संबंधित अपराधों के लिए भी मुकदमे की अनुमति देता है।
अनुच्छेद-17 किसी आरोपित व्यक्ति के प्रत्यर्पण की मांग की जाती है। वहीं, चार अगस्त को जेम्स ने अपने वकील के माध्यम से अदालत को बताया था कि संयुक्त अरब अमीरात से भारत प्रत्यर्पित करने से जुड़े अपराधों के लिए निर्धारित अधिकतम सजा की अवधि पहले ही काट चुका है।
ऐसे में वह सीआरपीसी की धारा 436-ए के प्रविधानों के तहत रिहाई का हकदार है। यह धारा उस अधिकतम अवधि से संबंधित है जिसके लिए एक विचाराधीन कैदी को हिरासत में रखा जा सकता है।
इसमें कहा गया है कि यदि किसी विचाराधीन कैदी को अपराध के लिए निर्दिष्ट अधिकतम कारावास अवधि के आधे तक की अवधि के लिए हिरासत में रखा गया है तो उसे निजी मुचलके पर, जमानत के साथ या बिना जमानत के रिहा किया जाना चाहिए।
यह प्रविधान उन अपराधों पर लागू होता है जिनमें मृत्युदंड नहीं दिया जा सकता। जांच एजेंसी ने कहा कि जेम्स की अपनी स्वीकारोक्ति के अनुसार उसे ईडी द्वारा 22 दिसंबर 2018 को मनी लान्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था।
पीएमएलए की धारा-चार के अनुसार संबंधित अपराधों के लिए निर्धारित अधिकतम सजा सात वर्ष है और वर्तमान मामले में मिशेल की गिरफ्तारी की तारीख 22 दिसंबर 2018 है, इसलिए अपराध के लिए प्रदान की गई कारावास की अधिकतम अवधि अभी समाप्त नहीं हुई है।
ऐसे में सीआरपीसी की धारा 436-ए के प्रविधानों के तहत आरोपित द्वारा मांगी गई वर्तमान पात्रता समय से पहले की है और खारिज किए जाने योग्य है। सीबीआई ने भी जेम्स की रिहाई का विरोध किया है। मिशेल को सीबीआई मामले में फरवरी 2025 में जमानत मिल चुकी है।
जबकि शीर्ष अदालत के निर्णय के दो सप्ताह के अंदर दिल्ली हाई कोर्ट ने उसे मनी लान्ड्रिंग मामले में जमानत दे दी थी। हालांकि, मिशेल ने पासपोर्ट के नवीनीकरण के इंतजार में बेल बांड नहीं भरा था और वह अब भी तिहाड़ जेल में बंद है।
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