'आज नहीं गया तो नौकरी से निकाल देंगे...', मरीजों को मौत के मुंह से बचाने वाले कर्मचारी ने खुद गंवाई जान
पूर्वी दिल्ली के एक अस्पताल में सफाई कर्मचारी अमित ने अपनी जान पर खेलकर दो मरीजों को बचाया पर खुद की जान गंवा दी। लोगों ने उसे छत पर देखा था लेकिन बाद में उसका शव शौचालय में मिला। परिवार ने बताया कि नौकरी जाने के डर से वह राखी के दिन भी ड्यूटी पर गया था। अमित की मौत से अस्पताल में शोक है।

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। अस्पताल में मरीजों को मौत के मुंह से बचाने वाला सफाई कर्मचारी उनके लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं है। खुद की जान की परवाह किए बिना अमित ने अस्पताल में भर्ती दो मरीजों को सुरक्षित तरीके से बाहर निकाला। दूसरों की जान बचाते-बचाते उसकी खुद की जान चली गई। उसकी मौत से परिवार से लेकर अस्पताल के डॉक्टर व कर्मचारी तक सदमे में हैं।
लोग हैरान इस बात से हैं वह मरीजों को बाहर करके दोबारा अंदर यह देखने गया कि कोई रह तो नहीं गया। वह अस्पताल की छत पर पहुंच गया था। बाहर खड़ी भीड़ ने उसे छत पर देखा। अस्पताल के डाक्टर व कर्मचारियों ने शोर मचाकर उससे यह भी कहा कि वह अब नीचे न जाए।
अंदर से बंद था शौचालय का दरवाजा
अस्पताल के एक कर्मचारी की उससे फोन पर भी बात हुई। उससे कहा गया कि वह छत पर सुरक्षित है नीचे न आए, क्योंकि धुआं बहुत है। करीब छह मिनट तक छत पर रहने के बाद वह गायब हो गया। दमकल व पुलिस मौके पर पहुंची और दूसरी मंजिल से अचेत पड़े दो कर्मचारियों को सुरक्षित बाहर निकाला।
जब कर्मचारियों को अमित नहीं दिखा तो शोर मचा कि वह कहां रह गया। उसका फोन भी नहीं लग रहा था। दमकलकर्मी छत पर पहुंचे तो वहां अमित नहीं मिला। तीसरी मंजिल पर आए तो शौचालय का दरवाजा अंदर से बंद था। दरवाजा तोड़ा तो अमित का शव अंदर पड़ा हुआ था।
आशंका है कि वह छत से नीचे आ रहा था। धुआं अधिक होने पर जान बचाने के लिए वह शौचालय में छिप गया। अस्पताल के कर्मचारी शोएब ने बताया कि अमित ने दो मरीजों को सुरक्षित बाहर निकाला था।
अस्पताल के बाहर खड़े सब लोगों ने अमित को छत पर देखा था। अमित अस्पताल के मरीजों के लिए फरिश्ता बने थे। अमित अपने परिवार के साथ अशोक नगर में रहते थे। परिवार में पिता अनिल कुमार, मां सुदेश, दो छोटे भाई हैं। अनिल का गांधी नगर में कपड़ों का काम है।
परिवार ने अमित से कहा था राखी है आज ड्यूटी पर न जाए
परिवार ने बताया कि अमित पिछले पांच वर्षों से अस्पताल में नौकरी कर रहे थे। शनिवार को रक्षाबंधन था। परिवार ने अमित से कहा था कि वह ड्यूटी पर न जाए तो इसपर उसने जवाब दिया था अगर वह नहीं गया तो उसे नौकरी से निकाल देंगे।
क्रोनोलोजी
- 26 मई 2024 : विवेक विहार स्थित बेबी केयर न्यू बोर्न अस्पताल में भीषण आग लगी। आग में सात नवजात बच्चों की मौत हुई थी ।
- 25 जून 2024 : सफदरजंग अस्पताल की पुरानी इमरजेंसी में आग लगी। 70 मरीजों को सुरक्षित बाहर निकाला गया।
- 5 जून 2024 : लाजपत नगर स्थित आई-7 अस्पताल में भीषण आग लगी। दमकल ने आग पर पाया काबू
ये मरीज अस्पताल में भर्ती थे, जिन्हें पुष्पांजलि अस्पताल में किया गया रेफर
- ब्रजपाल (89)
- मुंशीलाल (75)
- रनदत्ता (77)
- प्रदीप (45)
- शेखर (21)
- धिन्मय (40)
- नाजमा (36)
- सरिता (45)
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