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    UPSC Topper: बेटे पर सटीक बैठी पिता की भष्यिवाणी, IPS से अब बनेगा IAS; प्रेरित करने वाली है पूरी कहानी

    पूर्वी दिल्ली के बलबीर नगर निवासी अभिषेक वशिष्ठ ने यूपीएससी परीक्षा में 14वीं रैंक हासिल कर क्षेत्र का नाम रोशन किया है। ज्योतिषी पिता नरेश वशिष्ठ ने 2012 में भविष्यवाणी की थी कि अभिषेक बड़े अफसर बनेंगे। सरकारी स्कूल में पढ़े अभिषेक ने बिना कोचिंग यह सफलता प्राप्त की। उनकी सफलता यमुनापार के छात्रों के लिए प्रेरणा है। यमुनापार को बाकी दिल्ली के मुकाबले काफी पिछड़ा हुआ बताया जाता है।

    By SHUZAUDDIN SHUZAUDDIN Edited By: Rajesh KumarUpdated: Tue, 22 Apr 2025 08:30 PM (IST)
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    IPS अभिषेक वशिष्ठ ने UPSC में पाई 14वीं रैंक। जागरण

    जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। बलबीर नगर में रहने वाले ज्योतिष आचार्य नरेश वशिष्ठ ने वर्ष 2012 में अपने बेटे की कुंडली देखकर भविष्यवाणी की थी कि वह बड़ा अधिकारी बनकर देश की सेवा करेगा। उनकी भविष्यवाणी सच हुई। उनके आइपीएस बेटे अभिषेक वशिष्ठ ने यूपीएससी में 14वीं रैंक हासिल की है। उनकी इस उपलब्धि से परिवार के साथ ही स्थानीय लोग भी खुश हैं।

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    यमुनापार का नाम रोशन किया

    यमुनापार को बाकी दिल्ली के मुकाबले काफी पिछड़ा हुआ बताया जाता है। यहां के स्कूलों में पढ़ाई को लेकर सवाल उठते रहते हैं। इस साल यहां के दो निवासियों अभिषेक वशिष्ठ और सौम्या मिश्रा ने देशभर में यमुनापार का नाम रोशन किया है।

    अभिषेक वर्ष 2023 में यूपीएससी परीक्षा पास कर आईपीएस बने हैं। वह फिलहाल हैदराबाद में आईपीएस की ट्रेनिंग कर रहे हैं। ट्रेनिंग के दौरान ही उन्होंने दोबारा यूपीएससी की परीक्षा दी और इस बार उन्हें 14वीं रैंक मिली है। बिना किसी कोचिंग के आईपीएस ने सरकारी स्कूल में पढ़ाई कर यह मुकाम हासिल किया है। उनके पिता नरेश वशिष्ठ ज्योतिषी हैं।

    2012 में पिता ने की थी भविष्यवाणी

    उन्होंने बताया कि वर्ष 2012 में उन्होंने बेटे की कुंडली देखी थी और कहा था कि बेटा बड़ा अफसर बनकर देश की सेवा करेगा। उनके बेटे ने साबित कर दिया है कि नंद नगरी के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे भी आईपीएस और आईएएस बनते हैं।

    आईपीएस अभिषेक वशिष्ठ ने इस उपलब्धि का श्रेय अपने परिवार और शिक्षकों को दिया है। वर्ष 2021 में वह आईआरएस बने और ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने दोबारा यूपीएससी की परीक्षा दी और उसे पास कर आईपीएस बन गए। वह आईपीएस की ट्रेनिंग कर रहे थे, तभी उन्होंने दोबारा परीक्षा दी और 14वीं रैंक हासिल की। ​​उन्हें तीन बार असफलता का भी सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने पढ़ाई नहीं छोड़ी और लगातार मेहनत करते रहे।

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