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    DU के प्रोफेसर अपूर्वानंद झा का दावा, यूनिवर्सिटी प्रशासन ने दी सलाह- जमा करो स्पीच फिर मिलेगी अमेरिका यात्रा की इजाजत

    By Agency Edited By: Kapil Kumar
    Updated: Fri, 18 Apr 2025 03:06 PM (IST)

    डीयू के प्रोफेसर अपूर्वानंद झा ने हाल ही में एक दावा किया है। उनका दावा है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने उन्हें सलाह दी है कि पहले स्पीच जमा कराओ फिर इसके बाद अमेरिका यात्रा की इजाजत मिलेगी। वहीं झा ने इस कदम को अभूतपूर्व बताते हुए कहा यह विश्वविद्यालय की स्वायत्तता और शैक्षणिक स्वतंत्रता को कमजोर करता है।

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    डीयू के प्रोफेसर अपूर्वानंद झा ने एक दावा किया है। फाइल फोटो

    पीटीआई, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के प्रोफेसर अपूर्वानंद झा ने दावा किया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें यात्रा की मंजूरी के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में एक शैक्षणिक कार्यक्रम में अपने प्रस्तावित व्याख्यान का पाठ प्रस्तुत करने की सलाह दी है। 

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    वहीं, दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से कोई प्रतिक्रिया उपलब्ध नहीं थी। झा ने इस कदम को "अभूतपूर्व" बताते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय की स्वायत्तता और शैक्षणिक स्वतंत्रता को कमजोर करता है। 

    हिंदी विभाग के एक संकाय सदस्य झा को 23 अप्रैल से एक मई तक न्यूयॉर्क के द न्यू स्कूल में इंडिया चाइना इंस्टीट्यूट की 20वीं वर्षगांठ समारोह के हिस्से के रूप में "विश्वविद्यालय एक वैश्विक सत्तावादी मोड़ के तहत" नामक एक सेमिनार में बोलने के लिए आमंत्रित किया गया है।

    पीटीआई से बात करते हुए झा ने कहा, "मुझे रजिस्ट्रार कार्यालय से एक मेल मिला, जिसमें मुझे अपने भाषण का पाठ स्वीकृति के लिए प्रस्तुत करने के लिए कहा गया। मेरे विचार से, यह बहुत चिंताजनक है। हम डीयू की स्वायत्तता को स्वेच्छा से खो रहे हैं। यह अभूतपूर्व है, क्योंकि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।" 

    प्रोफेसर ने कहा कि उन्होंने विश्वविद्यालय के ऑनलाइन समर्थ पोर्टल के माध्यम से 35 दिन से अधिक पहले ही अपना अवकाश आवेदन प्रस्तुत कर दिया था, लेकिन दो अप्रैल को डीयू से एक मेल प्राप्त हुआ, जिसमें कहा गया था कि विश्वविद्यालय "अनुमति देने में असमर्थ है" और उसे केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से सलाह लेने की आवश्यकता है। 

    वहीं, 15 अप्रैल को डीयू के कुलपति योगेश सिंह को संबोधित एक पत्र में झा ने लिखा, "मैं यह समझने में विफल हूं कि विश्वविद्यालय ने संस्थागत स्वायत्तता के सिद्धांत को क्यों त्याग दिया और अवकाश प्रदान करने के मामले में एक बाहरी एजेंसी, इस मामले में केंद्र सरकार, के हस्तक्षेप को आमंत्रित किया।" 

    रजिस्ट्रार कार्यालय को एक लिखित प्रतिक्रिया में प्रोफेसर ने कहा कि संकाय की यात्रा या अवकाश के लिए सरकार की मंजूरी की आवश्यकता वाला कोई नियम नहीं है। झा ने अपने जवाब में लिखा, "आपने कहा कि आपको किसी विशेष नियम की जानकारी नहीं है जिसके तहत मंत्रालय की अनुमति की आवश्यकता है। हमारी बातचीत से मैंने निष्कर्ष निकाला कि विश्वविद्यालय सक्रिय रूप से, बिना किसी आवश्यक कानून, नियम या विनियमन के, मंत्रालय को मेरा अवकाश आवेदन भेज रहा है।" 

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    "आपने विनम्रतापूर्वक सुझाव दिया कि मुझे इंडिया चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ द न्यू स्कूल में दिए जाने वाले अपने भाषण को साझा करना चाहिए, जिसे फ़ाइल के साथ संलग्न किया जा सकता है ताकि मंत्रालय के लिए निर्णय लेना आसान हो सके। क्या इसका मतलब यह है कि अब किसी शैक्षणिक कार्यक्रम में भाग लेने की अनुमति देने से पहले मेरे भाषण की सामग्री की जांच की जाएगी?"