DU में हॉस्टल की मारामारी, पीजी ढूंढने के लिए तलाश जारी; लाखों छात्रों के छूटे पसीने
दिल्ली विश्वविद्यालय में हर साल लाखों छात्र आते हैं लेकिन हॉस्टल की कमी एक बड़ी समस्या है। केवल कुछ छात्रों को ही हॉस्टल मिल पाता है जिससे बाकी छात्र पीजी या किराए के मकान ढूंढने को मजबूर हैं। पीजी का किराया भी लगातार बढ़ रहा है जिससे छात्रों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। सुरक्षा को लेकर भी छात्रों में चिंता है। डीयू नए छात्रावासों का निर्माण कर रहा है।

उदय जगताप, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में हर साल लाखों छात्र देश के विभिन्न हिस्सों से उच्च शिक्षा के लिए आते हैं। डीयू के प्रतिष्ठित कॉलेजों में दाखिला लेना एक बड़ा सपना होता है, लेकिन इस सपने के साथ एक कड़वी सच्चाई भी जुड़ी है और वह है हॉस्टल की भारी कमी। इस साल भी, नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत के साथ, हजारों छात्रों को हॉस्टल न मिलने की वजह से निजी पेइंग गेस्ट (पीजी) और किराए के मकानों की तलाश में भटकना पड़ रहा है।
दिल्ली विश्वविद्यालय, जो देश की सबसे बड़ी सेंट्रल यूनिवर्सिटी में से एक है, में लगभग 20 कॉलेज और कुछ अन्य संस्थान हॉस्टल सुविधा प्रदान करते हैं। इनमें हंसराज कॉलेज, हिंदू कॉलेज, मिरांडा हाउस, श्री राम कॉलेज आफ कामर्स, और लेडी श्री राम कॉलेज, रामजस कॉलेज, एसजीबीटी खालसा कॉलेज, वेकेंटेश्वर कॉलेज जैसे नाम शामिल हैं। हालांकि, इन कॉलेजों में हॉस्टल सीटें बेहद सीमित हैं। इनमें भी हिंदू कॉलेज में बायज हॉस्टल का काम चल रहा है।
हंसराज कॉलेज में नया हॉस्टल बन रहा है और रामजस कॉलेज में हॉस्टल का नवीनीकरण होना है। ऐसे में छात्रों के लिए परेशानी है। छात्र पीजी की तलाश कर रहे हैं। डीयू के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, स्नातक कार्यक्रमों में विश्वविद्यालय में हर साल लगभग 70,000 से अधिक नए छात्र दाखिला लेते हैं, लेकिन हॉस्टल सीटें केवल छह से सात हजार सीटों के आसपास हैं। इसका मतलब है कि केवल सात से आठ प्रतिशत छात्रों को ही हॉस्टल मिल पाता है।
मेरिट के आधार पर सीटें आवंटित की जाती हैं, और एससी, एसटी और पीडब्ल्यूडी श्रेणियों के लिए सीट रिजर्व रखी जाती हैं। ऐसे में छात्रों के लिए मौके और कम हो जाते हैं। छात्र संगठन लगातार सरकार से पीजी के लिए एक कानून बनाने की मांग करते रहे हैं। ताकि किराये को नियंत्रित किया जा सके। लेकिन, अभी तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है। हालांकि, डीयू ने ढाका परिसर में नए छात्रावास भवन का निर्माण शुरू किया है।
डीयू बना रहा दो छात्रावास
डीयू दो छात्रावास का निर्माण कर रहा है। ढाका परिसर में छात्राओं के लिए 161 करोड़ की लागत से छात्रावास बनाया जा रहा है। इसके अलावा 530 छात्र और 530 छात्राओं के लिए 289.61 करोड़ से एक अन्य छात्रावास का निर्माण किया जा रहा है। इससे विद्यार्थियों विशेषकर छात्राओं को लाभ होगा। इसके अलावा निर्भया फंड से एक हजार बेड का छात्रावास निर्मित किया जा रहा है। यह छात्राओं को समर्पित होगा।
लगातार बढ़ रहा पीजी का किराया
हॉस्टल न मिलने पर छात्रों के लिए एकमात्र विकल्प पीजी है। दिल्ली में कई पीजी अच्छी सुविधाएं देते हैं। लेकिन, उसके लिए मोटा शुल्क भी लेते हैं। पिछले साल के मुकाबले रेट और बढ़ गए हैं। अब सामान्य पीजी भी 15 हजार महीने तक मिल रहा है। यह सिर्फ एक बेड का किराया है। हालांकि, इसमें लंच और डिनर शामिल होता है। लेकिन, सामान्य छात्र के लिए काफी महंगा हो जाता है। इससे उनका सालाना खर्च दो लाख तक पुहंच जाता है। यह भविष्य की पढ़ाई पर असर डालता है।
कमला नगर, विजय नगर, शक्ति नगर, हडसन लेन जैसे क्षेत्रों में पीजी की भारी मांग है। विजय नगर में एक पीजी संचालक ने कहा, "हर साल जुलाई-अगस्त में फ्रेशर्स की भीड़ बढ़ जाती है। हम कोशिश करते हैं कि अच्छी सुविधाएं दें, लेकिन मांग इतनी ज्यादा है कि कई बार जगह कम पड़ जाती है।" कुछ छात्रों ने बताया कि कुछ पीजी संचालक मनमाने किराए और सख्त नियम थोपते हैं, जिससे उनकी मुश्किलें बढ़ जाती हैं।
छात्रों की परेशानी, हॉस्टल न मिलने का दर्द
हॉस्टल न मिलने से सबसे ज्यादा प्रभावित फ्रेशर्स होते हैं, जो पहली बार दिल्ली जैसे महानगर में आते हैं। मध्य प्रदेश से आई छात्रा गर्विता सिन्हा ने बीकाम आनर्स में भगत सिंह कॉलेज में प्रवेश लिया है। यहां हॉस्टल सुविधा नहीं है। अब वह साकेत में पीजी देख रही हैं। गर्विता ने कहा, पीजी अच्छा विकल्प है, लेकिन दिल्ली में सुरक्षा से डर लगता है। इसलिए सुरक्षित माहौल प्राथमिकता में है।
एक अन्य छात्रा हफीजा ने उत्तर प्रदेश से दौलत राम कॉलेज में प्रवेश लिया है। उन्होंने छात्रावास के लिए आवेदन किया है। लेकिन, अभी तक नंबर नहीं आया है। हफीजा ने कहा, अगर उन्हें छात्रावास नहीं मिला तो वह यहां पढ़ाई नहीं करेंगी, क्योंकि उन्हें बाहर सुरक्षित नहीं लगता।
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