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    'विश्वविद्यालय पर पड़ेंगे गंभीर परिणाम', PM मोदी की डिग्री उपलब्ध कराने के CIC के आदेश पर DU ने दिया तर्क

    Updated: Mon, 13 Jan 2025 11:12 PM (IST)

    दिल्ली विश्वविद्यालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री की जानकारी उपलब्ध कराने के केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के आदेश को चुनौती दी है। डीयू का तर्क है कि आरटीआई का उद्देश्य किसी तीसरे पक्ष की जिज्ञासा को संतुष्ट करना नहीं है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सीआईसी का आदेश स्थापित कानून के विपरीत है और इसके दूरगामी प्रतिकूल परिणाम होंगे।

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    DU ने पीएम मोदी की डिग्री की जानकारी देने के सीआईसी के आदेश को दी चुनौती।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय ने सोमवार को कहा कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) का उद्देश्य किसी तीसरे पक्ष की जिज्ञासा को संतुष्ट करना नहीं था। डीयू की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ के समक्ष कहा कि छात्रों की जानकारी एक विश्वविद्यालय द्वारा विश्वसनीय रूप में रखी जाती है और कानून द्वारा इसे छूट दिए जाने के कारण इसे किसी अजनबी को नहीं बताया जा सकता है।

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    डीयू ने यह जवाब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की डिग्री के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने के केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के आदेश को चुनौती देने वाली अपनी याचिका पर दिया।

    'प्रशासन की दक्षता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा'

    मेहता ने सोमवार को सीआईसी के आदेश को स्थापित कानून के विपरीत बताते हुए कहा कि आरटीआई अधिनियम के तहत सभी और विविध सूचनाओं के प्रकटीकरण की अंधाधुंध और अव्यवहारिक मांग अप्रभावी होगी और प्रशासन की दक्षता पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी। मेहता ने कहा कि सीआईसी के आदेश का याचिकाकर्ताओं और देश के सभी विश्वविद्यालयों के लिए दूरगामी प्रतिकूल परिणाम होंगे। 

    एसजी तुषार मेहता ने तर्क दिया कि सार्वजनिक प्राधिकरणों के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही से संबंधित जानकारी के प्रकटीकरण का निर्देश देकर सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून का दुरुपयोग नहीं किया जा सकता है।

    याचिका में 1978 में परीक्षा देने वाले छात्रों का मांगा गया था विवरण

    सीआईसी ने एक आरटीआई कार्यकर्ता नीरज की याचिका पर 21 दिसंबर 2016 को उन सभी छात्रों के रिकॉर्ड के निरीक्षण की अनुमति दी, जिन्होंने 1978 में बीए परीक्षा उत्तीर्ण की थी। इस अवधि में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी परीक्षा उत्तीर्ण की थी। याचिका में 1978 में परीक्षा देने वाले छात्रों का विवरण मांगा गया था। हालांकि, 23 जनवरी, 2017 को हाई कोर्ट ने सीआईसी के आदेश पर रोक लगा दी थी।

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