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    घाटे सहकर महिलाओं को फ्री बस सेवा दे रही DTC, अब सीएम रेखा गुप्ता के लिए कितनी बड़ी चुनौती

    By V K Shukla Edited By: Rajesh Kumar
    Updated: Wed, 26 Feb 2025 08:38 PM (IST)

    डीटीसी का 60 हजार करोड़ का घाटा दिल्ली सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा से घाटा और बढ़ा है। कैग रिपोर्ट में कई खामियां उजागर हुई हैं जिनमें बसों की कमी किराया वसूली में गड़बड़ी और सीसीटीवी कैमरों का इस्तेमाल न होना शामिल है। आप की सरकार अपने दोनों ही कार्यकाल में पर्याप्त बसें खरीदने में विफल रही है।

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    महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा सरकार के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो जागरण, नई दिल्ली। डीटीसी (दिल्ली परिवहन निगम) का 60 हजार करोड़ का घाटा नवगठित रेखा सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। निगम में घाटा हर दिन बढ़ता जा रहा है। आर्थिक संकट के इस दौर में महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा सरकार के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं है।

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    डीटीसी का घाटा सात साल में नहीं रुका

    निगम के 60 हजार करोड़ के इस घाटे को पिछली आप सरकार ने मौजूदा रेखा सरकार को तोहफे में दे दिया है। हालांकि, परिवहन मंत्री डॉ. पंकज सिंह ने बसों में महिलाओं का सफर जारी रखने का एलान किया है। लेकिन डीटीसी को घाटे से उबारना उनके लिए भी चुनौती होगी। यहां चौंकाने वाला तथ्य यह है कि डीटीसी ने पिछले सात साल में अपना घाटा रोकने या कम करने का कोई प्रयास नहीं किया।

    नई बसें खरीदने में विफल रही केजरीवाल सरकार

    कैग ने साफ किया है कि आप की सरकार अपने दोनों ही कार्यकाल में पर्याप्त बसें खरीदने में विफल रही है।2015 से 2020 के कार्यकाल में यह सरकार एक बस भी नहीं खरीद सकी थी। कैग रिपोर्ट ने पूर्व की आप सरकार की नाकामी और लापरवाही को उजागर कर दिया है।

    3 साल में लगभग 35 हजार करोड़ रुपये का घाटा

    कैग ने खुलासा किया है कि किस तरह सरकार की लापरवाही के कारण डीटीसी का घाटा बढ़ता जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार रूट निर्धारण में गड़बड़ियों के कारण डीटीसी को भारी घाटा हो रहा है। तीन साल में दिल्ली परिवहन निगम का घाटा 35 हजार करोड़ से अधिक पहुंच गया है।

    दिल्ली सरकार के 2012 के मानक के अनुसार 5500 बसों की जरूरत थी। इसके मुकाबले करीब चार हजार बसें चल रही हैं।

    45% बसें ओवरएज

    2015-16 के 25,300 करोड़ रुपये से बढ़कर 2021-22 में लगभग 60,750 करोड़ हो गया है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह घाटा इसलिए भी बढ़ गया है कि 45% बसें ओवरएज हैं और बड़े स्तर पर खराब रहती हैं।

    जिसके परिणामस्वरूप बेड़े का उपयोग औसत से कम है। लेखा परीक्षक ने कई खामियों की ओर इशारा किया है, जिसमें परिवहन उपयोगिता की अपने बेड़े को बढ़ाने में असमर्थता भी शामिल है।

    2009 से किराये में कोई बदलाव नहीं

    दिल्ली विधानसभा में कैग की 14 जो रिपोर्ट पेश की जाएंगी। इसमें एक रिपोर्ट डीटीसी बसों से भी जुड़ी है। यह रिपोर्ट भी उन रिपोर्ट में शामिल है जिसे आप सरकार ने विधानसभा में रखने से इनकार कर दिया था। 2009 से डीटीसी बसों के किराये में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

    महिलाओं को फ्री बस सेवा योजना शुरू करने से बोझ और बढ़ गया है। कैग ने बताया कि डीटीसी को घाटे से निकालने के लिए किसी ठोस योजना की जरूरत है।

    डीटीसी के पास होना चाहिए 11 हजार बसों का बेड़ा

    2007 में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि डीटीसी के पास 11 हजार बसों का बेड़ा होना चाहिए। पांच साल बाद दिल्ली कैबिनेट ने तय किया कि दिल्ली में 5500 बसें होंगी।

    कैग रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2022 के अंत में डीटीसी के पास 3937 बसों का बेड़ा था। जिसमें से 1770 यानी करीब 45 प्रतिशत बसें कबाड़ हो चुकी हैं। जबकि लो फ्लोर बसें 10 साल से अधिक पुरानी थीं उन्हें अगले महीने के लास्ट तक हटाया जाना था।

    300 नई बसों की खरीद की

    आप सरकार ने 2022 में 300 नई बसों की खरीद की, लेकिन इसके बावजूद 1740 बसों की कमी थी। कैग की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि फेम-1 योजना के तहत मिले 49 करोड़ रुपये का लाभ भी आप सरकार ने नहीं उठाया। फेम-2 के तहत इलेक्ट्रिक बसों की अनुबंध की अवधि 12 वर्ष से घटाकर 10 वर्ष कर दी गई।

    रूटों को लेकर भी कई कमियां

    इसके अलावा कैग ने रूटों को लेकर भी कई कमियां उजागर कीं। रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के 468 मार्गों पर बसों का संचालन किया जा रहा है। किसी भी मार्ग पर चलने वाली बस अपना उस रूट का खर्च वसुलने में भी नाकाम रही है।

    इस कारण 2015 से लेकर 2022 तक डीटीसी को 14 हजार 199 करोड़ रुपये का घाटा हुआ।बता दें कि डीटीसी की टूटी बसें बदलने के लिए 2015 में अरविंद केजरीवाल ने 10 हजार नई बसें खरीदने का ऐलान किया था।मगर आप सरकार ऐसा नहीं कर सकी।

    कैग रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि बसों में किराया वसूली के लिए स्वचालित किराया संग्रह प्रणाली (एएफसीएस) चरण-एक के लिए दिसंबर 2017 में परियोजना चालू की गई।

    मगर सिस्टम इंटीग्रेटर द्वारा इसे चलाने में असमर्थता के कारण यह मई 2020 से कार्यात्मक ही नहीं थी। मार्च 2021 में 3,697 बसों में सीसीटीवी सिस्टम लगाया गया और चालू किया गया और ठेकेदार को पूरा 52.45 करोड़ का भुगतान जारी किया गया, जबकि सिस्टम के उपयोगकर्ता स्वीकृति परीक्षण के लंबित रहने के कारण इस सिस्टम को चालू नहीं किया गया। इस प्रकार मई 2023 तक बसों में यह प्रणाली पूरी तरह से चालू नहीं थी।

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