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    'पुलिसकर्मी वर्दी में क्यों नहीं आए', किस मामले में हाईकोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को लगाई कड़ी फटकार

    दिल्ली हाईकोर्ट ने ग्रेटर नोएडा के पुलिस कमिश्नर को दिल्ली पुलिस को सूचित किए बिना गिरफ्तारी के मामले में फटकार लगाई है। कोर्ट ने सीसीटीवी फुटेज की जांच कर यह पता लगाने के लिए जवाब मांगा है कि व्यक्ति को कैसे उठाया गया। कोर्ट ने कहा कि अंतरराज्यीय गिरफ्तारी के लिए निर्धारित प्रोटोकॉल का यूपी पुलिस द्वारा पालन किया जाए।

    By Vineet Tripathi Edited By: Rajesh KumarUpdated: Wed, 26 Feb 2025 06:56 PM (IST)
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    दिल्ली हाईकोर्ट ने अनधिकृत गिरफ्तारी के लिए ग्रेटर नोएडा पुलिस कमिश्नर को फटकार लगाई। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस को सूचित किए बिना गिरफ्तारी के मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है और ग्रेटर नोएडा पुलिस कमिश्नर से जवाब मांगा है।

    जस्टिस प्रतिभा एम सिंह और जस्टिस धर्मेश शर्मा की बेंच ने सीसीटीवी फुटेज की जांच कर यह पता लगाने के लिए पुलिस कमिश्नर से जवाब मांगा है कि दिल्ली पुलिस को सूचित किए बिना व्यक्ति को कैसे उठाया गया।

    कोर्ट ने पूछा ये सवाल

    कोर्ट ने पूछा कि व्यक्ति को उठाने के लिए निजी वाहनों का इस्तेमाल क्यों किया गया और यूपी पुलिस के जवान वर्दी में क्यों नहीं थे।

    साथ ही कोर्ट ने कहा कि यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि अंतरराज्यीय गिरफ्तारी के लिए निर्धारित प्रोटोकॉल का यूपी पुलिस द्वारा पालन किया जाए। कोर्ट एक व्यक्ति की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही है।

    कोर्ट ने पुलिस आयुक्त से पूछा कि क्या एक पीठ के 2019 के फैसले के अनुसार अंतरराज्यीय गिरफ्तारी के मामले में दिल्ली पुलिस के साथ किसी प्रोटोकॉल पर सहमति बनी है।

    याचिकाकर्ता ने लगाया आरोप

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने उसे कनॉट प्लेस से गिरफ्तार किया और दिल्ली पुलिस को सूचित किए बिना उसे अज्ञात स्थान पर ले गई।

    याचिका में कहा गया कि व्यक्ति का पता नहीं चल रहा है, इसलिए उसे कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया जाए। वहीं उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से पेश अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि व्यक्ति के खिलाफ ग्रेटर नोएडा के बीटा-2 थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी और उसे ट्रायल कोर्ट में पेश किया गया था।

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    जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित

    इस मामले पर कोर्ट ने व्यक्ति की जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया था। हालांकि पीठ ने कहा कि दिल्ली निवासी व्यक्ति की गिरफ्तारी से पहले दिल्ली पुलिस को कोई सूचना नहीं दी गई। ऐसे में इस मामले पर गहनता से विचार करने की जरूरत है।

    कोर्ट ने कहा कि मामले में गिरफ्तारी के समय गिरफ्तारी का कोई आधार न बताने समेत अन्य निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। कोर्ट ने कहा कि अगर निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया जाता है तो गिरफ्तारी अपने आप में कानून के खिलाफ होगी।

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