DTC पर जमीन अतिक्रमण करने का आरोप, नजफगढ़ में तालाब की 30.5 बीघा भूमि पर बना डाला बस टर्मिनल
दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) पर नजफगढ़ में एक जल निकाय की 30.5 बिस्वा भूमि पर अतिक्रमण करने का आरोप है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में दायर याचिका के अनुसार डीटीसी ने इस भूमि पर बस टर्मिनल का निर्माण किया। जिलाधिकारी ने एनजीटी को दिए हलफनामे में इसकी पुष्टि की है जिसके बाद एनजीटी ने डीटीसी और एमसीडी से जवाब मांगा है और आगे के निर्माण पर रोक लगा दी है।

विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। सामान्य तौर पर सरकारी एजेंसी से उम्मीद की जाती है कि अतिक्रमणकारियों से जल निकाय, यमुना बाढ़ व जंंगल को अतिक्रमण करने से बचाएं, लेकिन मौजूदा मामले में दिल्ली परिवहन निगम ने ही जल निकाय की 30.5 बिस्वा भूमि पर अतिक्रमण कर बस टर्मिनल का निर्माण कर लिया।
अतिक्रमण के खिलाफ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में दाखिल एक आवेदन पर इस तथ्य की पुष्टि उत्तर-पश्चिम जिलाधिकारी ने स्वयं की है। एनजीटी के समक्ष दाखिल हलफनामा में कहा गया है कि नजफगढ़ गांव में तलाब के रूप में दर्ज 30.5 बिस्वा जमीन पर डीटीसी ने एक बस टर्मिनल व बहुमंजिला व्यवसायिक इमारत का निर्माण कर लिया।
एनजीटी में दाखिल हलफनामा में जिलाधिकारी ने स्पष्ट कहा कि संबंधित भूमि एक तलाब (जल निकाय) की है और यहां पर वर्तमान में जल निकाय पर अतिक्रमण कर डीटीसी द्वारा टर्मिनल का इस पर निर्माण किया गया है।
सुनवाई 20 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी
एनजीटी चेयरमैन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल व पर्यावरण विशेषज्ञ डा. ए सेंथिल वेल की पीठ ने रिकार्ड पर लिया कि पूर्व के आदेश के बावजूद भी मामले में डीटीसी व एमसीडी द्वारा जवाब नहीं दाखिल किया गया। अदालत ने डीटीसी व एमसीडी को दो सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए सुनवाई 20 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी।
साथ ही डीटीसी को अगले आदेश तक उक्त जगह पर कोई और निर्माण कार्य न करने का निर्देश दिया गया। एनजीटी आवेदनकर्ता करतार सिंह सहित अन्य की तरफ से दायर आवेदन पर विचार कर रहा है। इसमें आरोप लगाया गया है कि तलाब की भूमि पर अतिक्रमण कर सरकारी एजेंसी ने बस टर्मिनल और बहुमंजिला व्यवसायिक इमारत का निर्माण किया है।
भू- उपयोग में परिवर्तन का नहीं है कोई रिकॉर्ड
रिपोर्ट में यह भी कहा कि डीटीसी द्वारा की गई निर्माण गतिविधि के लिए वन विभाग से भू- उपयोग में परिवर्तन (सीएलयू) के संबंध में कोई भी औपचारिक सीएलयू या एनओसी का कोई रिकार्ड उपलब्ध नहीं है। संबंधित भूमि वेटलैंड्स (संरक्षण और प्रबंधन) नियम- 2017 के अनुसार पहचान की गई वेटलैंड्स के दायरे में आती है और यह ग्रामसभा की जमीन है।
ऐसी भूमि पर निर्माण, रूपांतरण या पेड़ों की कटाई जैसी किसी भी गतिविधि के लिए उक्त नियमों के नियम-चार का अनुपालन करना आवश्यक है, हालांकि, उपलब्ध रिकार्ड के अनुसार इसे पूरा नहीं किया गया है। वहीं, डीडीए ने अपने जवाब में कहा कि जल निकाय 31 मई 2016 को तत्कालीन दक्षिण दिल्ली नगर निगम (अब एमसीडी) को सौंप दिया गया था। इसका रख-रखाव अब एमसीडी की ही जिम्मेदारी है।
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