Delhi: आयुर्वेद में सर्जरी के प्रावधान के खिलाफ अस्पतालों में काली पट्टी बांधकर इलाज कर रहे डॉक्टर
एम्स आरडीए ने काली पट्टी बांधकर विरोध करने का फैसला किया। एम्स आरडीए ने सरकार के फैसले को मिक्सोपैथी करार दिया है। एम्स आरडीए के अध्यक्ष डॉ. आदर्श प्रताप सिंह ने कहा कि मॉडर्न मेडिसिन वर्षों के साक्ष्य आधारित शोध से विकसित हुई है।

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। आयुर्वेद के डॉक्टरों को सर्जरी की स्वीकृति दिए जाने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ एलोपैथी के डॉक्टर लामबंद होने लगे हैं। हालांकि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) की घोषित एक दिन की हड़ताल का अस्पतालों में आज खास असर नहीं दिखा। एम्स सहित सभी सरकारी अस्पतालों में सामान्य दिनों की तरह स्वास्थ्य सुविधाएं संचालित हो रही हैं और सभी रेजिडेंट डॉक्टर भी ड्यटी पर मौजूद हैं। बड़े निजी अस्पतालों में भी हड़ताल का असर नहीं है। लेकिन एम्स सहित ज्यादातर सरकारी अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टरों ने काली पट्टी बांधकर आइएमए के प्रति समर्थन और आयुर्वेद के डॉक्टरों को सर्जरी की स्वीकृति दिए जाने के फैसले का विरोध किया। एम्स रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने केंद्र सरकार से अपना फैसला वापस लिए जाने की मांग की है और कहा है कि यदि सरकार ने फैसला वापस नहीं लिया गया तो आगे कड़ा विरोध किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि आइएमए ने आठ दिसंबर को देश भर में सांकेतिक विरोध किया था। इसके बाद आइएमए ने 11 नवंबर को देशव्यापी हड़ताल की घोषणा की थी। इसके तहत अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं, रूटीन सर्जरी व अन्य गैर जरूरी सेवाएं बंद रखने की बात की गई थी। सरकारी अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर इस हड़ताल में शामिल नहीं हुए। वैसे भी कोरोना की वैश्विक महामारी के कारण इन दिनों महामारी एक्ट लागू है। ऐसे में अस्पतालों में हड़ताल करना डॉक्टरों के लिए आसान नहीं है।
लिहाजा, मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए डॉक्टर हड़ताल से दूर रहे। लेकिन रेजिडेंट डॉक्टरों के सबसे बड़े संगठन फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) ने शुक्रवार सुबह अस्पतालों में काली पट्टी बांधकर काम करने का बयान जारी किया। जिसके बाद अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टर काली पट्टी बांधकर ड्यूटी पर पहुंचे।
वहीं एम्स आरडीए ने काली पट्टी बांधकर विरोध करने का फैसला किया। एम्स आरडीए ने सरकार के फैसले को मिक्सोपैथी करार दिया है। एम्स आरडीए के अध्यक्ष डॉ. आदर्श प्रताप सिंह ने कहा कि मॉडर्न मेडिसिन वर्षों के साक्ष्य आधारित शोध से विकसित हुई है। जिसने प्रभावी इलाज व मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित की है। आयुर्वेद के डॉक्टरों को सर्जरी की स्वीकृति दिए जाने से झोलाछाप डॉक्टरी बढ़ेगी। जिससे मरीजों को नुकसान होगा।
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