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    गोकुलपुरी स्टेशन हादसे से दिल्ली मेट्रो की साख पर दाग, जांच पूरी होने पर कई अधिकारियों पर गिर सकती है गाज

    Updated: Thu, 08 Feb 2024 10:24 PM (IST)

    गोकुलपुरी स्टेशन हादसे से दिल्ली मेट्रो की साख पर दाग लगा है। 59.24 किलोमीटर लंबी पिंक लाइन 14 मार्च 2018 से छह अगस्त 2021 के बीच पांच चरणों में मेट्र ...और पढ़ें

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    गोकुलपुरी स्टेशन हादसे से दिल्ली मेट्रो की साख पर दाग

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। मेट्रो कॉरिडोर के निर्माण के दौरान पहले भी कुछ बड़े हादसे हुए हैं। जमरूदपुर व लक्ष्मी नगर की घटना इसका उदाहरण है, लेकिन मेट्रो की इतिहास में पहली बार निर्मित मेट्रो स्टेशन या कॉरिडोर का हिस्सा गिरने की घटना से निर्माण की गुणवत्ता को लेकर दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) सवालों के घेरे में है। इससे दिल्ली मेट्रो की साख पर दाग लगा है।

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    देर शाम अधिकारियों ने किया निरीक्षण

    घटना का केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय और मेट्रो रेल संरक्षा आयुक्त (सीएमआरएस) ने भी संज्ञान लिया है। देर शाम को मंत्रालय के अधिकारियों और सीएमआरएस की टीम ने घटना स्थल का निरीक्षण किया। गोकलपुरी मेट्रो स्टेशन नाले के किनारे बना हुआ है। डीएमआरसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गनीमत है कि स्टेशन के नीचे मौजूद सड़क मुख्य मार्ग नहीं है।

    इस वजह से सड़क पर वाहनों का दबाव कम था। यदि सड़क पर वाहनों का दबाव अधिक होता तो ज्यादा बड़ा हादसा हो सकता था। 59.24 किलोमीटर लंबी पिंक लाइन 14 मार्च 2018 से छह अगस्त 2021 के बीच पांच चरणों में मेट्रो का परिचालन शुरू हुआ था। इसी क्रम में 31 अक्टूबर 2018 को इस कॉरिडोर पर त्रिलोकपुरी से शिव विहार के बीच मेट्रो का परिचालन शुरू हुआ। इस दौरान ही गोकुलपुरी मेट्रो स्टेशन खुला था।

    स्टेशन को खुले हो गए करीब पांच वर्ष 

    इसलिए इस स्टेशन को खुले करीब सवा पांच वर्ष ही हुए हैं। ऐसे में कई लोगों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके निर्माण में घटिया सामग्री इस्तेमाल करने व भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। मेट्रो का परिचालन शुरू होने से पहले कारिडोर के ढांचे, मेट्रो ट्रेक इत्यादि की सुरक्षा जांच भी होती है। सीएमआरएस द्वारा सुरक्षा जांच के बाद स्वीकृति मिलने पर ही मेट्रो का परिचालन शुरू होता है। ऐसे में निर्माण की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठना भी लाजमी है।

    डीएमआरसी के सूत्रों के अनुसार, मेट्रो कॉरिडोर व और स्टेशनों की आयु 80 से 100 वर्ष है। स्टेशनों के बाहरी ढांचा का डिजाइन भी इस तरह किया गया है कि वह 60 वर्ष तक ठीक रहेगा। मेट्रो में हर चीज की एक निश्चित अवधि पर सुरक्षा जांच का प्रविधान है। स्टेशन व कॉरिडोर के बुनियादी ढांचे की भी एक निश्चित अवधि के अंतराल पर सुरक्षा आडिट का प्रविधान है। स्टेशनों के कंपन की भी जांच की जाती है।

    दिल्ली में अक्सर भूकंप आता रहता है। भूकंप की तीव्रता के आधार पर सभी कॉरिडोर और स्टेशनों का निरीक्षण किया जाता है। इस दौरान यह देखा जाता है कि कहीं कोई दरार तो नहीं आई। ऐसे में स्टेशन की दीवार गिर जाना साबित करता है कि नियमित सुरक्षा ऑडिट में लापरवाही बरती गई है। इस मामले में जांच पूरी होने पर कई अन्य अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है।

    स्टेशन की डिजाइन में भी है खामी

    डीएमआरसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गोकुलपुरी स्टेशन के डिजाइन में भी खामी है। स्टेशन के ऊपर जो स्लैब डाला गया था उसके कालम के नीचे बेस नहीं है। इस वजह से यह हादसा हुआ। सूत्रों के अनुसार पिंक लाइन के कई स्टेशनों पर यह समस्या है। दिल्ली मेट्रो देश के कई शहरों में मेट्रो नेटवर्क के विकास में सलाहकार है।

    पटना व मुंबई में मेट्रो कॉरिडोर के निर्माण की जिम्मेदार भी दिल्ली मेट्रो के पास है। यह डीएमआरसी की विश्वसनीयता ही है कि बांग्लादेश के ढाका, इंडोनेशिया के जकार्ता मेट्रो के विकास में दिल्ली मेट्रो सलाहाकर भी भूमिका निभा चुकी है। इसलिए गोकलपुरी स्टेशन की घटना से डीएमआरसी भी हैरान है और उसकी विश्वसनीयता सवालों के घेरे में है।

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