राजधानी के स्कूल का हाल... 36 कमरे पर 19 साल से टूटी पड़ी सीमेंटेड शेड, खतरे में 500 मासूमों की जिंदगियां
दक्षिणी दिल्ली के ओखला को-एड स्कूल में 500 से अधिक छात्र हैं। 19 वर्ष पुराने इस स्कूल के लगभग 36 कमरों में से अधिकांश के शेड क्षतिग्रस्त हैं जिससे बारिश में पानी टपकता है। सड़क के बराबर होने से कक्षाओं में पानी भर जाता है। छात्रों के लिए पर्याप्त शौचालय नहीं हैं और मरम्मत के लिए सीमित बजट मिलता है।

जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली। दक्षिणी दिल्ली में ओखला को-एड स्कूल (हिंदू-उर्दू) में 500 से ज्यादा बच्चे पंजीकृत हैं। ओखला गांव के साथ ही आसपास के लिए एमसीडी का यह स्कूल प्राइमरी तक की शिक्षा का प्रमुख केंद्र है।
बताया गया कि सीमेंटेड शेड वाला यह स्कूल 19 वर्ष पुराना है। इसमें लगभग 36 कमरे हैं। तीन-चार को छोड़कर लगभग सभी के शेड क्षतिग्रस्त हैं। वर्षा होने पर जहां छत टपकने लगती है, वहीं रोड के बराबर होने के चलते स्कूल परिसर के साथ ही कक्षाओं में घुटने तक पानी भर जाते हैं।
वहीं, बच्चों की क्षमता के हिसाब से न तो पर्याप्त शौचालय हैं और न ही इनमें समुचित साफ-सफाई हो पाती है। मरम्मत के नाममात्र की बजट मिलता है। एक तरफ से सीमेंटेड शेड की मरम्मत होती है तो वहीं दूसरी तरफ यह क्षतिग्रस्त होती जा रही है।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया मेट्रो स्टेशन से आगे बढ़ने पर उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग से पहले दाहिनी ओर बना यह स्कूल क्षेत्र के बच्चों को पिछले 19 वर्षों से शिक्षित कर रहा है। जामिया मिल्लिया इस्लामिया से रेंट पर जमीन लेने के बाद एमसीडी ने 2006 में ओखला को-एड स्कूल (हिंदी-उर्दू) शुरू कराया।
बताया गया कि लगभग 36 कमरों वाले इस प्राइमरी स्कूल में 500 से ज्यादा छात्र-छात्राएं हैं। हर एक कक्षा में 40 से 42 विद्यार्थी हैं। छात्रों की संख्या पर्याप्त होने के चलते फिलहाल इसे किसी अन्य स्कूल में मर्ज करने को को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं है। सड़क के लेवल के बराबर होने के चलते वर्षा होने पर स्कूल परिसर ही नहीं बल्कि लगभग सभी कक्षाओं में पानी भर जाता है। चार से पांच क्लासरूम ही थोड़ी ऊंचाई पर हैं, जिनमें पानी नहीं घुसता। फर्श और दीवारें ठीक हैं। बाउंड्री वाल भी अच्छी स्थिति में है और पूरा परिसर प्रवेश व निकासी के लिए बने दो गेट से सुरक्षित है। छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय की व्यवस्था नहीं है।
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यह भी बताया कि एक ब्लॉक का शौचालय पिछले कई साल से बंद पड़ा है। विद्यार्थियों के लिए केवल पांच शौचालय उपयोग में हैं। मरम्मत के लिए हर साल कुछ न कुछ फंड मिलते हैं, पर राशि इतनी कम होती है कि एक बार में सभी कक्षाओं के शेड की मरम्मत नहीं हो पाती।
शिकायत मिलते ही टिनशेड की मरम्मत कराई जाती है। परिसर में पानी जरूर भरता है, पर बगल से ही नाला गुजरा है। इसके चलते पानी तेजी से निकल भी जाता है। - अनिल कुमार, उप-निदेशक शिक्षा, मध्य क्षेत्र
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