Move to Jagran APP

बच्चों को डायपर पहनाते हैं तो जरुर पढ़ें यह खबर, सामने आयी चौंकाने वाली जानकारी

टॉक्सिक लिंक के वरिष्ठ कार्यक्रम समन्वयक पीयूष महापात्र ने बताया कि भारत ने बच्चों के विभिन्न उत्पादों में पांच सामान्य थैलेट के लिए मानक तय किए हैं। लेकिन डिस्पोजेबल बेबी डायपर के लिए ऐसा कोई नियमन नहीं है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 12:11 PM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 12:57 PM (IST)
बच्चों को डायपर पहनाते हैं तो जरुर पढ़ें यह खबर, सामने आयी चौंकाने वाली जानकारी
बच्चों केलिए नुकसानदायक साबित हो सकता है डायपर

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। बच्चों को डायपर पहनाना उनके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठन टॉक्सिक लिंक के एक अध्ययन में पता चला है कि डायपर में खतरनाक रसायनों एवं प्लास्टिक के अंश भी पाए जाते हैं। अहम बात यह कि नामी कंपनियों के बनाए डायपर भी इससे अछूते नहीं हैं।

loksabha election banner

सोमवार को ‘वाट्स इन द डायपर : प्रेसेंस ऑफ थैलेट्स इन बेबी डायपर्स’ शीर्षक से जारी इस अध्ययन रिपोर्ट में बाजार में उपलब्ध डिस्पोजेबल बेबी डायपर में विषैले थैलेट (रसायन व प्लास्टिक के अंश) पाए जाने पर चिंता व्यक्त की गई है। ये थैलेट, अंत:स्रावी रसायनों की कार्यप्रणाली में व्यवधान उत्पन्न कर स्वास्थ्य को गंभीर हानि पहुंचाते हैं।

डीईएचपी है सबसे विषाक्त थैलेट

अध्ययन के दौरान डायपर में 2.36 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) से लेकर 302.25 पीपीएम तक थैलेट की अत्यधिक मात्र पाई गई। डीईएचपी सबसे विषाक्त थैलेट है। बच्चों के कई उत्पादों में इसका उपयोग कानूनन प्रतिबंधित है, लेकिन जांच में इसकी मात्र भी 2.36 पीपीएम से 264.94 पीपीएम के बीच पाई गई।

60 फीसद नमूने नामी कंपनियों से लिए गए

अध्ययन के लिए 40 फीसद नमूने साप्ताहिक बाजार से, जबकि 60 फीसद नामी कंपनियों के थे। सभी नमूनों का विश्लेषण एनएबीएल से मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला (स्पेक्ट्रो एनालिटिकल लैब लिमिटेड ओखला, नई दिल्ली) में किया गया। टॉक्सिक लिंक के वरिष्ठ कार्यक्रम समन्वयक पीयूष महापात्र ने बताया कि भारत ने बच्चों के विभिन्न उत्पादों में पांच सामान्य थैलेट के लिए मानक तय किए हैं। लेकिन डिस्पोजेबल बेबी डायपर के लिए ऐसा कोई नियमन नहीं है।

क्या है थैलेट

थैलेट आमतौर पर डायपर में उपयोग किए जाने वाले बहुलकों (पॉलीमर्स) से सहसंयोजक रूप से आबंधित होते हैं। वे डायपर से आसानी से मुक्त हो जाते हैं। चूंकि डायपर कई महीनों तक बच्चों के बाहरी जननांगों के साथ सीधे संपर्क में रहते हैं, इसलिए ये थैलेट त्वचीय अवशोषण के माध्यम से उनके शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।

Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.