डायबिटीज से आंखों की रोशनी को बड़ा खतरा, हर 14 डायबिटिक में से एक डीएमई का शिकार, रेटिना जांच की चेतावनी
मधुमेह होने पर आंखों की रोशनी प्रभावित हो सकती है और अंधेपन का खतरा होता है। रेटिना की जांच कराकर डायबिटीज से आंखों को होने वाले नुकसान का पता लगाया जा सकता है। क्लीवलैंड क्लिनिक की रिपोर्ट के अनुसार डायबिटिक मैक्युलर एडिमा (डीएमई) से स्थायी दृष्टि हानि का खतरा होता है। रेटिना जांच के लिए जन-जागरूकता जरूरी है और युवाओं को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए।

मुहम्मद रईस, नई दिल्ली। मधुमेह होने की स्थिति में आंखों की रोशनी प्रभावित होती है। ध्यान न देने पर व्यक्ति स्थाई अंधेपन का शिकार हो सकता है। सामान्य तौर पर आंखों से धुंधला दिखाई देने पर लोग चश्मे की दुकान पर पहुंच जाते हैं। दृष्टि की जांच कराकर चश्मा लगवा लेते हैं जबकि दृष्टि की जांच और रेटिना की जांच अलग-अलग चीजें होती हैं।
विशेषज्ञ नेत्र चिकित्सक से रेटिना की जांच कराकर डायबिटीज से आंखों को हो रहे नुकसान को देखा व ठीक किया जा सकता है। इसमें जांच जितना जल्दी होगी, रोग का प्रसार उतना ही कम होगा और उपचार में समय भी न्यूनतम लगेगा। इंडिया हैबिटेट सेंटर में बुधवार को आयोजित सम्मेलन में प्रमुख नेत्र चिकित्सकों ने डायबिटीज के कारण होने वाली दृष्टि हानि यानी डायबिटिक मैक्युलर एडिमा (डीएमई) पर भी विमर्श किया।
हमेशा के लिए आंखें जाने का खतरा
अमेरिका स्थित क्लीवलैंड क्लिनिक की 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 14 डायबिटिक में से एक व्यक्ति को डीएमई होता है। यह डायबिटीज से जुड़ी आंखों की समस्या है, जो रेटिना के केंद्र में स्थित मैक्युला में तरल पदार्थ के जमा होने से होती है। इससे दृष्टि धुंधली हो जाती है और लंबे समय में स्थायी दृष्टि हानि का जोखिम रहता है। पहले लेजर के जरिए ठीक किया जाता था, अब इसके लिए इंजेक्शन लगाए जाते हैं।
ये इंजेक्शन थोड़े महंगे होते हैं, जिसे इंश्योरेंस के साथ ही आयुष्मान योजना में कवर करने की जरूरत है। सम्मेलन में पद्मश्री डाॅ. महिपाल सचदेव, डाॅ. ललित वर्मा, डाॅ. आर. किम, डाॅ. एमआर डोगरा, डाॅ. चैत्रा जयदेव के साथ ही इंडियन एकेडमी आफ डायबिटीज के अध्यक्ष डाॅ. शशांक जोशी ने विचार रखे। इस अवसर पर एबवी इंडिया के डायरेक्टर व जनरल मैनेजर सुरेश पट्टाथिल भी रहे।
जन-जागरूकता की जरूरत
आधुनिक जीवनशैली में युवाओं के साथ ही बच्चे भी डायबिटीज के शिकार हो रहे हैं। उनमें ये रोग लंबे समय तक रहेगा, साथ ही इसके चलते आंखों की रोशनी जाने का जोखिम भी ज्यादा रहेगा। ऐसे में रेटिना जांच के लिए जन-जागरूकता चलाने की जरूरत है, ताकि एक बड़ी और कामकाजी आबादी को असमय अंधेपन से बचाया जा सके।
इसके लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर डायबिटीज की पुष्टि होते ही मरीजों को रेटिना जांच के लिए अनिवार्य रूप से भेजना होगा। किडनी रोग विशेषज्ञ मरीजों को नियमित रेटिना जांच के लिए विशेषज्ञ नेत्र चिकित्सक के पास रेफर करें। वहीं युवा अपना वजन, ब्लड शुगर, बीपी, कोलेस्ट्राल नियंत्रित रखने के साथ ही किडनी की सेहत का ध्यान रखकर स्वस्थ रह सकते हैं।
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