धौला कुआं हादसा: पटियाला हाउस कोर्ट में सीसीटीवी फुटेज पेश, गगनप्रीत कौर की जमानत पर फैसला सुरक्षित
दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में धौला कुआं बीएमडब्ल्यू हादसे की सीसीटीवी फुटेज पेश की गई जिसमें वित्त मंत्रालय के उप सचिव नवजोत सिंह की मृत्यु हो गई थी। कोर्ट ने आरोपित महिला गगनप्रीत कौर की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा है। बचाव पक्ष के वकील ने एफआईआर में देरी पर सवाल उठाए और जमानत की मांग की जबकि सरकारी वकील ने जमानत का विरोध किया।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। पटियाला हाउस स्थित न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने धौला कुआं में 14 सितंबर को हुए हादसे से जुड़ी सुनवाई में दिल्ली पुलिस ने सीसीटीवी घटना फुटेज पेश की। इस हादसे में वित्त मंत्रालय के उप सचिव नवजोत सिंह की मौत हो गई थी। कोर्ट ने फुटेज को ध्यान से देखने के बाद आरोपित महिला की जमानत अर्जी पर आदेश सुरक्षित रख लिया।
जज ने देखी सीसीटीवी फुटेज
दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को पटियाला हाउस कोर्ट के समक्ष धौला कुआं में हुए बीएमडब्ल्यू हादसे से संबंधित सीसीटीवी फुटेज पेश किया, जिसमें वित्त मंत्रालय के उप सचिव नवजोत सिंह की जान चली गई थी। पटियाला हाउस कोर्ट ने गिरफ्तार आरोपी गगनप्रीत कौर की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने सीसीटीवी फुटेज की जांच की और वकीलों के तर्क सुने।
सीसीटीवी फुटेज पेश करने का आदेश
इससे पहले बुधवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से धौला कुआं बीएमडब्ल्यू हादसे से संबंधित सीसीटीवी फुटेज और अन्य साक्ष्यों को पेश करने को कहा था ताकि उनके मामले को मजबूती दी जा सके। कोर्ट ने बचाव पक्ष के वकील और लोक अभियोजक से लिखित तर्क जमा करने का अनुरोध किया है। कोर्ट आरोपी चालक गगनप्रीत कौर की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा है।
प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट अंकित गर्ग ने आरोपी के वकील, दिल्ली के विशेष लोक अभियोजक और शिकायतकर्ता के वकील की दलीलें सुनने के बाद दिल्ली पुलिस को सीसीटीवी फुटेज और अन्य साक्ष्य पेश करने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई गुरुवार दोपहर 2 बजे के लिए सूचीबद्ध की थी।
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आरोपी की ओर से तर्क
आरोपी गगनप्रीत कौर के वकील प्रदीप राणा ने शुरुआत में दलील दी कि आरोपी की ओर से कोई गलत इरादा नहीं था। उन्होंने वेंकटेश्वरा अस्पताल को कॉल किया, लेकिन कॉल का जवाब नहीं मिला। उन्होंने पीसीआर को भी कॉल किया। वकील ने बताया कि गगनप्रीत कौर ने घायलों को न्यूलाइफ अस्पताल ले गई और अपने पिता से नवजोत सिंह और उनकी पत्नी के इलाज के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए।
एफआईआर में देरी पर सवाल
आरोपी के वकील ने एक सवाल उठाते हुए कहा, 'एफआईआर 10 घंटे की देरी से दर्ज की गई। पुलिस ने इतना समय क्यों लिया?' उन्होंने यह भी कहा कि घटना के दिन 1:38-1:39 बजे पीसीआर कॉल की गई थी। आरोपी का कथित इरादा गलत समझा गया है। वह डॉक्टर नहीं है और उसे यह पता नहीं था कि मरीज को कितना समय बचा है? यह हत्या के अपराध का मामला नहीं है।
जमानत की मांग
बचाव पक्ष के वकील ने कहा, 'वह अग्रिम जमानत नहीं मांग रही है। उसे गिरफ्तारी के बाद 10 दिन से हिरासत में रखा गया है। उसने जांच में सहयोग किया। जब मांगा गया, तो उसने अपना मोबाइल और ड्राइव पुलिस को सौंप दिया।' वकील ने कहा कि पूरा परिवार पीड़ित है और सभी साक्ष्य पुलिस के पास हैं। उसे जमानत दी जा सकती है।
गोल्डेन आवर्स का नहीं किया पालन
इसके जवाब में सरकारी वकील अतुल श्रीवास्तव और अतिरिक्त लोक अभियोजक दिशांक धवन ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि एआईएमएस अस्पताल आरोपी के निवास से न्यूलाइफ अस्पताल की तुलना में करीब है। उन्होंने ने 'गोल्डेन आवर्स' का हवाला देते हुए जल्दी चिकित्सा उपचार के लिए अस्पताल पहुंचने की बात कही। उन्होंने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि अस्पताल द्वारा तैयार कागजात में विशिष्ट समय का उल्लेख नहीं है।
पुलिस का तर्क
दिल्ली पुलिस के वकील ने दलील दी कि आरोपी का इरादा घटना के बारे में पुलिस को सूचित करने का नहीं था। अस्पताल से कॉल करने वाले ने पुलिस को बताया कि एक मरीज की मृत्यु हो गई और एक घायल है। मदद की जरूरत है। सरकारी वकील ने आगे कहा कि आरोपी पिछले 6 साल से दक्षिण दिल्ली में रह रही थी और उसे क्षेत्र और वहां के अस्पतालों की अच्छी जानकारी थी।
आरोपी के अस्पताल चयन पर सवाल
एसपीपी ने तर्क दिया कि आरोपी का इरादा घायलों को बचाने का नहीं, बल्कि खुद को कानूनी कार्रवाई से बचाने का था। यह भी कहा कि वह घायलों को अपने रिश्तेदारों के स्वामित्व वाले अस्पताल में ले गई। साथ ही, यह भी दावा किया गया कि साक्ष्य के साथ पहले ही छेड़छाड़ की गई है। यह जमानत देने का मामला नहीं है।
बीएमडब्ल्यू से मांगी क्रैश रिपोर्ट
एसपीपी श्रीवास्तव ने बताया कि गवाह गुलफाम ने कहा कि आरोपी ने उसे आजादपुर की ओर ले जाने को कहा था। कोर्ट के सवाल के जवाब में जांच अधिकारी ने बताया कि बीएमडब्ल्यू को नोटिस जारी किया गया है, जिसमें कार की गति का पता लगाने के लिए क्रैश रिपोर्ट मांगी गई है।
अस्पताल में भेदभाव का आरोप
शिकायतकर्ता के वकील अतुल कुमार ने दलील दी कि घायलों को अस्पताल के लॉबी में स्ट्रेचर पर घंटों रखा गया। दूसरी ओर आरोपी को आईसीयू में भर्ती कराया गया। दुर्घटना स्थल से 2 मिनट की दूरी पर एक सेना का अस्पताल है। फिर भी यह कदम उठाया गया।
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(एजेंसी के इनपुट के साथ)
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