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    दिल्ली में सूखी खांसी की दवा डेक्सट्रोमेथोर्फन पर लगी रोक! केंद्र सरकार की एडवाइजरी के बाद किया अमल

    Updated: Sat, 04 Oct 2025 09:40 PM (IST)

    दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में खांसी की दवा डेक्सट्रोमेथोर्फन पर रोक लग गई है। केंद्र सरकार के निर्देश के बाद स्वास्थ्य विभाग ने यह फैसला लिया। यह दवा मॉर्फीन ग्रुप की है और बच्चों के लिए नुकसानदायक हो सकती है। अब दवाओं की आपूर्ति सेंट्रल प्रोक्योरमेंट एजेंसी (सीपीए) करेगी जिससे गुणवत्तापूर्ण दवाएं मिल सकें। पुराने स्टॉक के इस्तेमाल पर समीक्षा के बाद निर्णय होगा।

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    सूखी खांसी होने पर अस्पतालों में मिलने वाली डेक्सट्रोमेथार्फन पर रोक।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। देश के अलग-अलग हिस्सों में इन दिनों कफ सिरप से बच्चों की मौत की खबर लगातार सामने आ रही है। राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे कई राज्यों में डेक्सट्रोमेथार्फन वाली सिरप पीने से कई बच्चों की मौत हो गई।

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    तमिलनाडु और मध्य प्रदेश ने इस पर बैन लगा दिया, जबकि सूखी खांसी होने पर दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में व्यस्क मरीजों को यह सिरप देना सामान्य है।

    दिल्ली स्टेट हेल्थ मिशन की साइट के मुताबिक लोक नायक अस्पताल के स्टाक में 34,800 तो महर्षि वाल्मिकी अस्पताल में 1,33,600 सिरप का स्टाक है।

    यह सिरप पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नहीं दिया जाता है। हालांकि इसे लेकर केंद्र सरकार की एडवाइजरी पर अमल करते हुए स्वास्थ्य विभाग ने भी इस पर रोक लगा दी है।

    दरअसल, अब से पहले अस्पताल सीधे तौर पर या जेम पोर्टल से दवाओं की खरीदी करते थे। ऐसे में जिन भी अस्पतालों के स्टाक में यह दवा है, उनका इस्तेमाल न करने का निर्देश दिया गया है।

    अब दवाओं की आपूर्ति के लिए सेंट्रल प्रोक्योरमेंट एजेंसी (सीपीए) का गठन कर उसे यह जिम्मा दिया गया है। पूरा सेटअप तैयार है।

    अगले सप्ताह से इस केंद्रीयकृत व्यवस्था के तहत दवाओं की खरीदी शुरू भी हो जाएगी। डेक्सट्रोमेथार्फन के बचे स्टाक के इस्तेमाल या नई खरीदी में उसे शामिल करने को लेकर समीक्षा बैठक के बाद ही निर्णय लिया जा सकेगा।

    पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नहीं दी जाती

    डेक्सट्रोमेथार्फन सिरप को लेकर दिल्ली के डाॅ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में मेडिसिन विभाग के डाॅ. पुलिन कुमार गुप्ता कहते हैं कि यह मार्फीन ग्रुप की दवा है। इससे बेहोशी आती है। ऐसे में बहुत सुरक्षित तो यह किसी के लिए भी नहीं होती है।

    इससे श्वसन तंत्र को भी नुकसान हो सकता है। ओवरडोज की स्थिति में जान भी जा सकती है। इसे पांच साल से कम उम्र के बच्चों को बिल्कुल भी नहीं दिया जाता।

    इससे अधिक उम्र के मरीजों को बहुत ज्यादा ड्राई कफ होने की स्थिति में सूखी खांसी आने पर ही दी जाती है। हालांकि दवा की सामान्य मात्रा नुकसान नहीं पहुंचाती है। बहुत समय से यह इस्तेमाल भी हो रही है।

    केंद्र की एडवाइजरी एडाप्ट करते हुए उसे दिल्ली में भी लागू कर दिया गया है। सरकारी अस्पतालों में इस दवा का जो भी पुराना स्टाक है, उस पर रोक लगा दी गई है। अब सेंट्रल प्रोक्योरमेंट एजेंसी (सीपीए) की केंद्रीयकृत व्यवस्था के तहत दवाओं की आपूर्ति होगी। इसके जरिए अस्पतालों के लिए एक समान, गुणवत्तापूर्ण और पारदर्शी खरीद प्रक्रिया सुनिश्चित की जाएगी।

    -डाॅ. पंकज सिंह, स्वास्थ्य मंत्री, दिल्ली।

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