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    बेवजह एक्स-रे और सीटी स्कैन से खतरे में पड़ रही जिंदगी... सिर दर्द तक में करा दी जाती है रेडियोलॉजी जांच

    Updated: Sat, 04 Oct 2025 08:43 PM (IST)

    विशेषज्ञों का कहना है कि अनावश्यक एक्स-रे और सीटी स्कैन से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। चिकित्सकों को मैनुअल जांच पर अधिक ध्यान देना चाहिए। युवाओं में स्पॉन्डिलाइटिस के मामले बढ़ रहे हैं जिससे बचाव के लिए नियमित व्यायाम सही मुद्रा और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना जरूरी है।तकनीक का उपयोग करना ज़रूरी है पर मरीज को मैनुअल जाँच से देखना भी बहुत ज़रूरी है।

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    एनएसएसआई के दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में बोले विशेषज्ञ न्यूरो सर्जन। जागरण

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। मैनुअल जांच की प्रचलन धीरे-धीरे कम हो रहा है। सिर दर्द या रीढ़ में दर्द की शिकायत पर कई बार चिकित्सक सीधे एक्स-रे या सीटी स्कैन के लिए भेज देते हैं। रेडियोलाॅजी जांचों के दौरान मरीज का शरीर हानिकारक विकिरण झेलता है।

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    यह स्टडी भी है कि 20 वर्ष से कम उम्र में रेडियोलाॅजी एक्पोजर झेलने वाले मरीजों में 10 प्रतिशत को भविष्य में कैंसर होने का जोखिम रहता है।

    यह बातें आरएमएल अस्पताल में न्यूरोलाजिकल सर्जंस सोसायटी ऑफ इंडिया की ओर से चल रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम में शनिवार को सोसाइटी के संस्थापक अध्यक्ष व न्यूरो सर्जन प्रो. आरएस मित्तल ने कही।

    उन्होंने कहा कि जब तक बहुत जरूरी न हो जाए, मरीज को रेडियोलाॅजी जांच के लिए नहीं भेजना चाहिए। बीमारी पकड़ने के लिए मैनुअल एग्जामिनेशन की विधि को मजबूत बनाना होगा।

    वहीं एनएसएसआई के पूर्व अध्यक्ष प्रो. एमके तिवारी ने कहा कि एआइ के जमाने में हम प्रतिभागियों को मैनुअल परीक्षण करना सिखा रहे हैं। एआइ से बहुत कुछ हासिल हो सकता है, पर मानवीय दृष्टिकोण का समावेश भी जरूरी है।

    तकनीक रास्ता बता सकती है, पर मरीज और उसकी बीमारी के लिए कौन सी जांच और विधि सबसे कारगर है यह मैनुअल में प्रशिक्षित सर्जन ही बेहतर तय कर सकता है।

    आरएमएल के न्यूरोलाॅजी विभागाध्यक्ष प्रो. अजय चौधरी ने बताया कि एनएसएसआई हर दो-तीन माह में देश के अलग-अलग हिस्से में कार्यशाला आयोजित कर वहां के न्यूरो सर्जन को प्रशिक्षित कर रही है।

    इस अवसर पर एनएसएसआई के सेक्रेटरी प्रो. शरद पांडेय, एम्स दिल्ली की प्रो. श्वेता केडिया, न्यूरोलाजी विभागाध्यक्ष-जीबी पंत अस्पताल प्रो. अनीता जगेतिया, डाॅ. आशुतोष झा आदि रहे।

    स्पांडिलाइटिस के मामले आ रहे ज्यादा

    चिकित्सकों के मुताबिक वर्तमान में युवाओं में डिस्क से संबंधित और स्पांडिलाइटिस के मामले ज्यादा आ रहे हैं।स्पांडिलाइटिस रीढ़ की हड्डियों और जोड़ों में होने वाली सूजन है, जिससे दर्द और जकड़न होती है।

    यह धीरे-धीरे बढ़ती है और समय के साथ चलने-फिरने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है। इसके कारण खराब पोस्चर, मानसिक तनाव, ऑटोइम्यून विकार और उम्र बढ़ना हो सकता है। इसके लक्षणों में गर्दन और पीठ में दर्द, जकड़न, थकान और बुखार शामिल हैं।

    रीढ़ या डिस्क से संबंधित समस्या के कारण

    • खराब सड़कें।
    • तेज गति से वाहन चलाना।
    • कंप्यूटर पर सिर झुकाकर देर तक काम करना।
    • मोबाइल पर ज्यादा समय बिताना।-लंबे समय तक बैठकर काम करना।
    • नियमित व्यायाम से दूरी।

    स्पांडिलाइटिस से ऐसे करें बचाव

    • नियमित व्यायाम और स्ट्रेचिंग करें।
    • कैल्शियम और विटामिन डी युक्त आहार लें।
    • लंबे समय तक बैठकर काम करना हो तो सही मुद्रा बनाए रखें।
    • वजन को नियंत्रित रखें।
    • पर्याप्त नींद लें।
    • लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठने या गर्दन को गलत मुद्रा में रखने से बचें।

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