दिल्ली पुलिस के सामने क्या है बड़ी चुनौती? चुनाव में भी बनेगा मुद्दा; AAP ने बीजेपी को घेरा
दिल्ली की कानून व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। अपराधों में वृद्धि महिलाओं के खिलाफ अपराध यातायात जाम जैसी समस्याओं से जूझ रही है दिल्ली। इस रिपोर्ट में हम दिल्ली की कानून व्यवस्था की खामियों सुधारों और सुझावों पर चर्चा करेंगे। जानिए दिल्ली की कानून व्यवस्था को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है। आगे विस्तार से इस पूरी रिपोर्ट पढ़िए।

दिल्ली की कानून व्यवस्था को लेकर सियासी माहौल गर्म है। दिल्ली में बढ़ते अपराध का मामला इस बार राजनीतिक मुद्दा भी बन गया है। आम आदमी पार्टी हत्याओं, गैंगवार, रंगदारी, लूटपाट समेत अन्य आपराधिक वारदातों का हवाला देकर लचर कानून व्यवस्था का आरोप लगाती आ रही है।
भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर आम आदमी पार्टी हमलावर है, क्योंकि दिल्ली की कानून व्यवस्था केंद्र सरकार के अधीन है। दिल्ली में बढ़ रहीं आपराधिक वारदातों को लेकर कुछ समय पहले गृह मंत्री ने दिल्ली पुलिस के अधिकारियों को सख्त दिशानिर्देश भी दिए थे। ऐसे में, इस विधानसभा चुनाव में राजनीतिक स्तर पर दिल्ली की कानून व्यवस्था अहम मुद्दा है। दिल्ली की कानून व्यवस्था में खामियों, सुधार एवं सुझावों को लेकर पेश है मोहम्मद साकिब की रिपोर्ट-
जाम से निजात को हर चौराहे पर हो पुलिस
जागरण, नई दिल्ली। बेहतर कानून व्यवस्था से एक सुरक्षित माहौल मिलता है। ऐसा नहीं है कि दिल्ली बीते वर्षों में कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने के प्रयास नहीं किए गए, लेकिन ये पर्याप्त नहीं है। लोगों की अपेक्षा है शहर अपराध मुक्त हो, जहां लोग बेखौफ होकर रह सकें। उद्यमी निवेश कर सकें, अभिभावक अपने बच्चों को बेहिचक बाहर भेज सकें, महिलाएं बिना किसी डर के कहीं भी आ और जा सकें, शिकायत पर त्वरित कार्रवाई हो।
स्मार्ट पुलिसिंग के लिए तकनीक के समावेश की आवश्यकता
स्मार्ट पुलिसिंग के लिए नई तकनीक, साफ्टवेयर, डाटा एनालिसिस, इंटरसेप्ट सिस्टम, ड्रोन और आधुनिक वाहन उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता है, हालांकि दिल्ली पुलिस इसमें काफी आगे है, लेकिन और सुधार की जरूरत है।
कानून व्यवस्था को मजबूत करना चुनौती
पुलिसिंग में राजनीतिक हस्तक्षेप सबसे बड़ी समस्या है। इसके चलते ही एक से दो साल के भीतर राज्यों और जिलों के मुखिया बदल दिए जाते हैं। केंद्र सरकार से ऐसा कानून बनाए जाने की अपेक्षा है, जिसमें किसी भी राज्य या जिले के मुखिया को दो साल से पहले बदला न जा सके, ताकि अफसर कानून-व्यवस्था को लेकर शहर या राज्य के लिए योजना बनाकर और उसे लागू कर सके।
दो वर्ष का हो पुलिस मुखिया का कार्यकाल
दिल्ली से सटे राज्यों उत्तर प्रदेश और हरियाणा में रहने वाले गैंग्सटर की धरपकड़ तेज करने की जरूरत है। पड़ोसी राज्यों की पुलिस के साथ समन्वय बनाकर इन पर कार्रवाई हो, जिससे दिल्ली में सुरक्षित माहौल बने। इसके साथ ही विदेश में बैठे अपराधी दिल्ली में अपने गुर्गों के जरिये वारदात कराते है, इनकी धरपकड़ के लिए विशेष प्रयास करने की जरूरत है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली पुलिस के अधिकारियों की लगातार समन्वय बैठकें होनी चाहिए। नियमित मीटिंग के साथ ही निगरानी होनी चाहिए।
दूसरे राज्यों और विदेश में रहने वाले बदमाश पकड़े जाएं
महिलाओं के खिलाफ अपराध पर त्वरित कार्रवाई करना दिल्ली पुलिस की प्राथमिकताओं में शामिल है, पर स्याह पक्ष यह है कि अभी भी महिला पीड़ितों की दिल्ली के थानों में कोई सुनने वाला नहीं होता है। पिछले 25 सालों में गृह मंत्रालय, दिल्ली पुलिस को पब्लिक फ्रेंडली बनाने की दिशा में प्रयास कर रहा है। कई मौकों पर केंद्रीय गृह मंत्री दिल्ली पुलिस को पब्लिक फ्रेंडली बनाने की नसीहत दे चुके हैं, लेकिन अभी भी महिलाएं शिकायत दर्ज कराने के लिए थाने तक नहीं पहुंच रही हैं।
महिलाओं के विरुद्ध अपराधों पर की जाए त्वरित कार्रवाई
पुलिसिंग के दौरान कामकाज में निष्पक्षता लाने की काफी जरूरत है। इसके लिए कठोर कानून बनना चाहिए। जेल में बंद किसी आरोपित को अपने स्वजन के इलाज या बेटी की शादी के लिए पैरोल नहीं मिल पाता है, जबकि खतरनाक अपराधी, गैंग्सटर पैरोल लेकर न सिर्फ बाहर घूमते हैं, बल्कि आपराधिक वारदात को भी अंजाम देते हैं। यदि कानून में ऐसे प्रविधान कर दिए जाएं, जिसमें गैंग्सटर को आसानी से पैरोल न मिले और इतनी सख्ती बरती जाए।
गैंग्सटर जेल से अपने गैंग को नहीं चला पाएं
राजधानी में यातायात जाम भी एक बड़ी समस्या है। यातायात पुलिस की संख्या महज सात हजार है, जिससे सभी प्रमुख चौराहे पर यातायात कर्मियों की तैनाती नहीं की जा सकती है। अगर सभी चौराहे पर यातायात कर्मियों की तैनाती की जाए, तब ही जाम से निजात मिल सकती है।
सुरक्षा व्यवस्था को लेकर लोगों की उम्मीदें
- पुलिस को मुहैया कराए जाएं आधुनिक हथियार l
- साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों को देखते ही पुलिसिंग को स्मार्ट बनाया जाए l
- ड्रग्स तस्करी पर अंकुश लगाएं, स्कूल व कालेज के आसपास विशेष दस्ते तैनात किए जाएं।
साइबर अपराधों का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हर दिन गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम पोर्टल पर करीब सात से आठ हजार शिकायतें आती हैं। जागरूकता के अभाव में पीड़ित पहले हेल्पलाइन नंबर 1930 पर काल करने के बजाय साइबर थाने में शिकायत करने चले जाते हैं। तब तक साइबर अपराधी उनके पैसे डकार जाते हैं। इनकी धरपकड़ के साथ ही लोगों को जागरूक करने की भी आवश्यकता है। जिससे निवेश के नाम पर ठगी, डिजिटल अरेस्ट कर ठगी आदि से मुक्ति मिले।
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हर दिन साइबर अपराध की 8,000 शिकायतें आती हैं
दिल्ली में जितनी तेजी से जनसंख्या बढ़ रही है उस हिसाब से दिल्ली पुलिस की संख्या दो लाख से अधिक होनी चाहिए। लेकिन उनकी संख्या 90 हजार से भी नीचे हैं। इनमें भी अधिकतर वीवीआइपी की सुरक्षा में लगे होते हैं। पुलिसकर्मियों की संख्या कम होने के कारण सड़कों पर उनकी मुस्तैदी न के बराबर दिखाई देती है।
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