दिल्ली सरकार ने लिया एक और बड़ा फैसला, अब इस अभियान को 2 अक्टूबर तक बढ़ाया
दिल्ली सरकार ने दिल्ली को कचरे से आजादी अभियान को 2 अक्टूबर तक बढ़ाया है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में लैंडफिल साइटों को समतल करने वेस्ट-टू-एनर्जी संयंत्रों की स्थापना और प्रत्येक जोन में कचरा प्रबंधन केंद्र स्थापित करने पर चर्चा हुई। करोलबाग और कमला नगर में मल्टीलेवल पार्किंग बनाई जाएगी और डेयरी कचरे के लिए बायोगैस संयंत्र बनेंगे। सफाई कर्मियों के कार्यों का भी अध्ययन किया जाएगा।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने अपने महत्वाकांक्षी अभियान ''दिल्ली की कचरे से आजादी'' को दो अक्टूबर तक बढ़ाने का निर्णय लिया है। यह निर्णय ठोस कचरा प्रबंधन (सालिड वेस्ट मैनेजमेंट) की स्थिति की समीक्षात्मक उच्चस्तरीय बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने की।
वहीं, बैठक में महापौर सरदार राजा इकबाल सिंह, दिल्ली के शहरी विकास मंत्री आशीष सूद और एमसीडी के आयुक्त अश्वनी कुमार भी शामिल थे।
लैंडफिल को समतल करने और नई परियोजनाओं पर जोर
बैठक में गाजीपुर, ओखला और भलस्वा में स्थित तीन लैंडफिल को समतल करने की प्रक्रिया को तेज करना और शहर में प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले 11,300 मीट्रिक टन कचरे के पूर्ण प्रबंधन के लिए नए वेस्ट-टू-एनर्जी (डब्ल्यूटीई) संयंत्रों की स्थापना पर चर्चा हुई। साथ ही प्रत्येक जोन में कचरा प्रबंधन केंद्रों का विकास, गोबर संयंत्रों की स्थापना, गौशाला में उपचार संयंत्र, श्मशान घाटों पर गोबर से बने लट्ठों की उपलब्धता और वित्तीय स्थिति जैसे विषयों पर भी विमर्श हुआ।
महापौर ने बताया कि तीनों लैंडफिल पर पुराने कचरे के दैनिक प्रसंस्करण की क्षमता को 15 हजार टन प्रतिदिन से बढ़ाकर 25 हजार टन कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि चार नए वेस्ट-टू-एनर्जी संयंत्रों को 2026 तक चालू करने की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए, ताकि मौजूदा लैंडफिल साइटों पर ताजा कचरे का निपटान पूरी तरह बंद हो सके।
उन्होंने आश्वस्त किया कि बिजली ट्रांसमिशन लाइनों को स्थानांतरित करने से संबंधित मुद्दों को हल करने में उनका कार्यालय सक्रिय रहेगा, ताकि परियोजनाओं का समय पर कार्यान्वयन सुनिश्चित हो।
वेस्ट-टू-एनर्जी संयंत्रों की स्थिति
वर्तमान में, दिल्ली में प्रतिदिन 11,300 मीट्रिक टन ताजा कचरा उत्पन्न होता है, जिसमें से 7,300 टन का प्रसंस्करण गाजीपुर, तहकंड, ओखला, और नरेला में स्थित चार वेस्ट-टू-एनर्जी संयंत्रों द्वारा किया जाता है। नरेला-बवाना में पांचवें डब्ल्यूटीई संयंत्र की स्थापना के लिए केंद्र सरकार से पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त हो चुकी है और बिजली ट्रांसमिशन लाइनों को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया चल रही है।
इस संयंत्र को दिसंबर 2027 तक चालू करने का लक्ष्य है, जो 3,000 मीट्रिक टन कचरे का प्रसंस्करण करेगा। इसी तरह गाजीपुर में छठा डब्ल्यूटीई संयंत्र स्थापित करने की प्रक्रिया भी चल रही है, जो प्रतिदिन 2,000 मीट्रिक टन कचरे का प्रसंस्करण करेगा और दिसंबर 2028 तक चालू होने की उम्मीद है।
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ओखला डब्ल्यूटीई संयंत्र की क्षमता को 1,950 मीट्रिक टन प्रतिदिन से बढ़ाकर 2,950 मीट्रिक टन प्रतिदिन करने के लिए केंद्र सरकार ने 50 करोड़ रुपये की व्यवहार्यता अंतर निधि प्रदान करने पर सहमति जताई है। इस संयंत्र के मार्च 2027 तक चालू होने की संभावना है। इसके साथ ही, तहखंड संयंत्र की क्षमता में भी एक हजार टन प्रतिदिन की वृद्धि की जाएगी।
जोन-स्तरीय कचरा प्रबंधन केंद्र और अन्य योजनाएं
बैठक में यह भी चर्चा हुई कि दिल्ली के प्रत्येक जोन में उपयुक्त क्षेत्र और क्षमता के साथ समर्पित कचरा प्रबंधन केंद्र स्थापित किए जाएंगे। सफाई कर्मचारियों और मालियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए एक व्यापक वित्त पोषण प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया गया, ताकि जमीनी स्तर पर संचालन को मजबूत किया जा सके और पार्कों की स्थिति में सुधार हो।
करोलबाग और कमला नगर में बनेगी 10 मल्टीलेबल पार्किंग
करोलबाग और कमला नगर जैसे उच्च पैदल यातायात वाले क्षेत्रों में लगभग 10 नए मल्टीलेवल पार्किंग ढांचों की योजना बनाई जाएगी। इसके अतिरिक्त, डेयरी कचरे के प्रबंधन के लिए उपयुक्त स्थानों पर भूमि उपलब्धता के आधार पर दो नए बायोगैस संयंत्रों के निर्माण का प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। करोलबाग में पार्किंग की कमी के मुद्दे को हाल ही में दैनिक जागरण ने प्रमुखता से उठाया था।
सफाई कर्मियों के कार्यों का होगा अध्ययन
उधर, एमसीडी की डेम्स कमेटी की बैठक सिविक सेंटर में हुई। जिसमें डेम्स कमेटी अध्यक्ष संदीप कपूर ने डिप्टी चेयरमैन धर्मवीर की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की, जो सभी वार्डों में कर्मचारियों की नियुक्तियां , संख्या और किए जाने वाले कार्य का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट देगी। जिसके आधार पर सभी वार्डों में जनसंख्या ,भौगोलिक स्थिति के हिसाब से कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी।
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