AC में बैठे अफसरों की कब खुलेंगी आंखें, ये लापरवाही देख हर कोई हैरान; कबाड़ वाहनों का कब होगा समाधान?
पूर्वी दिल्ली में सरकारी विभागों के बाहर खड़े कबाड़ वाहन एक बड़ी समस्या बन गए हैं। मानसून में इन वाहनों पर हरियाली उग आई है जो विभागों की लापरवाही को दर्शाती है। पुलिस थानों और निगम कार्यालयों में 200 से अधिक वाहन वर्षों से खड़े हैं जिससे पार्किंग की समस्या बढ़ गई है। अधिकारी जल्द ही इन वाहनों को हटाने के लिए एक नीति लाने की बात कर रहे हैं।
शुजाउद्दीन, पूर्वी दिल्ली। दिल्ली के दिल वालों ने कुछ माह पहले ऐसा वक्त भी देखा जब उम्र पूरी कर चुके वाहनों को दिल्ली नगर निगम ने सड़कों से लेकर पार्किंग तक से जब्त कर कबाड़ में डाल दिए। इसमें ऐसे वाहन भी थे जिन्हें लोगों ने अच्छी तरह से रखरखाव किया हुआ था।
वहीं, वर्षों से सरकारी कार्यालयों में खड़े कबाड़ वाहनों की तरफ किसी भी विभाग का ध्यान नहीं है। मानसून चल रहा है। उन कबाड़ वाहनों में हरियाली उग आई है। यह हरियाली सरकारी विभागों को यह आईना दिखाती है कि कबाड़ वाहनों के निस्तारण के लिए वह कितने गंभीर है। नियम अगर आम लोगों के लिए हैं तो सरकारी विभागों पर वह लागू क्यों नहीं होते हैं।
पुलिस थाने, निगम कार्यालय और बोट क्लब में 200 से अधिक कबाड़ वाहन वर्षों से खड़े हुए हैं। यह वाहन खड़े-खड़े गल चुके हैं। सरकारी कार्यालयों में भले ही पार्किंग की दिक्कते हैं, कर्मचारियों से लेकर यहां आने वाले फरियादियों को अपना वाहन खड़ा करने के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिल पाती है। कबाड़ वाहन जगह घेरे हुए हैं।
ऐसा नहीं है सत्ता में बैठे जनप्रतिनिधियों से लेकर एसी कार्यालय में बैठने वाले अधिकारी तक भली भांती सब जानते हैं, लेकिन समस्या को देखकर भी अनजान बने हुए हैं। अधिकतर कबाड़ वाहन वहां खड़े हैं, जहां पेड़-पौधे लगे हुए हैं। मानसून में इन कबाड़ वाहनों पर भी पेड़ पौधों से हरियाली छाई हुई है।
वहीं, एक आम इंसान के मन में इन वाहनों को देखकर यह सवाल उठता है कि निगम ने उनके उन वाहनों को पार्किंग तक से उठा लिया, जिनकी उम्र पूरी हो चुकी थी। लेकिन खुद सरकारी विभाग अपने कबाड़ वाहनों को वर्षों से उठा नहीं सका।
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इन कबाड़ वाहनों के बारे में बोट क्लब, निगम कार्यालय व पुलिस थानों में खड़े वाहनों के बारे में पूछा गया तो अधिकारियों ने कहा कि सरकारी वाहन जब कबाड़ हो जाते हैं तो इनकी बोली लगती है, उसमें यह बेचे जाते हैं। वाहन वर्षों से खड़े हुए हैं, अधिकतर के कागजात भी खो चुके हैं। बेचने से पहले यह देखा जाना है कौन सा वाहन किस विभाग के किस विंग के अधिकारी को दिया गया था।
सरकार कबाड़ खड़े वाहनों पर जल्द ही पॉलिसी ला रही है। इन वाहनों को सरकारी कार्यालयों से हटाकर इनके सही स्थान पर भेजा जाएगा। - जितेंद्र महाजन, चेयरमैन शाहदरा जिला विकास समिति
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