Delhi Waterlogging Crisis: दिल्ली में जलभराव का क्या है समाधान, पढ़ें विशेषज्ञों की सलाह
दिल्ली में अव्यवस्थित ड्रेनेज सिस्टम के कारण जलभराव एक बड़ी समस्या है जिसका मुख्य कारण अनियोजित विकास है। 65% शहर अनियोजित है और 1700 कॉलोनियों में ड्रेनेज सिस्टम नहीं है। विशेषज्ञ 100 साल के विजन प्लान और 5 साल के एक्शन प्लान की सलाह देते हैं। सरकार 2021 से ड्रेनेज मास्टर प्लान पर काम कर रही है लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

वी के शुक्ला, नई दिल्ली। अव्यवस्थित ड्रेनेज सिस्टम के चलते मानसून के दौरान होने वाले जलभराव से दिल्ली परेशान है। यह समस्या केवल एक साल की नहीं पिछले कई सालों से लगातार बनी हुई है और बढ़ती ही जा रही है। कारण दिल्ली में व्यवस्थित ड्रेनेज सिस्टम का ना होना है।
एक तरफ सीवर सिस्टम बैठा हुआ है दूसरी तरफ अव्यवस्थित ड्रेनेज सिस्टम कोढ़ में खाज का काम कर रहा है। इसका एक बड़ा कारण 65 प्रतिशत से अधिक शहर का अनियोजित विकास होना है तो 1700 कालोनियों में व्यवस्थित ड्रेनेज सिस्टम ना होना भी इस शहर में जल निकासी के मामले में एक बड़ी समस्या है।
नालों पर अतिक्रमण और इनकी ठीक से सफाई न होना भी जल भराव की समस्या को बढ़ावा दे रहा है। नालों के रखरखाव को लेकर बहुनिकाय व्यवस्था एक अलग समस्या है।विशेषज्ञों की मानें तो जब तक दिल्ली के लिए अगले 100 के विजन को लेकर काम नहीं होगा, यह समस्या हल हाेने वाली नहीं है।
विजन प्लान को जमीन पर लाने के लिए हर पांच वर्ष के लिए एक्शन प्लान तैयार करना होगा और उसे जमीन पर लागू भी करना होगा। दिल्ली सरकार को इसके लिए हाईपावर कमेटी बनानी चाहिए, जो ड्रेनेज सिस्टम पर काम करे।
देश की राजधानी वाले शहर में ड्रेनेज मास्टर प्लान 50 साल पुरानी व्यवस्था पर टिका हुआ है। पुरानी व्यवस्था के तहत जलनिकासी व्यवस्था हाेने से कई तरह की समस्याएं हाे रही हैं।दिल्ली के जो वर्तमान हालात हैं, उसमें बेहतर जलनिकासी व्यवस्था की उपयोगिता दिल्ली के लिए अधिक बढ़ जाती है लोक निर्माण विभाग के पूर्व प्रमुख अभियंता दिनेश कुमार कहते हैं कि इस मामले में एक बड़ी समस्या यह भी आ रही है कि दिल्ली के ड्रेनेज सिस्टम पर केवल मानसून के दौरान ही बात होती है।
यह राजधानी का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि मानसून के दौरान बरसाती जल निकासी के लिए जो ड्रेनेज मास्टर प्लान दिल्ली के लिए अत्यंत जरूरी है, इस पर चार साल गुजर जाने के बाद भी काम पूरा नहीं हो सका है।अभी भी इसका ड्राफ्ट तैयार करने का काम पूरा नहीं हो सका है।
वह कहते हैं कि 1976 में जब दिल्ली के लिए ड्रेनेज मास्टर प्लान बना था, अगर उसे 100 साल के विजन के साथ तैयार किया गया होता तो दिल्ली के आज ये हालात नहीं होते। उस समय यह योजना 60 लाख की आबादी के लिए बनाई गई थी और इसका उद्देश्य केवल 50 मिमी वर्षा तक को संभालना था।
मगर तब से अब दिल्ली की आबादी पांच गुना से अधिक बढ़ गई है। शहर की वर्तमान और भविष्य की जरूरतों के अनुसार प्रभावी जल निकासी व्यवस्था के लिए दिल्ली सरकार 2021 से एक नए जल निकासी मास्टर प्लान पर काम कर रही है। इस योजना के अनुसार पीडब्ल्यूडी ने शहर को तीन बेसिनों नजफगढ़, बारापुला और ट्रांस-यमुना में विभाजित किया है।
दिल्ली में सीवर की लंबाई 9743 किलोमीटर
70 विधानसभाओं में सीवर की कुल लंबाई 9743.2 किमी है। सबसे लंबी सीवर लाइनें सर्कल-1, सर्कल-2, सर्कल-5, सर्कल-8 और सर्कल-10 में हैं। इन सभी सर्कलों में सीवर लाइनों की लंबाई 1000 किमी से अधिक हैं।
सभी क्षेत्रों से सीवर सफाई के लिए रोजाना करीब 2000 से अधिक कंप्लेंट आती हैं। इन्हें निपटाने के लिए जल बोर्ड के पास 461 सीवर क्लीनिंग मशीनें हैं।
दिल्ली में हैं 201 प्राकृतिक नाले
दिल्ली में 201 प्राकृतिक नाले हैं, जो तीन प्राकृतिक जल निकासी बेसिन के जरिए यमुना में गिरते हैं। नजफगढ़ नाले में 123 ड्रेन मिलते हैं। वहीं, बारापुला नाले में 44 ड्रेन और ट्रांस यमुना बेसिन में 34 नाले मिलते हैं। नजफगढ़ नाला 63.06 प्रतिशत ड्रेनेज एरिया को कवर करता है।
बारापुला 24.28 प्रतिशत और ट्रांस यमुना बेसिन 12.66 प्रतिशत ड्रेनेज एरिया को कवर करता है। दिल्ली में जलभराव की समस्या को देखते हुए दिल्ली सरकार ने करीब तीन साल पहले दिल्ली ड्रेनेज मास्टर प्लान-2021 की घाेषणा की थी। इसके तहत नाले-नालियों में जरूरी बदलाव किए जाने हैं।
100 वर्षों के लिए जल निकासी के संदर्भ में तैयार होना है प्लान
दिल्ली ड्रेनेज मास्टर प्लान का उद्देश्य एक निश्चित समय सीमा के अंदर जल निकासी में सुधार करना है। इसके अनुसार करीब अगले 100 वर्षों के लिए जल निकासी के संदर्भ में एक प्लान तैयार करना है।
प्लान के तहत यह पता लगाया जाना है कि किस नाली का स्लोप खराब है, कौन सी नाली कहां मिलती है और किस नाली को किस नाले से जोड़ना है। इतना ही नहीं, हर नाली और नाले की योजना बनाई जानी है।
दिल्ली में छोटे-बड़े करीब 2846 नाले-नालियां
दिल्ली में छोटे-बड़े करीब 2846 नाले-नालियां हैं और इनकी लंबाई करीब 3740 किलोमीटर है। इसमें नालों का एक बड़ा हिस्सा पीडब्ल्यूडी के पास है और पीडब्ल्यूडी इसका नोडल विभाग भी है। जल निकासी के दिल्ली में तीन बड़े नाले हैं। इसमें ट्रांस यमुना, बारापुला और नजफगढ़ हैं। इसके अलावा कुछ बहुत छोटे नाले अरुणा नगर और चंद्रवाल भी हैं, जो सीधे यमुना में गिरते हैं।
अनियमित कॉलोनियों में व्यवस्थित ड्रेनेज सिस्टम नहीं
दिल्ली एक ऐसा शहर है जो 65 फीसद तक अनियोजित तरीके से बसा है। जहां सुनियोजित तरीके से ड्रेनेज सिस्टम नहीं बनाया गया है। यहां 1700 अनियमित कॉलोनियां हैं, जहां ड्रेनेज सिस्टम ही नहीं है।
गलियों में नालियां अवश्य हैं, लेकिन ये भी आगे जाकर सीवरेज सिस्टम में मिल जाती हैं। चांदनी चौक, नई सड़क, सदर, दयाबस्ती, सब्जी मंडी, शकूरबस्ती जैसे तमाम इलाके ऐसे हैं, जहां सालों पुराना ड्रेनेज सिस्टम काम कर रहा है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
प्लान बनाकर उस पर काम करने की भी जरूरत-एके जैन
आप किसी भी शहर के लिए किसी भी व्यवस्था को लागू करने के लिए 100 साल का विजन प्लान बना सकते हैं, दिल्ली के लिए तो बनना ही चाहिए, जिस पर काम किया ही जाना चाहिए, मगर दिल्ली के जो हालात हैं, उसमें पांच वर्ष का एक्शन प्लान भी बनना चाहिए। एक्शन प्लान अगर पांच साल का नहीं बनाएंगे तो इस पर जिम्मेदारी तय करना बहुत मुश्किल है। पांच साल में सरकारें बदलती हैं और तमाम अधिकारी भी सेवानिवृत हो जाते हैं। जिसमें समस्याएं आती हैं, कई बार काम जहां के तरह रुक जाते हैं और आगे नहीं बढ़ पाते।
एके जैन, पूर्व योजना आयुक्त, दिल्ली विकास प्राधिकरण
दिल्ली के जो हालात हैं, उस पर 100 के विजन को लेकर ही चलना होगा- ओपी त्रिपाठी
किसी भी शहर में आप बसावट को नहीं रोक सकते हैं, मगर शहर को योजनागत तरीके से बसा सकते हैं। बात देश की राजधानी की होती है तो यह बात और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। ड्रेनेज और सीवर की समस्या पर अभी से सक्रियता के साथ कदम उठाने की जरूरत है। हो क्या रहा है कि मानसून के दौरान जब दिल्ली में जलभराव होता है तो हमें सीवर की भी याद आती है और ड्रेनेज सिस्टम के ठीक करने पर बातें उठती हैं। उसके बाद हम फिर पूरे साल के लिए चुप होकर बैठ जाते हैं, यही वह समस्या है जो दिल्ली को मानसून के दौरान परेशान करती है।
डॉ ओ पी त्रिपाठी, पूर्व प्रमुख अभियंता, दिल्ली लोक निर्माण विभाग
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