Delhi: कनॉट प्लेस और सदर बाजार का हाल देख हर कोई हैरान, अफसरों के दावों की खुली पोल
दिल्ली में जलभराव एक गंभीर समस्या बनी हुई है खासकर कनॉट प्लेस और सदर बाजार जैसे प्रमुख व्यापारिक केंद्रों में। हर साल मानसून में इन बाजारों में पानी भर जाता है जिससे व्यापारियों को भारी नुकसान होता है और ग्राहकों को परेशानी होती है। व्यापारी इसके लिए नागरिक एजेंसियों की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराते हैं और सरकार से हस्तक्षेप की मांग करते हैं।

नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। वायु प्रदूषण के साथ ही जलभराव दिल्ली को देश का प्रमुख कारोबारी हब बनाने की राह में रोड़ा बना हुआ है। ''ब्रांड दिल्ली'' की बड़ी पहचान विश्व प्रसिद्ध कनॉट प्लेस में जलभराव और एशिया के बड़े बाजारों में से एक सदर बाजार में कमर भर पानी में आते-जाते लोगों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब साझा की गई।
इसी तरह, चांदनी चौक, चावड़ी बाजार, कश्मीरी गेट, खारी बावली जैसे प्रसिद्ध पुरानी दिल्ली के थोक बाजारों में जलभराव से दूसरे राज्यों से आए खरीदारों को बिना खरीदारी के वापस लौटना पड़ा। वहीं, सैकड़ाें दुकानों में पानी जाने से लाखों का सामान खराब होने की दोहरी मार दुकानदारों को उठानी पड़ी।
मंगलवार को कारोबार करने की जगह दुकानदार सामानों को सुरक्षित करते और दुकानों में जमा गंदे पानी को निकालते दिखे। कनॉट प्लेस में आउटर सर्कल के एल ब्लॉक के सामने स्थित म्यूनिसिपल मार्केट की दुकानों में जलभराव का पानी घुस गया।
वहीं, इसी तरह आउटर सर्कल के जी ब्लॉक की सड़क पर काफी देर तक जलभराव की स्थिति रही। इनर सर्कल में ए व बी ब्लॉक की पार्किंग और दोनों के मीडिल सर्कल में भी जलभराव हो गया।
नई दिल्ली ट्रेडर्स एसोसिएशन (एनडीटीए) के सदस्य अमित गुप्ता निराशा जताते हुए कहा कि यह स्पष्ट तौर पर एनडीएमसी की नाकामी है। सीवर व नाले साफ नहीं हुए तो वर्षा का पानी कैसे निकलेगा? यह ब्रांड कनॉट प्लेस को काफी नुकसान पहुंचाने वाला है।
वैसे, यह कोई पहली बार नहीं है जब दिल्ली की अर्थव्यवस्था को गति देने वाले इन बाजारों की यह दयनीय दशा सामने आई है। गाहे-बगाहे हर एक-दो वर्ष बाद या हर मानसून में यह स्थिति हो जाती है। वर्ष 2023 में भी कनॉट प्लेस में जलभराव हो गया था।
वहीं, सदर बाजार के महावीर बाजार की तो हर मानसून ऐसी ही स्थिति होती है। जबकि, पुनर्विकास के बाद चांदनी चौक के कटरों, कूचों में जलभराव अब हर वर्षा में संकट पैदा करती है।
वहीं, पुरानी के थोक बाजारों के दुकानदार इस उदासीनता के पीछे जनप्रतिनिधियों को जिम्मेदार मानते हैं। यह इसलिए कि विधायक से लेकर पार्षद दुकानदारों को अपना वोट बैंक नहीं मानते, क्योंकि ये दिल्ली के विभिन्न भागों से दुकानों में आते हैं।
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चैंबर आफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) के चेयरमैन बृजेश गोयल कहते हैं कि यह स्थिति 15-20 वर्षों से है, इसके लिए दिल्ली सरकार को बाजारों का रखरखाव खुद अपने हाथ में लेना होगा। फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन (फेस्टा) के महासचिव राजेंद्र शर्मा कहते हैं कि बाजारों के लिए जब तक विस्तृत कार्ययोजना और उसपर क्रियांवयन नहीं होता है तब तक दिल्ली के बाजारों की यह दशा देश के साथ विश्व में दिखाई जाती रहेगी।
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