Delhi Water Crisis: गर्मी बढ़ते ही पेयजल संकट शुरू, कब सुधरेगा; रेखा सरकार की पहल कितनी कारगर?
दिल्ली में गर्मी बढ़ने के साथ ही पेयजल संकट गहराने लगा है। पिछले साल भी कई इलाकों में पानी की किल्लत हुई थी। जरूरत के अनुसार पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने और वितरण व्यवस्था को सुधारने की आवश्यकता है। सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बावजूद दिल्लीवासियों को अभी भी जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। इस संकट से निपटने के लिए ठोस प्रयासों की जरूरत है।
संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली। हर साल गर्मियों में दिल्लीवासियों को जल संकट से जूझना पड़ता है। पिछले साल मई और जून में दिल्ली के कई इलाकों में जल संकट की स्थिति बनी थी। इस पर खूब राजनीति भी हुई थी। लोगों को डर है कि पिछले साल की तरह इस बार भी उन्हें जल संकट से जूझना पड़ सकता है।
जरूरत के मुताबिक, पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने और वितरण व्यवस्था को दुरुस्त करने पर ध्यान न दिए जाने से यह समस्या बनी हुई है। पानी की बर्बादी रोकने, वर्षा जल संचयन, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से शोधित पानी को गैर पेयजल कार्यों में इस्तेमाल करने समेत अन्य विकल्पों पर ध्यान देकर इसे कम किया जा सकता है।
भाजपा सरकार ने इस दिशा में कदम उठाए हैं, लेकिन नतीजे आने में वक्त लगेगा। ऐसे में इस साल भी दिल्लीवासियों को गर्मियों में जल संकट से जूझना पड़ सकता है।
आम आदमी पार्टी दिल्लीवासियों को 24 घंटे शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का वादा कर सत्ता में आई थी। लेकिन, इस वादे को पूरा करने के लिए गंभीर प्रयास नहीं किए गए। 2015 में दिल्ली के जल शोधन संयंत्र (डब्ल्यूटीपी), रेनीवेल और ट्यूबवेल से 906 एमजीडी पानी मिलता था।
अब यह बढ़कर 1000 एमजीडी हो गया है। इस तरह पिछले 10 साल में करीब 100 एमजीडी ज्यादा पानी उपलब्ध हुआ है। दूसरी तरफ, दिल्ली को करीब 1290 एमजीडी पानी की जरूरत है। जरूरत से करीब 22 फीसदी कम पानी मिल रहा है।
उपलब्ध पानी का करीब आधा हिस्सा लीकेज के कारण बर्बाद हो जाता है या चोरी हो जाता है। इससे गर्मियों में ज्यादा परेशानी होती है। ऐसे में नई भाजपा सरकार के सामने हर घर तक पर्याप्त पानी पहुंचाने की चुनौती है।
भाजपा सरकार द्वारा उठाए गए कदम
भाजपा सरकार ने अपने पहले बजट में जलापूर्ति सुधारने के लिए करीब छह सौ करोड़ रुपए खर्च करने का प्रावधान किया है। हरियाणा से आने वाली कच्ची नहर से पानी की बर्बादी रोकने और अमोनिया की समस्या के समाधान के लिए तीन सौ करोड़ रुपए खर्च कर 11 किलोमीटर पाइपलाइन बिछाने की घोषणा की गई है।
पानी की चोरी रोकने के लिए 1111 टैंकरों में जीपीएस सिस्टम लगाया गया है। ट्यूबवेल लगाने पर 100 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।
पेयजल दिल्ली में 600 एमजीडी से अधिक एसटीपी से उपचारित पानी है, लेकिन इसमें से केवल 100 एमजीडी ही इस्तेमाल किया जाता है। पीने के पानी को गैर-पेय उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करके इसकी उपलब्धता बढ़ाई जा सकती है। इसके लिए एसटीपी की गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डीपीसीसी) की रिपोर्ट के अनुसार, 36 में से केवल 12 एसटीपी में ही उपचारित पानी गुणवत्ता मानक के अनुरूप पाया गया है। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने एसटीपी का ऑडिट किसी तीसरे पक्ष से कराने का फैसला किया है।
दूसरे राज्यों से पेयजल उपलब्धता बढ़ाने को प्रस्तावित योजना
दिल्ली को रेणुकाजी बांध (हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में दधौ नदी पर, 2028 तक पूरा होने की उम्मीद), किशाऊ बांध (देहरादून, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में यमुना की सहायक नदी टोंस पर प्रस्तावित) और लखवार बांध (उत्तराखंड के देहरादून जिले में यमुना पर प्रस्तावित) से पानी मिलेगा।
शीला दीक्षित सरकार के दौरान इन परियोजनाओं से दिल्ली को पानी देने पर सहमति बनी थी। अब उम्मीद है कि इन परियोजनाओं पर काम पूरा होने में दो से तीन साल लगेंगे।
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