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    दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों का समय बदला, अब सुबह आठ से रात आठ बजे खुले रहेंगे कॉलेज

    Updated: Sat, 02 Aug 2025 09:10 PM (IST)

    दिल्ली विश्वविद्यालय ने कॉलेजों के खुलने का समय सुबह 8 से रात 8 बजे तक कर दिया है जिससे शिक्षक नाराज हैं। शिक्षकों का कहना है कि छात्रों की संख्या बढ़ी है लेकिन संसाधन सीमित हैं। उनका मानना है कि बुनियादी सुविधाओं को बढ़ाए बिना समय बढ़ाना गलत है और इससे महिला शिक्षकों और छात्राओं की सुरक्षा को लेकर भी चिंताएं हैं।

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    विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से समय बदला की अधिसूचना जारी की गई।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज अब सुबह आठ से रात आठ बजे तक खुले रहेंगे। इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से अधिसूचना जारी हो गई है।

    इस अधिसूचना पर शिक्षकों के बीच व्यापक असंतोष है। विश्वविद्यालय प्रशासन का तर्क है कि इससे संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग हो सकेगा, लेकिन शिक्षकों का मानना है कि यह निर्णय जमीनी वास्तविकताओं से परे है।

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम (एफवाईयूपी) के चौथे वर्ष की शुरुआत के साथ छात्रों की संख्या तो बढ़ी है, लेकिन न तो पर्याप्त कक्षाएं हैं, न ही बैठने की जगह, और न ही पर्याप्त फैकल्टी।

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    इसके बावजूद शिक्षकों पर 40 घंटे प्रति सप्ताह की कार्य अवधि और न्यूनतम पांच घंटे प्रतिदिन कक्षा में रहने का दबाव डाला जा रहा है।

    शिक्षक संगठनों का कहना है कि यदि चौथे वर्ष की पढ़ाई के लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता है, तो पहले नए भवन, लाइब्रेरी, लैब और परिवहन जैसी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा किया जाना चाहिए।

    सुबह से रात तक काॅलेज खोलने का निर्णय महिला शिक्षकों और छात्राओं की सुरक्षा को लेकर भी चिंताएं बढ़ा रहा है।

    किरोड़ीमल काॅलेज के एसोसिएट प्रोफेसर रुद्राशीष चक्रवर्ती ने इस आदेश को तानाशाहीपूर्ण, शिक्षक और छात्र विरोधी करार देते हुए कहा  कि ये शेड्यूल विश्वविद्यालय की मुहर के साथ जबरन लागू किया जा रहा है, जबकि काॅलेजों के पास बैठने तक की जगह नहीं है।

    इंडियन नेशनल टीचर्स कांग्रेस (इंटेक) के अध्यक्ष प्रो पंकज कुमार गर्ग ने कहा, बिना अधोसंरचना सुधार, सुरक्षा, परिवहन व स्टाफ सहयोग के ऐसे निर्णय गैर-जिम्मेदाराना हैं।

    यह कदम न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित करेगा, बल्कि कार्य-जीवन संतुलन और महिला सुरक्षा को भी खतरे में डालेगा।

    उन्होंने कहा कि एनईपी के तहत चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम के चौथे वर्ष की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु अतिरिक्त अधोसंरचना उपलब्ध कराने के बजाय, दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन शिक्षकों के लिए कार्य समय बढ़ाने जैसी अधिसूचनाएं जारी कर रहा है।

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