Delhi Traffic Jam: दिल्ली को मिलेगी ट्रैफिक जाम से राहत, समाधान निकालने की कोशिशें तेज; इतने कर्मियों की होगी भर्ती!
दिल्ली में ट्रैफिक जाम की समस्या से निपटने के लिए ट्रैफिक पुलिस कमर कस रही है। गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर ट्रैफिक पुलिस परिवहन विभाग एनडीएमसी एमसीडी और रोड इंजीनियरिंग से जुड़े विभागों के साथ मिलकर काम कर रही है। ट्रैफिक विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक सड़कों की हालत में सुधार नहीं होता तब तक जाम की समस्या से निपटा नहीं जा सकता।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली में वर्षों से ट्रैफिक जाम एक बड़ी समस्या रही है। सुबह और शाम के पीक आवर्स में आमतौर पर लगभग सभी जगहों पर जाम लगता है। इसके अलावा अन्य समय में भी अलग-अलग कारणों से कहीं भी जाम लग जाता है, जिससे वाहन चालकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
समाधान निकालने की कोशिशें तेज
दिल्ली में डबल इंजन की सरकार बनने के बाद राजधानी की इस सबसे बड़ी समस्या का समाधान निकालने की कोशिशें तेज हो गई हैं। हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर ट्रैफिक पुलिस जाम की समस्या से निजात पाने के लिए परिवहन विभाग, एनडीएमसी, एमसीडी, रोड इंजीनियरिंग से जुड़े विभागों के साथ विचार-विमर्श में जुटी है। हर तरह की कवायद चल रही है।
मैनपावर बढ़ाने पर भी विचार
ट्रैफिक विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक सड़कों की हालत में सुधार नहीं होता, तब तक जाम की समस्या से निपटा नहीं जा सकता। दूसरी ओर ट्रैफिक में मैनपावर बढ़ाने पर भी विचार किया जा रहा है।
ट्रैफिक पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि बेहतर ट्रैफिक प्रबंधन के लिए कम से कम आठ हजार कर्मियों की जरूरत है। ट्रैफिक पुलिस में फिलहाल 4791 कर्मी तैनात हैं। इसका मतलब है कि प्रणाली में सुधार के लिए 3,000 से अधिक कर्मियों की आवश्यकता होगी।
8 हजार जवानों की तैनाती की जरूरत
मुख्यालय सूत्रों के अनुसार मैनपावर को लेकर राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद की ओर से ऑडिट कराया जा रहा है। यह भारत सरकार की एक संस्था है। राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद को लिखे पत्र में ट्रैफिक यूनिट में 8 हजार जवानों की तैनाती की जरूरत बताई गई है।
जानकारी के अनुसार 2021 में ट्रैफिक पुलिस की जो क्षमता है, उससे फिलहाल एक हजार कम है। यानी इस यूनिट से एक हजार जवान हटा दिए गए, जबकि राजधानी में ट्रैफिक जाम की समस्या बढ़ती जा रही है। सोमवार को भी इस मुद्दे को लेकर पुलिस मुख्यालय में ट्रैफिक पुलिस के आला अधिकारियों और पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा के बीच बैठक हुई।
यह काउंसिल सड़कों के हिसाब से ऑडिट कर रही है कि राजधानी में ट्रैफिक यूनिट में कितने जवानों की जरूरत है। भविष्य को लेकर भी आकलन किया जा रहा है। यह काउंसिल दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर काम कर रही है, ताकि पुलिस की दक्षता बढ़ाई जा सके, उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाई जा सके, सुरक्षा और विश्वसनीयता कायम रखी जा सके और बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके।
डीटीसी बसों का खराब होना भी समस्या
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि राजधानी में डीटीसी बसों का खराब होना भी एक बड़ी समस्या है। हर राज्य की करीब 350 बसें राजधानी की सड़कों पर खराब हो जाती हैं। इसके अलावा अन्य वाहन भी खराब हो जाते हैं। ऐसे मामलों से जल्दी निपटने के लिए परिवहन विभाग से मदद ली जा रही है।
इसके साथ ही ट्रैफिक कर्मियों को इस सप्ताह ट्रैफिक विशेषज्ञ राहीत बलूजा द्वारा एक प्रेजेंटेशन भी दिया जाएगा, ताकि वे ट्रैफिक जाम से निपटने में सक्षम हो सकें।
- यातायात पुलिस में कई दशक पहले स्वीकृत पद थे- 5533
- वर्तमान क्षमता है- 4791
- स्वीकृत पदों की तुलना में- 742 कम
- सबसे अधिक कमी- 2072 कांस्टेबल, 25 सब इंस्पेक्टर और दो एसीपी की है।
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