Yamuna Pollution: महज 2% हिस्से से फैलता है 80% जहर, अब 32 मॉनीटरिंग स्टेशनों से रखी जाएगी यमुना के प्रदूषण पर नजर
दिल्ली सरकार यमुना और नालों के किनारे 32 रियलटाइम जल निगरानी स्टेशन स्थापित करेगी। इसका उद्देश्य नदी में प्रदूषण के स्तर पर नज़र रखना है। इन ऑनलाइन स् ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, जागरण . नई दिल्ली: दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) यमुना और उसके प्रमुख नालों के किनारे 32 Realtime Water Quality Monitoring Station स्थापित करेगी। इससे नदी में प्रदूषकों के स्तर पर नजर रखी जा सकेगी।
अधिकारियों ने बताया कि ऑनलाइन निगरानी स्टेशन (OLMS) को डीपीसीसी सर्वर पर चौबीसों घंटे जल गुणवत्ता डेटा की निरंतर निगरानी और संचारण के लिए डिजाइन किया गया है।
डेटा साल के अंत तक उपलब्ध होने की उम्मीद है। एक अधिकारी ने कहा कि वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली के समान इस पहल पर लगभग 22 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
इन बिदुओं की निगरानी रखेगा मॉनीटरिंग स्टेशन
पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि ओएलएमएस जैविक ऑक्सीजन मांग (बीओडी), रासायनिक ऑक्सीजन मांग (सीओडी), कुल निलंबित ठोस (टीएसएस), कुल नाइट्रोजन (नाइट्रेट और नाइट्रेट के रूप में), कुल फास्फोरस और अमोनिया जैसे मापदंडों की निगरानी करेगा।
याद रहे कि सरकार ने पिछले साल यमुना के किनारे 14 और विभिन्न नालों पर 18 स्टेशन स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू की थी। सिरसा ने कहा कि इनके साल के अंत तक यह शुरू हो जाने की उम्मीद है। परियोजना के लिए निविदाएं पहले ही जारी की जा चुकी हैं।
पड़ोसी राज्यों के नालों पर बनाए जाएंगे मॉनीटरिंग स्टेशन
एक अधिकारी ने कहा, इससे विभिन्न नदी और नालों के स्थानों पर पानी की गुणवत्ता पर वास्तविक समय के आंकड़े प्राप्त करने में मदद मिलेगी। इससे प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के सटीक समय और स्थान की पहचान करना आसान हो जाएगा।
ओएलएमएस के लिए प्रस्तावित स्थानों में पल्ला, आईएसबीटी ब्रिज, आईटीओ ब्रिज, निजामुद्दीन ब्रिज, ओखला बैराज, नजफगढ़ ड्रेन, मेटकाफ हाउस ड्रेन, खैबर पास ड्रेन और स्वीपर काॅलोनी ड्रेन आदि शामिल हैं।
पड़ोसी राज्यों से प्रदूषक लाने वाले नालों पर भी स्टेशन स्थापित किए जाएंगे, जैसे कि सिंघू बार्डर (सोनीपत) पर डीडी6, बहादुरगढ़ ड्रेन और शाहदरा, साहिबाबाद और बंठिया ड्रेन में मिलने वाले उत्तर प्रदेश के ड्रेन।
अधिकारियों ने बताया कि चयनित एजेंसी इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक माॅनीटरिंग उपकरण की स्थापना और उसे चालू करने के लिए जिम्मेदार होगी।
यमुना का महज दो प्रतिशत हिस्सा ही करता है 80 प्रतिशत प्रदूषण
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वजीराबाद और ओखला के बीच यमुना का 22 किलोमीटर लंबा हिस्सा, जो नदी की कुल लंबाई का केवल दो प्रतिशत है, इसके प्रदूषण भार में लगभग 80 प्रतिशत का योगदान देता है।
इस प्रदूषण का प्राथमिक स्रोत अनाधिकृत कालोनियों और मलिन बस्तियों से निकलने वाला अनुपचारित अपशिष्ट जल है, साथ ही सीवेज उपचार संयंत्रों (STP) और सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्रों (CETP) से निकलने वाला खराब तरीके से उपचारित अपशिष्ट भी है।
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