Shraddha Walker Murder: कोर्ट ने आफताब से पूछा- क्या आप खुद को दोषी मानते हैं? तो ये था आरोपी का जवाब
दिल्ली के खौफनाक और चर्चित श्रद्धा वालकर हत्याकांड ने पूरे देश को हिला के रख दिया था। लिव-इन पार्टनर आफताब अमीन पूनावाला ने उसकी बेरहमी से गला रेतकर हत्या की। इसके बाद शव के 35 टुकड़े कर दिए थे।

नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। दिल्ली के खौफनाक और चर्चित श्रद्धा वालकर हत्याकांड ने पूरे देश को हिला के रख दिया था। लिव-इन पार्टनर आफताब अमीन पूनावाला ने उसकी बेरहमी से गला रेतकर हत्या की। इसके बाद शव के 35 टुकड़े कर दिए थे। मंगलवार (9 मई) दिल्ली के साकेत कोर्ट ने आफताब पूनावाला के खिलाफ श्रद्धा वालकर हत्याकांड में आरोप तय कर दिए। उस पर श्रद्धा की हत्या और फिर सबूत मिटाने के तहत मुकदमा चलेगा। बता दें कि आफताब पूनावाला ने महरौली में 18 मई, 2022 को श्रद्धा वालकर की हत्या कर दी थी।
साकेत अदालत में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मनीषा खुराना कक्कड़ ने कहा कि मामले में आरोपित के खिलाफ पर्याप्त सामग्री है और प्रथम दृष्टया उसके खिलाफ मुकदमा बनता है। इस दौरान अदालत ने आरोपित आफताब से पूछा कि क्या आप खुद को दोषी मानते हैं या मुकदमे का दावा करते हैं। जिसका जवाब देते हुए पूनावाला ने कहा कि वह दोषी नहीं है और मुकदमे का सामना करेगा। इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए एक जून की तारीख दे दी।
आरोपी के खिलाफ लगी ये दो धाराएं
मंगलवार को आफताब अमीन पूनावाला के खिलाफ श्रद्धा वालकर की हत्या करने और सुबूत मिटाने के लिए आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 201 (हत्या के बाद सबूत मिटाने) के तहत आरोप तय किए।
श्रद्धा वालकर की 18 मई, 2022 को महरौली इलाके में आफताब द्वारा कथित रूप से हत्या कर दी गई थी। उसके शरीर के अंगों को छतरपुर समेत दिल्ली के विभिन्न जंगलों में फेंक दिया गया था और नवंबर 2022 में उक्त मामले में आरोपित आफताब को गिरफ्तार किया गया था।
इसके बाद आरोपों पर सुनवाई के दौरान आफताब के अधिवक्ता अधिवक्ता अक्षय भंडारी ने तर्क दिया था कि अभियुक्त पर हत्या के मुख्य अपराध और साक्ष्यों को नष्ट करने के आरोप एक साथ नहीं लगाए जा सकते हैं। उन्होंने अदालत से कहा था कि आरोप तय करते समय इस तथ्य पर विचार किया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने एक अदालत के एक फैसले के आधार पर यह तर्क भी दिया था कि अभियुक्त को मुख्य अपराध और साक्ष्य नष्ट करने के अपराध के लिए एक साथ सजा नहीं दी जा सकती है।
वहीं, अदालत ने मामले में तीन अप्रैल को विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अमित प्रसाद और मधुकर पांडे द्वारा उक्त तर्क के विरोध में दाखिल किए गए उच्चतम न्यायालय के फैसले की प्रति को रिकॉर्ड में लिया था। एसपीपी अमित प्रसाद द्वारा प्रस्तुत किए गए फैसले से यह तथ्य सामने आया था कि आईपीसी की धारा 201 के तहत आरोप उस व्यक्ति के खिलाफ लगाया जा सकता है जो मुख्य अपराधी को बचाने के लिए साक्ष्य को नष्ट कर देता है और साथ ही मुख्य अपराध करने वाले व्यक्ति के खिलाफ भी ये आरोप लगाया जा सकता है।
इस दौरान उन्होंने कहा था कि साक्ष्य नष्ट करने पर धारा 201 के तहत संयुक्त आरोप तय किए जा सकते हैं। जिसके बाद अदालत ने मामले में मंगलवार को आरोप तय कर दिए।
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