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    अंग्रेजी हॉरर मूवी देख हैवान बना था रविंद्र, 7 साल में 30 बच्चों से दरिंदगी कर उतारा था मौत के घाट

    By Sonu RanaEdited By: Geetarjun
    Updated: Mon, 08 May 2023 01:03 AM (IST)

    Delhi Serial Killer 2015 में बेगमपुर थाना पुलिस की ओर से गिरफ्तार किया गया आरोपित रविंद्र कुमार सीरियल किलर है। वह वर्ष 2008 से लेकर 2015 तक करीब 30 बच्चों से दुष्कर्म कुकर्म कर हत्या कर चुका है।जांच के दौरान पता लगा कि इसमें से 14 मामले दिल्ली के थे।

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    अंग्रेजी हॉरर मूवी देख हैवान बना था रविंद्र, 7 साल में 30 बच्चों के साथ दरिंदगी; फिर मार डालता

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। वर्ष 2015 में बेगमपुर थाना पुलिस की ओर से गिरफ्तार किया गया आरोपित रविंद्र कुमार सीरियल किलर है। वह वर्ष 2008 से लेकर 2015 तक करीब 30 बच्चों से दुष्कर्म, कुकर्म कर हत्या कर चुका है।

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    जांच के दौरान पता लगा कि इसमें से 14 मामले दिल्ली के थे। रविंद्र 2008 में अंग्रेजी हॉरर मूवी (डरावनी फिल्म) देखकर हैवान बना।फिल्म देखने के बाद उसने पहली वारदात को अंजाम दिया।

    इसके बाद वह मासूमों के लिए कहर बन गया और एक के बाद एक मासूमों को अपनी हवस का शिकार बनाता गया। यह खुलासा 2015 में बेगमपुर मासूम हत्याकांड के जांच अधिकारी और दिल्ली पुलिस से एसीपी पद से रिटायर हुए जगमिंदर सिंह दहिया ने किया। इस मामले में ही रोहिणी कोर्ट ने कल रविंद्र कुमार को दोषी करार दिया है।

    जगमिंदर सिंह दहिया ने बताया कि जांच के दौरान पता लगा था कि रविंद्र छठी फेल है।वह शराब व नशे का आदी है।उसने बचपन में एक अंग्रेजी फिल्म देखी थी, जिसमें तीन लोग बच्चों की हत्या कर उनसे कुकर्म या दुष्कर्म करते थे।यह फिल्म देखने के बाद वह भी शराब पीकर व उसके बाद सूखा नशा (साल्यूशन व व्हाइटनर आदि) करके बच्चों को अपनी हवस का शिकार बनाता गया।

    तीस में से 14 आपराधिक मामलों को वह दिल्ली के कंझावला, समयपुर बादली, निहाल विहार, मुंडका, नरेला आदि इलाकों में अंजाम दे चुका था।पुलिस जब आरोपित को वारदात की जगहों पर लेकर गई थी तो कुछ जगह साक्ष्य नष्ट हो चुके थे व कुछ जगह साक्ष्य मिले थे।

    उस्तरे से काट दिया गया था बच्चे का गला

    जगमिंदर दहिया ने बताया कि आरोपित ने बेगमपुर थाना इलाके में बच्चे को अपना शिकार बनाया था। कुकर्म कर उस्तरे से बच्चे का गला काट दिया गया था। गला काटने के बाद बच्चे को नाले में फेंक दिया था।नाला सूखा था व उसमें रेत पड़ा था। बच्चा जब नीचे गिरा तो उसका गला मिट्टी में सट गया था। इस वजह से उसका खून निकलना बंद हो गया था।

    पास से गुजर रहे पुलिस कर्मी ने जब उसको देखा तो उसे निकालकर अस्पताल लेकर गया।इस मामले में आरोपित को गिरफ्तार कर लिया गया था।करीब एक वर्ष बाद वह जमानत पर बाहर आया व आने के दो दिन बाद 14 जुलाई 2015 को उसने बच्ची की हत्या की थी। बच्चे का गला काटने के मामले में आरोपित को दस वर्ष की सजा हुई है।

    रुपये का लालच देकर बच्चों को सुनसान स्थान पर ले जाता था

    बेगमपुर में बच्ची से दुष्कर्म और हत्या का मामला 14 जुलाई 1015 का है। दहिया ने बताया कि रविंद्र ने सुबह साढ़े छह बजे बच्ची को खेतों की ओर शौच के लिए जाते देखा था।उसने बच्ची को दस रुपये दिए व खंडहर इमारत की दूसरी मंजिल पर लेकर गया।

    वह बच्ची को अपनी हवस का शिकार बनाने लगा तो वह चिल्लाने लगी।इस पर उसने बच्ची को दस रुपये और दिए थे।बाद में बच्ची की गला घोंटकर हत्या कर दी गई थी व उससे दुष्कर्म कर उसका शव पहली मंजिल की शाफ्ट में फेंक दिया था।बच्ची के स्वजन ने जब पुलिस को शिकायत की तो दहिया मौके पर पहुंचे व पास के घर से उसे ढूंढ निकाला।

    मानसिक रूप से बीमार है रविंदर!

    अपने गुनाह को कबूल करने वाला रविंद्र इतना हैवान है कि वह बच्चों को मारने के बाद उनके शवों के साथ भी गलत काम करता था।यह बात उसने खुद मीडिया के सामने स्वीकार की थी।जांचकर्ता इंस्पेक्टर जगमिंदर सिंह दहिया ने बताया कि आरोपित ज्यादातर गरीब परिवारों के बच्चों को अपना शिकार बनाता था।

    ये बच्चे या तो सड़क किनारे सोते थे या निर्माणाधीन इमारतों के पास झोपड़ी बनाकर माता-पिता के साथ रहते थे।दिनभर काम करके बच्चों के माता पिता शाम को खाना खाकर सो जाते थे व आरोपित नशे में आता था व बच्चों को उठा ले जाता था।

    इसलिए नहीं लगी किसी को भनक

    दहिया ने बताया कि आरोपित तीस बच्चों को शिकार बना चुका था व इसकी किसी को भनक भी नहीं थी।इसके पीछे का कारण यह है कि गरीब लोग एक दिन पुलिस को गुमशुदगी की शिकायत देकर फिर उसका फालोअप ही नहीं करते थे। इस वजह से आरोपित अलग-अलग जगह वारदात को अंजाम देता रहा व किसी को भनक भी नहीं लगी।