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    दिल्ली के टीकरी कलां में सरकारी स्कूल में जलभराव, कहने को है स्मार्ट क्लास और डूबी डेस्क पर पढ़ने को मजबूर छात्राएं

    Updated: Sat, 26 Jul 2025 08:12 PM (IST)

    दिल्ली के टीकरी कलां स्थित एक सरकारी स्कूल में बारिश के कारण जलभराव हो गया। क्लासरूम में पानी भरने से छात्राओं को डेस्क पर बैठकर पढ़ना पड़ा। 1995 में बने इस विद्यालय में 1700 से अधिक लड़कियां पढ़ती हैं। हर साल मानसून में यहां जलभराव होता है लेकिन प्रशासन समस्या का समाधान नहीं कर पाया है। नाले की सफाई न होने के कारण स्कूल में पानी भर गया।

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    टीकरी कलां प्राथमिक विद्यालय में जल भराव के बाद क्लास रूम में डेस्क पर बैठीं छात्राएं। वीडियो ग्रैब

    धर्मेंद्र यादव, बाहरी दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में स्कूलों की बेहतरी के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन हालात कुछ और ही हैं। राजधानी के एक सरकारी स्कूल में इन दावों के विपरीत छात्राएं बरसात के दिनों में पानी से भरे स्मार्ट क्लास रूम में बैठकर पढ़ाई करती हैं। दिल्ली-हरियाणा सीमा के आखिरी गांव टीकरी कलां का बालिका विद्यालय बरसों से ऐसी ही बदहाली में है।

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    पीडब्ल्यूडी का नाला ओवरफ्लो 

    सरकार आती-जाती रहीं, लेकिन इस स्कूल का भविष्य नहीं संवर सका। हर वर्ष बच्चे बरसात के दिनों में ऐसे ही क्लास रूम में डूबती डेस्क पर बैठकर पढ़ते हैं। गाद की सफाई के सरकारी टी दावों के बीच सामान्य बरसात में पीडब्ल्यूडी का नाला ओवरफ्लो हो गया और देखते ही देखते टीकरी कलां स्थित नगर निगम का प्राथमिक बाल विद्यालय तालाब बन गया।

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    क्लास रूम में दो फीट से अधिक पानी जमा

    विद्यालय के मुख्य गेट से लेकर क्लास रूम में दो फीट से अधिक पानी जमा हो गया। पानी से बचाने के लिए बच्चियों को क्लास रूम में डेस्क के ऊपर बैठना पड़ा और अभिभावकों ने गोद में लेकर अपने बच्चों को विद्यालय से बाहर निकाला।

    इस स्कूल में पिछले साल भी ऐसी ही स्थिति बनी थी। इसके बावजूद शासन-प्रशासन ने सबक नहीं लिया। 1995 में बने प्राथमिक बाल विद्यालय में इस समय 1,700 से अधिक लड़कियां पढ़ती हैं। 22 जुलाई को हुई वर्षा के बाद एकाएक विद्यालय परिसर में पानी भर गया।

    डेस्क पर बैठना पड़ा

    क्लास रूम में पानी भरने से नर्सरी व पहली दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली बच्चियां परेशान हो गईं और पानी से बचने के लिए डेस्क पर बैठना पड़ा। क्लास रूम की कमी के चलते बड़ी संख्या में छात्राएं हाॅल में पढ़ाई करती हैं। इसी जगह सबसे ज्यादा पानी जमा हुआ।

    बगल के स्कूल में लगाई गईं कक्षाएं

    24 घंटे के बाद भी स्कूल से पूरी तरह से पानी की निकासी नहीं हो पाई है। जलभराव के कारण कम बच्चे ही स्कूल आए, बावजूद कई कक्षाएं बगल के राजकीय विद्यालय में लगानी पड़ीं।

    क्या बोले उपायुक्त?

    नगर निगम के नरेला जोन के उपायुक्त राकेश कुमार ने बताया...

    ''पानी की निकासी के लिए पंप सेट लगाया है। कल एक और पंप सेट लगाया जाएगा।''

    उधर, आल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक अग्रवाल ने स्कूल में जलभराव पर चिंता जाहिर की और कहा...

    ''दुर्भाग्य की बात है कि दिल्ली के स्कूल में हर साल मानसून में पानी भर रहा है और शासन-प्रशासन समस्या का समाधान नहीं निकाल पा रहा है।''

    शासन-प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया

    तीन दशक पुराने स्कूल भवन का लेवल मुख्य रोड की तुलना में एक से लेकर डेढ़ फीट नीचे है और विद्यालय के सामने से नाला भी गुजर रहा है। हर साल मानसून में विद्यालय में पानी जमा होता है और प्रशासन पंप सेट लगाकर पानी निकाल देता है।

    पिछले साल की घटना से शासन-प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया। नगर निगम के एक अधिकारी ने बताया कि विद्यालय के बाहर पीडब्ल्यूडी के नाले की अगर पूरी तरह से सफाई की गई होती तो न इस वर्ष स्कूल डूबता और न पिछले साल।

    पीडब्ल्यूडी के ड्रेन के निर्माण का कार्य चल रहा

    ''निचला इलाका है। वहां पर पीडब्ल्यूडी के ड्रेन के निर्माण का कार्य चल रहा है। इसकी वजह से पानी घुस जाता है। अस्थायी रूप से वहां पर पानी न जाए, इसके प्रबंध किए गए हैं। पंप से पानी भी निकाल दिया गया है।''

    -प्रवक्ता, दिल्ली नगर निगम

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