दिल्ली में निजी स्कूलों की फीस को रेगुलेट करनेवाला विधेयक पारित, AAP के संशोधन खारिज; जानें नए नियम
दिल्ली विधानसभा में भाजपा सरकार ने निजी स्कूलों की फीस वृद्धि को नियंत्रित करने वाला विधेयक पारित किया। इस विधेयक को अभिभावकों के हितों का रक्षक बताया गया है। विधेयक में निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाने और शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता लाने की बात कही गई है। सरकार का कहना है कि अब निजी स्कूल बिना अनुमति फीस नहीं बढ़ा सकेंगे।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। भाजपा के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार का मान्यता प्राप्त निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों की शुल्क वृद्धि को नियंत्रित करने वाला विधेयक शुक्रवार को दिल्ली विधानसभा में पारित हो गया। इससे पहले दिल्ली स्कूल शिक्षा शुल्क निर्धारण एवं विनियमन में पारदर्शिता विधेयक, 2025 के नाम से इस विधेयक के पारित हाेने से पहले सदन में शुक्रवार को चार घंटे तक बहस चली और सत्तापक्ष व विपक्ष के बीच खूब नोक-झोंक हुई।
आप ने विधेयक में आठ संशोधन प्रस्तावित किए, लेकिन मतदान के दौरान सभी खारिज हो गए। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस विधेयक को अभिभावकों के हक का पहरेदार बताया कहा कि 1973 के बाद अब दिल्ली में कोई ऐसा विधेयक आ रहा है जो पूरी तरह से अभिभावकों की हितों की रक्षा कर सकेगा।
विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने विधेयक को मंजूरी के लिए उपराज्यपाल वी के सक्सेना के पास भेज दिया है। जिनके माध्यम से केंद्र सरकार से जल्द ही इसे मंजूरी मिलने की उम्मीद है। विधेयक पर बहस के दौरान शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने विपक्ष के आरोपों पर जवाब दिया और एक-एक प्वाइंट पर स्थिति स्पष्ट की और कहा कि विधेयक को लेकर विपक्ष के आरोप निराधार हैं।
चर्चा में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री गुप्ता ने दिल्ली विधानसभा में दिए गए अपने वक्तव्य में कहा कि यह विधेयक शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता लाएगा और जनता में विश्वास पैदा करेगा। उन्होंने कहा कि यह विधेयक राजधानी के लाखों अभिभावकों के अधिकारों की रक्षा करने वाला एक यथार्थपरक और निर्णायक कानून है।
यह विधेयक न केवल निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाएगा, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता, न्याय और जवाबदेही की नई बुनियाद रखेगा। कहा कि इस विधेयक को विभिन्न शिक्षा विशेषज्ञों, संगठनों, अभिभावकों आदि से चर्चा कर इसे तैयार किया है। कहा कि शिक्षा को निजी स्कूलों के लिए मुनाफाखोरी का माध्यम नहीं बनने दिया जाएगा।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने इस दौरान पूर्व की आप सरकार पर भी निशाना साधा, कहा कि दिल्ली में शिक्षा को एक दशक से जिस तरह ‘शिक्षा क्रांति’ के खोखले नारों के पीछे दबाया गया, वह अब उजागर हो चुका है। कहा कि आज जब अदालतें क्लासरूम घोटाले पर सवाल कर रही हैं, दिल्ली की पूर्व आप सरकार के पास सिवाय चुप्पी और दिखावे के कोई उत्तर नहीं है।
विधेयक पर चर्चा में शिक्षा मंत्री सूद ने कहा कि विपक्ष का यह आराेप पूरी तरह झूठा है कि हम निजी स्कूलों को 10 प्रतिशत फीस वृद्धि की अनुमति देंगे। कहा कि इस बिल में ऐसा कोई प्रविधान नहीं है। कहा कि वास्तविकता यह है कि आप के शासनकाल में बार-बार चुनिंदा स्कूलों को फीस बढ़ाने की मंजूरी दी गई। वर्ष 2016–17 में 30 स्कूल, 2017–18 में 60, कोविड के दौरान 94, 2021–22 में 195 और 2022–23 में 145 स्कूल को फीस बढ़ाने की मंजूरी दी गई।
सूद ने कहा कि हमने सुनिश्चित किया है कि फीस बढ़ाने में अभिभावकों के हाथ में वीटो पावर हो, पांच में से एक भी सदस्य सहमत न हो, तो फीस नहीं बढ़ेगी। यह प्रविधान दिल्ली के 18 लाख बच्चों और उनके अभिभावकों को सीधा लाभ देगा।
विधेयक के सख्त नियम
- विधेयक के प्रविधान स्कूल प्रबंधकों की मनमानी रोकेंगे
- अभिभावकों की भावनओं को मजबूत करेंगे
- निजी स्कूल अपनी मनमानी से फीस नहीं बढ़ा सकेगा
- फीस तय करने के लिए स्कूल को अपनी सुविधाएं, खर्च आदि बताना होगा और अनुमति लेनी होगी।
- बिना अनुमति फीस बढ़ाने पर एक लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगेगा
- यदि कोई स्कूल समय पर अतिरिक्त वसूली वापस नहीं करता, तो दंड की राशि दोगुनी होगी
- बार-बार उल्लंघन करने पर मान्यता रद की जा सकती है
- आवश्यकता पड़ने पर सरकार स्वयं स्कूल का संचालन करेगी
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