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    Delhi School Fee Bill 2025: दिल्ली में अब शिक्षा होगी सस्ती, फीस बढ़ोतरी पर लगेगी लगाम; क्या है नया नियम?

    दिल्ली में निजी स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली सरकार दिल्ली स्कूल शिक्षा पारदर्शिता निर्धारण और फीस विनियमन-2025 विधेयक लेकर आई है। इस विधेयक का उद्देश्य स्कूलों की फीस प्रणाली में पारदर्शिता नियंत्रण और न्याय सुनिश्चित करना है। यह शिक्षा को किफायती बनाएगा और स्कूलों को जवाबदेह बनाएगा जिससे अभिभावकों को राहत मिलेगी। यह पैकेज शिक्षा क्षेत्र में सुधार लाने में मददगार साबित होगा।

    By Ritika Mishra Edited By: Rajesh KumarUpdated: Tue, 29 Apr 2025 08:20 PM (IST)
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    पैकेज:नए विधेयक से फीस पर लगाम लगने के साथ-साथ पारदर्शी, जवाबदेह और किफायती होगी शिक्षा

    रितिका मिश्रा, नई दिल्ली। पिछले एक दशक में दिल्ली के कई निजी स्कूलों ने बिना किसी औचित्य के लगातार फीस में बढ़ोतरी की है। इन बढ़ोतरी में अक्सर गैर-ट्यूशन फीस जैसे विकास शुल्क, वार्षिक शुल्क और रखरखाव शुल्क शामिल होते थे, जिन्हें बिना परामर्श या पारदर्शिता के लगाया जाता था।

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    स्कूलों द्वारा इस तरह से नियमों का उल्लंघन कर फीस बढ़ाना अभिभावकों के साथ-साथ शिक्षा निदेशालय और सरकार के लिए भी एक चुनौतीपूर्ण मुद्दा रहा है। चूंकि निजी स्कूल मनमाने ढंग से फीस बढ़ा रहे थे, इसलिए अभिभावकों पर अनुचित आर्थिक बोझ डाला जा रहा था।

    अभिभावकों की मांग पर बनाया गया कानून

    अभिभावकों और सामाजिक संगठनों की लंबे समय से मांग थी कि एक सख्त और स्पष्ट कानून बनाया जाए, जो स्कूलों को जवाबदेह बनाए और स्कूलों द्वारा मनमाने ढंग से फीस बढ़ाने पर लगाम लगाए। दिल्ली स्कूल शिक्षा पारदर्शिता निर्धारण और फीस विनियमन-2025 विधेयक को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद यह रास्ता साफ होता दिख रहा है।

    यह विधेयक फीस नियंत्रण के लिए कानूनी ढांचा तैयार करने में मदद करेगा। यह विधेयक स्कूलों की फीस प्रणाली में पारदर्शिता, नियंत्रण और न्याय सुनिश्चित करने के लिए लाया गया था। यह विधेयक निजी स्कूलों में शिक्षा को पारदर्शी, जवाबदेह और सभी के लिए सस्ती बनाएगा।

    शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा नियम बहुत कमज़ोर और अस्पष्ट थे, जिनका पालन करना अनिवार्य नहीं था। इस विधेयक के आने के बाद स्कूलों पर लगाम लगेगी और वे मनमाने ढंग से फ़ीस नहीं बढ़ा पाएंगे।

    यह विधेयक फ़ीस विनियमन को अनिवार्य बनाता है, अभिभावकों के प्रतिनिधित्व को मज़बूत करता है और निजी स्कूल संचालन में वित्तीय पारदर्शिता लाता है। इसके साथ ही यह मौजूदा व्यवस्था में लंबे समय से चली आ रही कमियों को दूर करता है।

    बीते सालों में मनमाने तरीके से बढाए गए फीस

    बीते सालों पर नजर डालें तो निजी स्कूल प्रबंधन बिना किसी पारदर्शिता या उचित कारण के मनमाने तरीके से फीस बढ़ा रहे थे। फीस के ढांचे या फैसलों में अभिभावकों को शामिल नहीं किया जाता था, जिससे वे शोषण का शिकार हो रहे थे।

    कई स्कूल फीस बढ़ाने के बाद वित्तीय जानकारी छिपा लेते थे और फंड का दुरुपयोग कर रहे थे। वहीं स्कूल प्रबंधक अभिभावकों का चुनाव किए बिना ही स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी) का गठन कर लेते थे, जिससे अभिभावक स्कूलों द्वारा फीस वृद्धि का आदेश जारी होने से पहले विरोध नहीं कर पाते थे।

    जिन स्कूलों में चुनाव कराने के बाद एसएमसी का गठन किया गया, वहां एसएमसी के पास फीस संबंधी दस्तावेज, ऑडिट रिपोर्ट या खर्च के रिकॉर्ड तक पहुंच नहीं थी। एसएमसी सदस्यों का आरोप है कि स्कूलों द्वारा उन्हें कभी भी नीतिगत फैसलों या बजट में शामिल नहीं किया गया।

    आरटीई के बाद से उठने लगी थी विधेयक की मांग

    2010 से ही अभिभावक स्कूलों में मनमाने ढंग से फीस वृद्धि पर अंकुश लगाने के लिए विधेयक लाने की मांग कर रहे हैं, खासकर शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009 के लागू होने के बाद। अभिभावक संघों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने 2012-2014 के आसपास फीस वृद्धि के बारे में अधिक मुखरता से चिंता व्यक्त करना शुरू कर दिया।

    अभिभावकों ने पहले भी निजी स्कूलों की फीस को नियंत्रित करने की कोशिश की है। अभिभावकों ने निजी स्कूल लॉबी के खिलाफ कई बार विरोध प्रदर्शन किया है। कई ने तो स्कूलों को अदालतों में चुनौती भी दी है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने कई फैसलों में अनियमित फीस ढांचे की आलोचना की है और सरकार से निगरानी की मांग की है।

    दिल्ली में स्कूलों को नियंत्रित करने वाले अधिनियम के तहत मौजूदा प्रविधान 

    दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम 1973 की धारा 17 (3) के साथ दिल्ली स्कूल शिक्षा नियम 1973 के तहत कोई भी सहायता प्राप्त स्कूल निदेशक द्वारा निर्दिष्ट फीस के अलावा कोई फीस नहीं लेगा या प्राप्त नहीं करेगा या कोई भुगतान प्राप्त नहीं करेगा।

    हालांकि, प्रत्येक सहायता प्राप्त स्कूल जिसके पास अलग-अलग फीस है, उसे ऐसी फीस लेने से पहले निर्धारित प्राधिकारी की पूर्व स्वीकृति प्राप्त करनी होगी।

    स्कूलों के प्रबंधक प्रत्येक शैक्षणिक सत्र के आरंभ होने से पहले निदेशक के पास अगले शैक्षणिक सत्र के दौरान ऐसे स्कूल द्वारा ली जाने वाली फीस का पूरा विवरण दाखिल करेंगे और ऐसा कोई भी स्कूल निदेशक की पूर्व स्वीकृति के बिना उस शैक्षणिक सत्र के दौरान अपने प्रबंधक द्वारा उक्त विवरण में निर्दिष्ट फीस से अधिक कोई फीस नहीं लेगा।

    एक तरह से, दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम में स्पष्ट रूप से यह प्रावधान नहीं है कि शिक्षा निदेशक निजी स्कूलों द्वारा प्रस्तुत रिटर्न के आधार पर क्या कार्रवाई कर सकते हैं। जब भी शिक्षा विभाग ने शिक्षा विभाग की पूर्व स्वीकृति के बिना निजी स्कूलों द्वारा फीस वृद्धि को रोकने का प्रयास किया है, तो ये प्रावधान निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों और शिक्षा विभाग के बीच कई दौर की मुकदमेबाजी का विषय रहे हैं।

    फीस विसंगति समिति: 1990 के दशक में दुग्गल समिति की सिफ़ारिश के बाद दिल्ली सरकार को फीस विसंगति समिति बनाने का आदेश दिया गया था ताकि अभिभावक फीस वृद्धि के ख़िलाफ़ शिकायत कर सकें।

    2017 में कोर्ट ने हर ज़िले में ऐसी समिति बनाने का निर्देश दिया था जिसमें तीन सदस्य शामिल थे- ज़िला उप शिक्षा निदेशक, जोनल उप शिक्षा अधिकारी और एक चार्टर्ड अकाउंटेंट। इसके तहत अभिभावक 100 रुपए की फ़ीस के साथ शिकायत दर्ज करा सकते थे और समिति को 90 दिनों के भीतर शिकायत का समाधान करना था। लेकिन यह समिति ज़्यादातर कागज़ों तक ही सीमित रही और ज़मीन पर इसका असर नहीं दिखा।

    फीस वृद्धि पीएमयू: निजी स्कूलों के फीस वृद्धि प्रस्तावों की जांच के लिए 2023 में दो परियोजना प्रबंधन इकाइयां (पीएमयू) बनाई गईं। चार्टर्ड अकाउंटेंट की टीमें स्कूलों के वित्तीय दस्तावेजों को देखती हैं और फीस वृद्धि की आवश्यकता का आकलन करती हैं।

    समय-समय पर हुआ विवाद

    • 24 फरवरी, 2025 - दा सृजन स्कूल में बिना अनुमति और बिना सूचना के की गई अचानक फीस वृद्धि के खिलाफ अभिभावकों ने स्कूल के बाहर प्रदर्शन किया।
    • 7 मार्च, 2025- फीस वृद्धि के खिलाफ अभिभावकों ने दिल्ली शिक्षा निदेशालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया और शिक्षा विभाग से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की। अभिभावकों ने कहा कि बिना किसी पूर्व सूचना और सरकारी अनुमति के की गई यह अनुचित फीस वृद्धि पूरी तरह से अवैध है और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।
    • 20 मार्च को डीपीएस द्वारका ने फीस न देने पर बच्चों को कक्षा में नहीं बैठने दिया और लाइब्रेरी में बंधक बनाकर रखा।
    • 4 अप्रैल को दिल्ली सरकार की निरीक्षण टीम सुबह 11 बजे डीपीएस स्कूल पहुंची। समिति ने पाया कि नौ बच्चे लाइब्रेरी में बंधक बनाकर बैठे हैं।
    • 7 अप्रैल - शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने फीस वृद्धि की शिकायतों को लेकर जिला स्तर पर एक समिति बनाने का प्रस्ताव रखा। बताया गया कि इस समिति की निगरानी उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) करेंगे और समिति स्कूलों की फीस से जुड़ी अनियमितताओं की जांच करेगी। इसके साथ ही उन्होंने अभिभावकों के लिए ddeact1@gmail.com ईमेल जारी किया, ताकि वे इसमें अपनी शिकायतें भेज सकें।
    • 8 अप्रैल को शिक्षा निदेशालय ने डीपीएस द्वारका को फीस बढ़ोतरी के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
    • 15 अप्रैल को अभिभावकों ने आनंद निकेतन स्थित माउंट कार्मेल स्कूल के बाहर फीस बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदर्शन किया था।
    • 15 अप्रैल- मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने फीस बढ़ोतरी मामले में मॉडल टाउन स्थित क्वीन मैरी स्कूल के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे।
    • 16 अप्रैल- हाईकोर्ट ने डीपीएस द्वारका मामले में छात्रों के साथ अमानवीय और खराब व्यवहार के लिए स्कूलों को फटकार लगाई और तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई के आदेश दिए थे।
    • 16 अप्रैल को अभिभावकों ने फीस बढ़ोतरी के मुद्दे पर शिक्षा निदेशालय मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन में डीपीएस रोहिणी, सृजन स्कूल, क्वीन मैरी, इंद्रप्रस्थ स्कूल, मीरा देवी स्कूल के अभिभावकों ने हिस्सा लिया था।
    • 17 अप्रैल- मनमानी और अत्यधिक फीस बढ़ोतरी की बढ़ती शिकायतों के बीच दिल्ली सरकार ने 600 से अधिक निजी स्कूलों का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के बाद 11 स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।

    स्कूलों पर पूर्व में हुई कार्रवाई

    • 12 दिसंबर, 2024: शिक्षा निदेशालय ने फीस वृद्धि पर सृजन स्कूल को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
    • 19 जुलाई, 2024- फीस वृद्धि के लिए डीपीएस द्वारका को कारण बताओ नोटिस।
    • 5 फरवरी, 2023- फीस वृद्धि नियमों का उल्लंघन करने पर बनयान ट्री स्कूल की मान्यता रद्द
    • 30 जुलाई, 2021- फीस वृद्धि नियमों का उल्लंघन करने पर दिल्ली सरकार ने शेख सराय स्थित एपीजे स्कूल का प्रबंधन अपने हाथ में लेने की घोषणा की।
    • 29 जुलाई, 2021- तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मनमानी फीस वृद्धि के लिए रोहिणी स्थित बाल भारती स्कूल का प्रबंधन अपने हाथ में लेने के शिक्षा निदेशालय के प्रस्ताव को मंजूरी दी।
    • 24 अगस्त, 2018 - मनमानी फीस वृद्धि के लिए 67 स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी
    • 25 मई, 2018 - तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने छठे केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन का हवाला देते हुए 575 निजी स्कूलों को उनके द्वारा ली गई अतिरिक्त फीस वापस करने का निर्देश दिया। सरकार ने स्कूलों को जून 2016 से जनवरी 2018 के बीच ली गई अतिरिक्त फीस नौ प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करने का भी निर्देश दिया है।

    फीस निर्धारण के लिए गठित प्रबंधन समिति में 50 प्रतिशत अभिभावकों की भागीदारी सुनिश्चित करने को कहा गया है। यह वाकई सराहनीय है। दिल्ली के हजारों अभिभावक लंबे समय से इस फैसले का इंतजार कर रहे थे। यह विधेयक निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वृद्धि पर लगाम लगाने की दिशा में उम्मीद की नई किरण लेकर आया है।

    - अपराजिता गौतम, अध्यक्ष, दिल्ली अभिभावक संघ

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