Delhi News: World War 2 के समय बना था सफदरजंग अस्पताल, जानिए इसके बारे में कुछ रोचक फैक्ट्स
देश के सबसे जाने-माने अस्पताल एम्स के ठीक सामने बने सफदरजंग अस्पताल की ख्याति दूर-दूर तक है। रिंग रोड व अरविंदो मार्ग पर स्थित यह अस्पताल निशुल्क होने के कारण गरीब से लेकर अमीर तक यहां अपना इलाज करवाने के लिए पहुंचते हैं।

नई दिल्ली [अरविंद कुमार द्विवेदी]। देश के सबसे जाने-माने अस्पताल एम्स के ठीक सामने बने सफदरजंग अस्पताल की ख्याति दूर-दूर तक है। रिंग रोड व अरविंदो मार्ग पर स्थित यह अस्पताल निशुल्क होने के कारण गरीब से लेकर अमीर तक यहां अपना इलाज करवाने के लिए पहुंचते हैं।
नो रेफरल पालिसी यानी अस्पताल पहुंचने वाले हर मरीज को इलाज उपलब्ध कराने के कारण यहां दूर-दूर से मरीज बड़ी उम्मीद के साथ आते हैं। लेकिन बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि इस अस्पताल का निर्माण दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान वर्ष-1942 में हुआ था।
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80 साल का हो गया अस्पताल
इसकी शुरुआत होने की वास्तविक तारीख स्पष्ट नहीं है लेकिन बताया जाता है कि यह उस साल गर्मियों में बनकर तैयार हुआ था। अस्पताल अब करीब 80 का हो गया है। इतने वर्षों के दौरान इस अस्पताल ने दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे देश में अपनी पहचान बनाई है।
दूर-दूर से इलाज कराने आते हैं लोग
आज दिल्ली-एनसीआर के अलावा अन्य राज्यों से भी इलाज के लिए मरीज आते हैं। यहां इमरजेंसी केयर सेंटर के साथ ही देश की सबसे बेहतरीन व अत्याधुनिक सुविधाओं वाली बर्न यूनिट भी है। जानकार बताते हैं कि जब एम्स का निर्माण हुआ था तो उसका मेडिकल कालेज इसी अस्पताल में चलता था।
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जीटीबी अस्पताल के कॉलेजी की शुरुआत यहीं से हुई
इसके बाद यूनिवर्सिटी कालेज आफ मेडिकल साइंस (यूसीएमएस) की शुरुआत यहीं हुई थी। बाद में यह कालेज जीटीबी अस्पताल में शिफ्ट हो गया। फिलहाल इसमें वर्द्धमान महावीर मेडिकल कालेज है। इस तरह सफदरजंग अस्पताल ने तीन मेडिकल कालेजों को जन्म दिया है।
केंद्र सरकार के बड़े अस्पतालों में शुमार सफदरजंग अस्पताल में विभिन्न विभागों में रोजाना करीब आठ हजार से ज्यादा मरीजों को देखा जाता है। महिलाओं और बच्चों के बेहतर इलाज की सुविधा के लिए भी इसे जाना जाता है।
रहा है रोचक इतिहास
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिकी सैनिक भारत आए थे और पास के सफदरजंग हवाई अड्डे पर उतरे। यह उस समय दिल्ली का एकमात्र हवाई अड्डा था जिसे विलिंगडन एयरफील्ड के नाम से जाना जाता था। जिस इलाके में यह अस्पताल स्थित है वहां कोई अस्पताल नहीं था। इस क्षेत्र में मेरिकी सैनिकों के लिए एक चिकित्सा केंद्र स्थापित करने के लिए हवाई अड्डे के दक्षिण में कुछ बैरकों का निर्माण किया गया था।
यहां एक्स-रे मशीन, लैब और विभिन्न आपातकालीन सुविधाओं की व्यवस्था की गई थी। द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद अमेरिका ने अस्पताल को भारत सरकार को सौंप दिया। सफदरजंग एयरपोर्ट के पास होने के कारण इसे सफदरजंग अस्पताल के नाम से जाना जाने लगा। बाद में स्वास्थ्य मंत्रालय की केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना द्वारा यहां एक मेडिकल कालेज शुरू किया गया। एम्स की शुरुआत 1956 में हुई थी लेकिन पुरानी दिल्ली में 1959 तक कोई मेडिकल कालेज नहीं था।
देश का सबसे बड़ा बर्न सेंटर
सफदरजंग अस्पताल की सबसे बड़ी पहचान यहां का बर्न सेंटर है। वर्ष- 1962 में यहां पर बर्न वार्ड बनाया गया और मरीजों के देखने के मामले में यह दुनिया का सबसे बड़ा बर्न सेंटर हैं। इसकी शुरुआत नेशनल हेल्थ स्कीम के तहत रीजनल सेंटर के तौर पर हुई थी। वर्ष 1977 में यहां बर्न के लिए 54 बिस्तर की व्यवस्था की गई।
अभी यहां 108 बिस्तर हैं। यह देश का यह एकमात्र सेंटर हैं जहां बर्न से संबंधित सभी प्रकार के इलाज और सुविधाएं एक ही छत के नीचे उपलब्ध हैं। देश के लगभग हर राज्य से बर्न के मरीज यहां पर इलाज के लिए आते हैं।
देश का पहला स्पोर्ट इंजरी सेंटर भी यहीं है
प्रैक्टिस और मैच के दौरान खिलाड़ियों को लगने वाली चोटों इलाज के लिए वर्ष-2010 में देश का पहला स्पोर्ट इंजरी सेंटर सफदरजंग अस्पताल में बनाया गया है। कामनवेल्थ गेम्स को ध्यान में रखते हुए इसका निर्माण किया गया था। सेंटर की जरूरत महसूस की गई थी। एम्स की स्थापना से पहले सफदरजंग भारत के सबसे बड़े अस्पतालों में सबसे अधिक विशेषताओं के लिए जाना जाता था।
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