दिल्ली दंगों पर सुनवाई के दौरान SC ने कहा - हम बेवजह लोगों को सलाखों के पीछे रखने में विश्वास नहीं करते
Delhi Riots मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट दिल्ली पुलिस की अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि बेवजह लोगों को सलाखों के पीछे रखना हम विश्वास नहीं रखते हैं। दिल्ली HC के 2021 को दिल्ली दंगों के मामले में तीन जमानत देने के आदेश को चुनौती दी गई थी।
नई दिल्ली, एएनआई। दिल्ली में हुए दंगों को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सलाखों के पीछे लोगों को बेवजह रखना वह विश्वास नहीं रखती है। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी मंगलवार को 2020 के दिल्ली दंगों के एक मामले में तीन छात्र कार्यकर्ताओं को मिली जमानत के खिलाफ दिल्ली पुलिस द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए की है।
तीन सदस्यीय पीठ ने की टिप्पणी
जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस अभय एस ओका और जेबी पर्दीवाला की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि हम अनावश्यक रूप से लोगों को सलाखों के पीछे रखने में विश्वास नहीं रखते हैं। जस्टिस कौल ने कहा कि मामले में जमानत याचिकाओं पर सुनवाई में घंटों बिताना दिल्ली हाईकोर्ट के समय की पूरी तरह बर्बादी है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट दिल्ली पुलिस की उस अपील पर सुनवाई कर रही थी। जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट के 15 जून, 2021 को दिल्ली दंगों के मामले में देवांगना कलिता, नताशा नरवाल और जामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा को जमानत देने के आदेश को चुनौती दी गई थी।
31 जनवरी तक सुनवाई स्थगित
बेंच ने मामले की सुनवाई 31 जनवरी के लिए स्थगित कर दी। इस मामले में दिल्ली पुलिस की ओर से सॉलिसिटर जनरल बहस करने वाले थे, फिलहाल वह अभी एक मामले में संविधान पीठ के समक्ष बहस कर रहे हैं।
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दिल्ली पुलिस ने इन तीनों छात्र को जमानत देने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। शीर्ष अदालत ने तब पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों के मामले में तीन छात्र कार्यकर्ताओं को दी गई जमानत को रद्द करने से इनकार कर दिया, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया कि समान राहत देने के लिए हाईकोर्ट के फैसले को किसी भी अदालत द्वारा मिसाल के रूप में नहीं माना जाएगा।
UAPA के तहत हुई थी तीनों की गिरफ्तारी
दिल्ली पुलिस ने तर्क दिया था कि यूएपीए को हाईकोर्ट द्वारा मामले में जमानत देते समय उल्टा कर दिया गया है। बता दें कि तीनों छात्रों को मई 2021 में यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया था।
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