Delhi Result 2025: दस CM और कई मंत्रियों ने बनाया था जीत का माहौल, इन सीटों पर दंगा फैक्टर; कमल खिलने के पीछे की कहानी?
पूर्वी दिल्ली में भाजपा की प्रचंड जीत ने राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया है। 27 साल बाद कमल खिला है और इसका श्रेय मुख्यमंत्रियों के प्रचार मोदी की गारंटी और डबल इंजन सरकार के भरोसे को जाता है। कांग्रेस और आप के नेताओं की जनसभाओं का कोई खास असर नहीं हुआ। 2020 के दंगों को याद कर लोगों ने दंगाइयों को हराया है।

मदन पांचाल, पूर्वी दिल्ली। आठ फरवरी को आखिरकार कमल के फूल के खिलने में 27 साल से लगी गांठ खुल गई। पूर्वी दिल्ली के गली-मोहल्लों और चौपालों पर कई प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने घूम-घूमकर जो माहौल बनाया उसका इतना असर हुआ कि यमुना पार की राजनीतिक तस्वीर ही बदल गई। मुस्तफाबाद ही नहीं करावलनगर के लोगों ने दंगों से आहत होकर कमल का फूल खिला दिया है।
चुनाव की घोषणा के बाद से ही सभी दलों ने यूं तो रेवड़ियां बांटने के खूब दावे और वादे किये और केजरीवाल ने मतदाताओं को डराने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि भाजपा को वोट दोगे तो हर महीने मिल रही सुविधाएं बंद हो जाएंगी। यह दांव नहीं चला और मतदाताओं ने मोदी की गारंटी को ध्यान में रखकर भाजपा को दिलखोलकर वोट किया।
चुनावी सभा और रोड शो का हुआ असर
परिणामस्वरूप 16 विधानसभा सीटों में से 11 सीट भाजपा ने जीत ली। दस मुख्यमंत्री और कई मंत्रियों ने इन सीटों को जीतने का माहौल बनाते हुए मतदाताओं को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इन सीटों पर भाजपा, कांग्रेस और आप के कई शीर्ष नेताओं ने खूब प्रचार किया लेकिन अधिकांश प्रभाव भाजपा के दिग्गज नेताओं की चुनावी सभा और रोड शो का ही हुआ।
ऐसे बनाया गया जीत का माहौल
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक, केशव प्रसाद मौर्य, पूर्व उप मुख्यमंत्री एसएन सिंह और स्मृति ईरानी की जनसभा के साथ गृहमंत्री अमित शाह ने पूर्वी दिल्ली में रोड शो के माध्यम से चुनावी जीत का माहौल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
दंगे में शामिल लोगों को दिखाया हार का रास्ता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस्मानपुर खादर में बड़ी जनसभा करके जीत का माहौल बना दिया। इसका असर यह हुआ कि मतदाताओं ने प्रलोभान को दर किनार करते हुए डबल इंजन की सरकार को ध्यान में रखकर भाजपा को वोट किया।
कांग्रेस से राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी चुनावी सभाएं करके कांग्रेस उम्मीदवारों के समर्थन में माहौल बनाने का जी तोड़ प्रयास किया, जो बेअसर रहा। आप नेताओं की जनसभाओं का भी कोई खास असर नहीं हुआ। पूर्वी दिल्ली में वर्ष 2020 में दंगे के बाद तेजी से राजनीति की तस्वीर में बदलाव हुआ और लोगों ने दंगे को याद करके भी दंगे में शामिल लोगों को हार का रास्ता दिखाया है।
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