दिल्ली में 70% महंगी होने जा रही बिजली? आरपार के मूड में RWA, केस में हो सकती है CAG की एंट्री
दिल्ली के उपभोक्ता निजी बिजली वितरण कंपनियों (डिस्काम) के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने की तैयारी में हैं। आरडब्ल्यूए के प्रतिनिधि विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण में अपील करके डिस्काम के दावे की कैग से जांच कराने की मांग करेंगे। उनका तर्क है कि दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) ने बिना किसी जांच के ही डिस्काम के दावे को स्वीकार कर लिया है। उपभोक्ताओं का पक्ष रखने का अवसर नहीं मिला।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। निजी बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को नियामक परिसंपत्ति के भुगतान के मामले में दिल्ली के उपभोक्ता कानूनी लड़ाई की तैयारी कर रहे हैं।
रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) के प्रतिनिधि विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण में अपील कर डिस्काॅम के दावे की कैग से जांच कराने की मांग करेंगे। उनका कहना है कि बिना किसी जांच के डिस्कॉम के दावे को दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (DERC) ने स्वीकार कर लिया है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार दिल्ली की तीन निजी डिस्कॉम बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड (BRPL), बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड (BYPL) और टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड (TPDDL) को 31502 करोड़ रुपये की नियामक परिसंपत्ति का भुगतान करना है। इससे दिल्ली में बिजली 70 प्रतिशत तक महंगी हो सकती है।
'उपभोक्ता की नहीं सुनी जा रही'
आरडब्ल्यूए के प्रतिनिधि नियामक परिसंपत्ति (रेगुलेटरी एसेट्स) के आकलन पर प्रश्न खड़े कर रहे हैं। उनका कहना है कि नियामक परिसंपत्ति दिल्ली के उपभोक्ताओं से वसूला जाना है, लेकिन उनका पक्ष नहीं सुना गया।
शुक्रवार को वे विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण में जाकर इसकी शिकायत की। न्यायाधिकरण के अधिकारियों ने उन्हें अपील दायर करने की सलाह दी है।
यूनाइटेड रेजिडेंट्स ऑफ दिल्ली (URD) के महासचिव सौरभ गांधी ने कहा, एनडीएमसी क्षेत्र में बेहतर बिजली आपूर्ति की सुविधा है, लेकिन एनडीएमसी ने नियामक परिसंपत्ति का दावा नहीं किया है। सिर्फ तीन निजी कंपनियां इसका दावा कर रही हैं।
निजी डिस्कॉम के दावे पर उठ रहे सवाल
इससे निजी डिस्कॉम के दावे पर प्रश्न खड़े होते हैं। सचिव हेमंत शर्मा ने कहा, 2021-22 के बाद दिल्ली में बिजली का टैरिफ घोषित नहीं हुआ है। बिना टैरिफ घोषित किए डीईआरसी ने निजी कंपनियों की नियामक परिसंपत्ति का निर्धारण कैसे कर दिया?
ग्रेटर कैलाश आरडब्ल्यूए के प्रतिनिधि राजीव काकरिया ने भी कहा कि उपभोक्ताओं को अपना पक्ष रखने का अवसर मिलना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से लग रहा है उपभोक्ता नियामक परिसंपत्ति के दावे से सहमत हैं।
माडल टाउन रेजिडेंट सोसाइटी के अध्यक्ष संजय गुप्ता ने कहा कि डिस्कॉम ने 31 हजार करोड़ रुपये से अधिक कि नियामक परिसंपत्ति किस तरह बनाई इसकी कोई जांच नहीं हुई है। इसकी कैग जांच आवश्यक है।
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