उपभोक्ताओं पर न डाला जाए अत्यधिक बिजली बिलों का बोझ, डीईआरसी से डिस्कॉम खातों की जांच की मांग
दिल्ली के रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) बिजली कंपनियों द्वारा ईंधन और बिजली खरीद समायोजन शुल्क (पीपीएसी) वसूलने के विरोध में हैं। उन्होंने डीईआरसी से इस मामले में हस्तक्षेप करने समय सीमा बढ़ाने और डिस्कॉम के खातों का ऑडिट कराने की मांग की है। आरडब्ल्यूए का कहना है कि इससे डिस्कॉम की मनमानी बढ़ेगी और उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) के प्रतिनिधि दिल्ली की बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को उपभोक्ताओं से प्रति माह 10 प्रतिशत तक ईंधन और बिजली खरीद समायोजन शुल्क (पीपीएसी) वसूलने का अधिकार दिए जाने का विरोध कर रहे हैं।
उन्होंने दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) को पत्र लिखकर इस मामले में सुझाव व आपत्तियां देने की समय सीमा 24 सितंबर से बढ़ाने और डिस्कॉम के खातों का ऑडिट कराने की मांग की है।
ईंधन की लागत बढ़ने पर बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को महंगी बिजली खरीदनी पड़ती है। डिस्कॉम बिजली खरीदने और उपभोक्ताओं को तय दर पर बिजली आपूर्ति करने में होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए पीपीएसी वसूलती है। डिस्कॉम के आवेदन पर डीईआरसी एक तिमाही के लिए पीपीएसी निर्धारित करता है। इस बाध्यता को खत्म करने की तैयारी है।
इसके लिए डीईआरसी ने एक मसौदा अधिसूचना जारी कर हितधारकों से आपत्तियां व सुझाव मांगे हैं। यूनाइटेड रेजिडेंट्स ऑफ़ दिल्ली के महासचिव सौरभ गांधी ने डीईआरसी के सचिव को पत्र लिखकर मसौदे का व्याख्यात्मक ज्ञापन प्रकाशित करने, सुझाव देने की समय सीमा बढ़ाने और प्रत्यक्ष जनसुनवाई आयोजित करने की मांग की है।
पूर्वी दिल्ली आरडब्ल्यूए संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष वीएस वोहरा ने कहा, बिजली दरों को नियंत्रित करना डीईआरसी की ज़िम्मेदारी है। इसे बिजली कंपनियों को सौंपकर वह अपनी ज़िम्मेदारी से भाग रहा है। इससे डिस्कॉम की मनमानी बढ़ेगी।
उपभोक्ता पहले से ही कई तरह के सरचार्ज और 16% रिटर्न ऑन इक्विटी (आरओई) दे रहे हैं। 27,000 करोड़ रुपये की नियामक संपत्तियों पर ब्याज भी वसूला जा रहा है। एफपीपीएसी वसूलने का अधिकार देने के बजाय, डिस्कॉम के खातों की जाँच होनी चाहिए।
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