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    Delhi Job Scam: फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बनवाए जाति प्रमाण पत्र, इन दो राज्यों से थे ज्यादातर उम्मीदवार

    By Jagran NewsEdited By: Geetarjun
    Updated: Sun, 27 Aug 2023 01:14 AM (IST)

    Delhi Principle Recruitment Scam राजधानी के सरकारी स्कूलों में प्रधानाचार्य पद के लिए चयनित 334 उम्मीदवारों में कई दर्जन उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्होंने अन्य पिछड़ा वर्ग की आरक्षित श्रेणी में नौकरी पाने के लिए अपने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दिल्ली से जाति प्रमाण पत्र बनवाए हैं। दस्तावेज के अनुसार यह उम्मीदवार अधिकतर हरियाणा और उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं।

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    फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बनवाए जाति प्रमाण पत्र, इन दो राज्यों से थे ज्यादातर उम्मीदवार

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राजधानी के सरकारी स्कूलों में प्रधानाचार्य पद के लिए चयनित 334 उम्मीदवारों में कई दर्जन उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्होंने अन्य पिछड़ा वर्ग की आरक्षित श्रेणी में नौकरी पाने के लिए अपने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दिल्ली से जाति प्रमाण पत्र बनवाए हैं। दस्तावेज के अनुसार, यह उम्मीदवार अधिकतर हरियाणा और उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं।

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    राजकीय शिक्षक संघ के महासचिव अजय वीर यादव ने कहा कि फर्जी दस्तावेज की जांच की जाए। जांच के बाद फर्जी दस्तावेज से नियुक्ति पाने वाले प्रधानाचार्यों को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया जाए और आपराधिक धाराएं लगाकर उनके खिलाफ केस पंजीकृत किया जाए, ताकी उन्हें दंडित किया जाए।

    भर्ती की प्रक्रिया यूपीएससी प्रधानाचार्यों की सीधी भर्ती के लिए आवेदन निकालती हैं। उम्मीदवारों को इसमें आनलाइन आवेदन करके संबंधित दस्तावेज भी अपलोड करने होते हैं। इनमें शैक्षिक दस्तावेज, बीएड की डिग्री, कम से कम 10 वर्षों का पढ़ाने का अनुभव प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, ईडब्ल्यूएस, दिव्यांग और चरित्र प्रमाण पत्र लगता है।

    दस्तावेज जांच की प्रक्रिया यूपीएससी किसी उम्मीदवार के दस्तावेज की पहले कोई जांच नहीं करता है। अधिक उम्र को छोड़कर सभी को लिखित परीक्षा में बैठने दिया जाता है। लिखित परीक्षा में जो पास होते हैं वह साक्षात्कार के लिए चयनित होते हैं। साक्षात्कार से पहले ऊपरी तौर पर यूपीएससी की ओर से उम्मीदवारों के दस्तावेज की जांच की जाती हैं, लेकिन उस स्तर पर भी लापरवाही बरती गई है।

    इन उम्मीदवारों को स्कूल आवंटित करने से पहले दस्तावेज की अंतिम जांच शिक्षा निदेशालय को करनी होती है। पहले भी हुई धांधली दिल्ली सरकार के सहायता प्राप्त स्कूलों के रिकार्ड की जांच से पता चला है कि शिक्षक पद पर सात उम्मीदवारों का चयन किया गया था।

    इन्होंने फर्जी शिक्षण अनुभव दिखाया और इसके लिए उन्हें मानदंड के अनुसार शिक्षण अनुभव के वर्षों की संख्या (प्रत्येक वर्ष के लिए एक अंक) के अनुसार एक से 10 के बीच अंक भी दिए गए थे। ये अंक ही इन सात उम्मीदवारों के चयन का मुख्य कारण हैं।

    फिलहाल मामले की जांच चल रही है। वहीं, वर्ष 2019 में शिक्षा अधिकारी के परिणाम में भी फर्जीवाड़ा होने का आरोप है। इसमें 19 में से चार उम्मीदवारों के फर्जी प्रमाण पत्र का मामला दिल्ली हाईकोर्ट और केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (सीएटी) में चल रहा है।